कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद एमएसएमई के क्षेत्र में उत्तराखंड में आएगा बूम
एमएसएमई नीति को 2023 तक बढ़ाने को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद अब राज्य में एमएसएमई सेक्टर में और बूम की उम्मीद जगी है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में 2020 में खत्म हो रही एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मंझौले उद्योग) नीति को 2023 तक बढ़ाने को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद अब राज्य में एमएसएमई सेक्टर में और बूम की उम्मीद जगी है। अब 2023 तक राज्य में सूक्ष्म, लघु एवं मझौले उद्योग लगाने वाले उद्यमियों को पांच साल तक इस नीति का लाभ मिलेगा।
एमएसएमई नीति में अब मैन्युफैक्चरिंग को भी ब्याज उपादान देने का निर्णय कैबिनेट ने लिया है। इससे हरिद्वार, नैनीताल व देहरादून समेत मैदानी क्षेत्रों में लगने वाली मैन्युफैक्चङ्क्षरग इकाइयों को ब्याज पर सब्सिडी की सुविधा मिलेगी। अभी तक तक उन्हें कैपिटल सब्सिडी और स्टांप ड्यूटी पर ही छूट मिल रही थी। कैबिनेट ने यह भी फैसला लिया है कि प्रदेश में नए लगने वाले बॉटलिंग प्लांट को एमएसएमई नीति का लाभ नहीं मिलेगा। पूर्व में ऐसे प्लांट को भी यह लाभ दिया गया था।
ग्रोथ में आएगी तेजी, विस्तार में मदद
कैबिनेट ने यह भी फैसला लिया है कि राज्य की जो एमएसएमई इकाइयां लिस्टिंग के लिए नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में जाएंगी, उन्हें 10 फीसद और अधिकतम ढाई लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि सरकार देगी। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में जाने वाली इकाइयां अपने शेयर जारी कर सकेंगी। इस पूरी पहल से जहां एमएसएमई इकाइयां तेजी से ग्रोथ करेंगी, वहीं उनके विस्तार में भी मदद मिलेगी।
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