मोहर्रम पर मातमी जुलूस में हर कोई दिखा गमगीन
मोहर्रम पर अंजुमन मोईनुल मोमिनीन की ओर से हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मातमी जुलूस निकाला गया। जुलूस में बड़े-बुजुर्गो से लेकर बच्चों तक ने नोहे पढ़ मातम किया।
जागरण संवाददाता, देहरादून: मोहर्रम पर अंजुमन मोईनुल मोमिनीन की ओर से हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मातमी जुलूस निकाला गया। जुलूस में बड़े-बुजुर्गो से लेकर बच्चों तक ने नोहे पढ़ मातम किया। दोपहर की नमाज के बाद ईसी रोड स्थित शिया मस्जिद से गमगीन माहौल के साथ मौलाना मुहम्मद असगर की तकरीर के बाद अलम, ताजिए व जुलजना को लेकर मोहर्रम का जुलूस शुरू हुआ।
इससे पूर्व मस्जिद में हुई मजलिस में मौलाना मोहम्मद अनीस आब्दी व मौलाना असगर अली ने अपनी तकरीर में कहा कि अल्लाह और हजरत मोहम्मद ने इंसानियत को बचाने के लिए जिंदगी कुर्बान कर दी थी। इस्लाम के लिए हजरत इमाम हुसैन ने अपने परिजनों और साथियों की कुर्बानी करबला के मैदान पर तीन दिन तक भूखे रहकर दी। तकरीर के दौरान हर कोई फूट-फूटकर रोने लगा। इसके बाद शिया मस्जिद से बड़ा अलम, ताजिया व जुलजनाह के साथ मोहर्रम का मातमी जुलूस निकाला गया। जुलूस सर्वे चौक, तिब्बती मार्केट, दर्शनलाल चौक, तहसील चौक से होता हुआ इनामुला बिल्डिंग में तकरीर के बाद इमाम बारगाह में संपन्न हुआ। जुलूस में शामिल सोगवारों ने दर्शनलाल चौक पर खूनी मातम भी किया। इस दौरान महिलाओं व बच्चों की आंखें नम हो गई। सोगवारों ने खुद को तलवार व लोहे की जंजीरों से पीट-पीटकर लहूलुहान कर दिया। साथ ही 'शब्बीर की गम खारी है पहचान हमारी, सैयद की अजादारी है पहचान हमारी' 'मेरा ¨हदुस्तान है ये मेरा ¨हदुस्तान है, इसपे दिल कुर्बान, इस पर जान कुर्बान है' जैसे नोहे पढ़े गए।
स्वच्छ दून का भी संदेश
जुलूस के दौरान युवाओं ने स्वच्छता अभियान भी चलाया। उन्होंने हाथों में बैग थामे सड़क किनारे पड़ा कूड़ा उठाया। यह देखकर लोग स्वच्छता को प्रेरित हुए।
तिरंगा थामे देशभक्ति से लबरेज
जुलूस के सबसे आगे तिरंगा लहराया जा रहा था। युवा हाथों में तिरंगा थामे देशभक्ति का इजहार कर रहे थे। जुलूस के माध्यम से समुदाय के लोगों ने देश की एकता, संपन्नता की कामना भी की।