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40 हजार कर्मचारियों के वेतन से होगी वसूली

प्रदेश में पदोन्नति की दोहरी व्यवस्था का गलत तरीके से लाभ ले रहे कर्मचारी सरकार के निशाने पर आ गए हैं। खासतौर पर मिनिस्टीरियल संवर्ग वैयक्तिक सहायक (पीए) संवर्ग और वाहन चालक संवर्ग के कर्मचारियों के इसतरह लाभ लेने की जानकारी शासन को मिली है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 07:20 AM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 07:20 AM (IST)
40 हजार कर्मचारियों के वेतन से होगी वसूली
करीब 40 हजार कर्मचारियों से ज्यादा भुगतान की गई धनराशि वसूली जाएगी।

देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में पदोन्नति की दोहरी व्यवस्था का गलत तरीके से लाभ ले रहे कर्मचारी सरकार के निशाने पर आ गए हैं। खासतौर पर मिनिस्टीरियल संवर्ग, वैयक्तिक सहायक (पीए) संवर्ग और वाहन चालक संवर्ग के कर्मचारियों के इसतरह लाभ लेने की जानकारी शासन को मिली है। इन करीब 40 हजार कर्मचारियों से ज्यादा भुगतान की गई धनराशि वसूली जाएगी।

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वित्त सचिव अमित नेगी ने इस संबंध में सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों व प्रभारी सचिवों को आदेश जारी किए हैं। प्रदेश में राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए वर्तमान में पदोन्नति की दो व्यवस्थाएं लागू हैं। इनमें एक व्यवस्था संशोधित सुनिश्चित कैरियर प्रोन्नयन योजना (एमएसीपी) है। इसमें सीधी भर्ती के नियमित पद पर कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से 10, 20 और 30 वर्ष की नियमित व संतोषजनक सेवा पूरी करने तीन वित्तीय पदोन्नति का प्रविधान है। 17 फरवरी, 2017 के शासनादेश के मुताबिक एमएसीपी को तीन वित्तीय स्तरोन्नयन (एसीपी) योजना की जगह लागू किया गया है।

इसीतरह दूसरी व्यवस्था स्टाफिंग पैटर्न में कार्मिकों को पदोन्नति की चरणबद्ध व्यवस्था की गई है। जिन संवर्गों में स्टाफिंग पैटर्न की व्यवस्था लागू है, वहां समयबद्ध आधार पर प्रोन्नति अथवा एसीपी या एमएसीपी की व्यवस्था लागू नहीं होगी। शासन को अब पता चला है कि आदेशों का उल्लंघन कर विभिन्न संवर्गों में उक्त व्यवस्थाओं का दोहरा लाभ मुहैया कराया जा रहा है।

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वित्त सचिव ने ऐसे प्रकरणों में संबंधित कर्मचारियों का वेतन और पेंशन को दोबारा निर्धारित करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही अधिक भुगतान की गई धनराशि को आगामी महीनों में वेतन या पेंशन से वसूली करने के आदेश दिए गए हैं। इस व्यवस्था पर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने तीखी आपत्ति की है। परिषद के महामंत्री अरुण पांडेय ने इस पर रोष व्यक्त करते हुए कहा कि शासन ने यह कदम देर से उठाया है। लिहाजा इस मामले में वेतन निर्धारण के लिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए। अन्यथा कर्मचारियों को आंदोलन को मजबूर होना पड़ेगा।

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