Move to Jagran APP

सुपोषण अभियान: यहां 6.82 लाख बच्चों और महिलाओं को मिल रहा पोषाहार, जानिए

राज्यभर में चलाई जा रही मुहिम का असर दिखने लगा है। 19940 आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकृत बच्चों के साथ ही गर्भवती और धात्री महिलाओं की संख्या इसकी तस्दीक करती है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 02 Sep 2019 01:29 PM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 07:42 AM (IST)
सुपोषण अभियान: यहां 6.82 लाख बच्चों और महिलाओं को मिल रहा पोषाहार, जानिए
सुपोषण अभियान: यहां 6.82 लाख बच्चों और महिलाओं को मिल रहा पोषाहार, जानिए

देहरादून, राज्य ब्यूरो। कुपोषण से निजात दिलाने के लिए राज्यभर में चलाई जा रही मुहिम का असर दिखने लगा है। 19940 आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकृत बच्चों के साथ ही गर्भवती और धात्री महिलाओं की संख्या इसकी तस्दीक करती है। इन केंद्रों में वर्तमान में 527935 बच्चे और 155023 गर्भवती और धात्री महिलाओं को पोषाहार से लाभान्वित किया जा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक कुपोषण दूर करने को ऊर्जा (पौष्टिकता से लबरेज स्थानीय खाद्यान्न) लाभार्थियों को देने के साथ ही कई योजनाएं चल रही हैं और इनके अच्छे नतीजे भी सामने आए हैं। 

prime article banner

विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड के सभी जिलों में कुपोषण की समस्या बनी हुई है। इससे पार पाने के लिए 105 प्रोजेक्ट संचालित किए जा रहे हैं। इन्हें शहरी क्षेत्रों के 1274 और ग्रामीण क्षेत्र के 18666 आंगनबाड़ी के साथ ही मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से चलाया जा रहा है। इसमें मुख्य फोकस नौनिहालों और गर्भवती और धात्री महिलाओं पर किया गया है। उन्हें आंगनबाड़ी केंद्रों से नियमित तौर पर पौष्टिक आहार दिया जा रहा है। 

नौनिहाल हृष्ट-पुष्ट रहें, इसके लिए उन्हें पौष्टिकता से लबरेज मंडुवा, झंगोरा, भट्ट जैसे अनाज से तैयार पोषण आहार 'ऊर्जा' दिया जा रहा है। यही नहीं, कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चे सामान्य श्रेणी में आए, इस पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसके साथ ही गर्भवती माताओं और धात्री महिलाओं को भी पौष्टिक आहार देने के साथ ही उनके स्वास्थ्य का ख्याल भी आंगनबाड़ी केंद्र रख रहे हैं। 

मलिन बस्तियां हैं बड़ी चुनौती 

राज्य के आंगनबाड़ी केंद्रों में भले ही 6.82 लाख बच्चों और महिलाओं को लाभान्वित किया जा रहा हो, मगर मलिन बस्तियां अभी भी चुनौती बनी हुई हैं। कुपोषण की समस्या इन्हीं बस्तियों में अधिक है। हालांकि, वहां के बच्चों के साथ ही महिलाएं भी आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकृत हैं, मगर इनकी संख्या कम है। अब सरकार ने मलिन बस्तियों पर भी विशेष ध्यान देने पर जोर दिया है। 

ये चल रही योजनाएं 

अनुपूरक पोषाहार, कुक्ड फूड, टेक होम राशन, स्वास्थ्य जांच एवं टीकाकरण, निगरानी में वृद्धि व संदर्भ सेवाएं, स्वास्थ्य और पोषण शिक्षा, राष्ट्रीय पोषण मिशन। इसके अलावा राज्य सेक्टर से भी कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं। 

यह भी पढ़ें: यहां कुपोषित बच्चों को दो माह से नहीं मिला है ऊर्जा फूड, जानिए

राज्य में आंगनबाड़ी केंद 

जिला, आंगनबाड़ी केंद्र, मिनी आंगनबाड़ी केंद्र 

उत्तरकाशी, 1190, 670 

चमोली, 558, 276 

टिहरी, 722, 344 

देहरादून, 397, 284 

पौड़ी, 1654, 239 

रुद्रप्रयाग, 3054, 122 

हरिद्वार, 1032, 384 

अल्मोड़ा, 1080, 726 

बागेश्वर, 656, 447 

नैनीताल, 460, 227 

ऊधमसिंहनगर, 1271, 708 

पिथौरागढ़, 2191, 196 

चंपावत, 666, 386 

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में 16 हजार से ज्यादा बच्चों को है पोषण की दरकार, पढ़ें खबर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.