प्रशासन के फेरबदल से असहज हुए मिनिस्टीरियल कर्मी, जानिए क्या है पूरा मामला
देहरादून कलक्ट्रेट में अधिकतर कार्मिक एक ही पटल पर बने रहना चाहते हैं और कई कार्मिक वर्षों तक एक ही पटल पर बने भी रहते हैं। जब भी पटलों में फेरबदल किया जाता है तो विभिन्न स्तर पर उसका विरोध देखने को मिलता है।
जागरण संवाददाता, देहरादून: देहरादून कलक्ट्रेट में विभिन्न पटलों का अपना अलग रुतबा माना जाता है। यहां अधिकतर कार्मिक एक ही पटल पर बने रहना चाहते हैं और कई कार्मिक वर्षों तक एक ही पटल पर बने भी रहते हैं। जब भी पटलों में फेरबदल किया जाता है तो विभिन्न स्तर पर उसका विरोध देखने को मिलता है। कई दफा कार्मिकों की मांगें जायज होती हैं तो कई दफा दबाव बनाने के लिए भी विरोध किया जाता है। इस दफा भी उत्तराखंड कलक्ट्रेट मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ (शाखा देहरादून) ने प्रशासन पर मनमानी का आरोप लगाते हुए हालिया फेरबदल को वापस लेने की मांग की है। इसके लिए जिला प्रशासन को आठ अप्रैल तक का समय दिया गया है।
संघ की तरफ से गुरुवार को जिलाधिकारी को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि प्रशासनिक अधिकारी वेद प्रकाश की संबद्धता कालसी तहसील में की गई है, जबकि संबंधित तहसील में उपयुक्त ग्रेड-पे का पद सृजित नहीं है। लिहाजा, वेद प्रकाश को वापस देहरादून लाया जाए। वहीं, कार्मिक देवेंद्र सुंद्रियाल के खिलाफ जारी की गई निंदा प्रविष्टि को ज्यादा कठोर बताते हुए कहा गया कि उन्हें सिर्फ चेतावनी जारी की जानी चाहिए थी। संघ ने इस बात पर भी नाराजगी जाहिर की कि आपसी सहमति से सृजित रोस्टर के विपरीत कार्मिकों का स्थानांतरण दूरस्थ क्षेत्र त्यूणी/चकराता किया जा रहा है। इसी क्रम में संघ ने ललित वर्मा, अमित भट्ट व सुबोध की तैनाती मैदानी तहसील या मुख्यालय में करने की मांग उठाई है। कनिष्ठ लिपिक हेमेंद्र के मामले में कहा गया कि एक वर्ष पूर्व निलंबन के बाद जांच पूरी कर ली गई है, लिहाजा उन्हें बहाल किया जाए।
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यह मांगें भी उठाईं
- मृतक आश्रितों की नियुक्ति की पत्रावली शासन को भेजने की जगह उसका निस्तारण जिला प्रशासन स्तर पर किया जाए।
- सभी पटलों पर कार्य की अधिकता है। सुबह 10 से शाम पांच बजे तक की ही कार्यप्रणाली अमल में लाई जाए।
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