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उत्तराखंड में गंगा संरक्षण से जुड़ेंगे छात्र-छात्राएं, जानिए क्या है योजना

राष्ट्रीय नदी गंगा की स्वच्छता और निर्मलता के लिए राज्य में चल रही नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा संरक्षण के लिए विद्यार्थी भी जुटेंगे। इस सिलसिले में प्रदेश के सभी कालेजों में 15 मार्च से 31 मार्च तक सेमिनारों का आयोजन किया जाएगा।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 02:03 PM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 02:03 PM (IST)
उत्तराखंड में गंगा संरक्षण से जुड़ेंगे छात्र-छात्राएं, जानिए क्या है योजना
उत्तराखंड में गंगा संरक्षण से जुड़ेंगे छात्र-छात्राएं, जानिए क्या है योजना।

राज्य ब्यूरो, गैरसैंण। राष्ट्रीय नदी गंगा की स्वच्छता और निर्मलता के लिए राज्य में चल रही नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा संरक्षण के लिए विद्यार्थी भी जुटेंगे। इस सिलसिले में प्रदेश के सभी कालेजों में 15 मार्च से 31 मार्च तक सेमिनारों का आयोजन किया जाएगा। सेमिनार में छात्र-छात्राओं को गंगा संरक्षण से जोड़ने को प्रेरित किया जाएगा। 

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नमामि गंगे परियोजना के तहत छात्र-छात्राओं की भागीदारी सुनिश्चित करने को पूर्व में निर्णय लिया गया था, लेकिन पिछले साल कोरोना संकट के कारण यह मुहिम परवान नहीं चढ़ पाई थी। उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डा धन सिंह रावत ने बताया कि अब जबकि सभी कालेज खुल चुके हैं तो यह मुहिम 15 मार्च से शुरू की जा रही है। इसके तहत कालेजों में सेमिनार, वर्कशाप जैसे आयोजन कर छात्र-छात्राओं को गंगा व उसकी सहायक नदियों के संरक्षण के लिए प्रेरित किया जाएगा। फिर ये छात्र-छात्राएं अपने क्षेत्रों में जन-जागरण अभियान में जुटेंगे।

सुसवा नदी की गंदगी पर मानवाधिकार आयोग ने भेजा नोटिस

रिस्पना व बिंदाल नदी का जहां पर संगम होता है, वहां से आगे यह सुसवा नदी बन जाती है। हालात यह हैं कि रिस्पना व बिंदाल नदी की गंदगी को ढोने के बाद सुसवा नदी में बड़ी मात्रा में डोईवाला में भी गंदगी उड़ेली जाती है। एक शिकायत का संज्ञान लेकर मानवाधिकार आयोग ने जिलाधिकारी को नोटिस जारी कर नदी में उड़ेली जा रही गंदगी पर जवाब मांगा है।

मानवाधिकार आयोग में उक्रांद नेता शिवप्रसाद सेमवाल ने शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आयोग को बताया कि नदी में सीवर के साथ ही बायोमेडिकल वेस्ट भी डाला जा रहा है। इससे नदी की जैवविविधता लगभग समाप्त हो गई है। यह नदी राजाजी राष्ट्रीय पार्क के बीच से भी गुजरती है, लिहाजा वन्यजीवों पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है। शिकायत पर सुनवाई करते हुए मानवाधिकार आयोग के सदस्य आरएस मीणा ने कहा कि शिकायत पर चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल किया जाए। अगली सुनवाई छह मई को की जाएगी।

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