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मंत्री रेखा आर्य ने भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड के सीईओ से मांगा स्पष्टीकरण

भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड के सीईओ डा.अविनाश आनंद द्वारा बोर्ड के तहत गठित भेड़ बकरी शशक पालक को-आपरेटिव फेडेरशन के प्रबंध निदेशक की हैसियत से फेडरेशन में तैनात एक चिकित्सक को कार्यमुक्त करने का आदेश जारी करने को पशुपालन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य ने गंभीरता से लिया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 27 Feb 2021 06:45 AM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2021 06:45 AM (IST)
मंत्री रेखा आर्य ने भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड के सीईओ से मांगा स्पष्टीकरण
पशुपालन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, देहरादून। अनियमितताओं के आरोप में घिरे उत्तराखंड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड के सीईओ डा.अविनाश आनंद पर अब शिकंजा और कस गया है। डा.आंनद द्वारा बोर्ड के तहत गठित भेड़ बकरी शशक पालक को-आपरेटिव फेडेरशन के प्रबंध निदेशक की हैसियत से फेडरेशन में तैनात एक चिकित्सक को कार्यमुक्त करने का आदेश जारी करने के प्रकरण को पशुपालन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने यह आदेश निरस्त कर दिया है और निदेशक पशुपालन को पत्र भेजकर इससे संबंधित पत्रावली तलब की है। साथ ही कहा है कि अपने पद एवं अधिकार से बाहर जाकर किए गए कार्य के लिए क्यों न डा.आनंद को निलंबित कर दिया जाए। मंत्री ने डा.आनंद के खिलाफ शिकायतों को देखते हुए एसआइटी जांच कराने के निर्देश भी शासन को दिए हैं।

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बोर्ड के सीईओ एवं राज्य भेड़ बकरी शशक पालक को-आपरेटिव फेडरेशन के प्रबंध निदेशक डा.आनंद ने 20 फरवरी 2021 को सचिव पशुपालन के पांच जून 2020 के आदेश का हवाला देते हुए फेडरेशन में कुमाऊं मंडल के प्रबंधक पद पर कार्यरत डा.मुकेश कुमार दुम्का को कार्यमुक्त करने के आदेश जारी कर दिए थे। बात सामने आई है कि प्रबंध निदेशक को यह अधिकार ही नहीं है। मंत्री के अनुमोदन के बाद शासन ही ऐसे आदेश जारी करता है।

प्रकरण सामने आने पर विभागीय मंत्री रेखा आर्य ने तत्काल इसका संज्ञान लेते हुए डा.आंनद द्वारा किए गए आदेश को निरस्त कर दिया। उन्होंने निदेशक पशुपालन को पत्र भेजकर इससे संबंधित पत्रावली तलब की है। साथ ही डा.आनंद का स्पष्टीकरण तीन दिन के भीतर उपलब्ध कराने को कहा है कि उनके द्वारा किस अधिकार व अधिनियम के तहत आदेश जारी किया गया।

मंत्री ने सचिव से पूछे सवाल

विभागीय मंत्री आर्य ने सचिव पशुपालन को भी पत्र भेजकर पूछा है कि क्या शासन ने पशु चिकित्साधिकारी ग्रेड-एक की तैनाती के संबंध में ऐसी कोई व्यवस्था की है, जिसके तहत निदेशक पशुपालन की जगह डा.आनंद को हस्ताक्षर करने का अधिकार दिया गया। पत्र में पूछा गया है कि यदि ऐसी कोई व्यवस्था है तो किस शासनादेश अथवा नियम के तहत ये अधिकार दिया गया है। यह भी पूछा है कि ऐसी कौन से आपात स्थिति आ गई थी कि विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बिना ही डा.आनंद को दूसरे चिकित्सक की तैनाती के आदेश करने पड़े। क्या उस दिन विभागीय निदेशक मौजूद नहीं थे। पत्र में कहा गया है कि नियमों की धज्जियां उड़ाकर आदेश पारित किए गए हैं, जो कि अत्यंत खेदजनक और कार्मिक आचरण नियमावली का घोर उल्लंघन है।

एसआइटी जांच कराने के निर्देश

मंत्री आर्य ने मुख्य सचिव को भी पत्र भेजा है। इसमें केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्री को मिले शिकायती पत्र का जिक्र करते हुए कहा गया है कि राज्य में राष्ट्रीय पशुधन मिशन व एनसीडीसी योजना के तहत केंद्र से धनराशि आंवटित हुई थी। भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड के सीईओ डा. आनंद ने इस राशि को ठिकाने लगाने का कार्य किया है। पत्र के अनुसार बोर्ड द्वारा आस्ट्रेलिया से आयात की गई मरीनो भेड़ों की गुणवत्ता व उम्र से भी समझौता किया गया। बगैर वैज्ञानिक शोध के ही इन भेड़ों से नस्ल सुधार कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस प्रकरण में भ्रष्टाचार की बात सामने आ रही है। पत्र में जिक्र है कि बोर्ड द्वारा चारा खरीद में भी बजट के वारे-न्यारे किए गए। इसके अलावा डा.आंनद के खिलाफ आई लक्जरी वाहन खरीद, लामग्रांट फार्म से कमीशन, आय से अधिक संपत्ति समेत अन्य शिकायतों का भी जिक्र किया गया है।

पत्र के अनुसार केंद्रीय मंत्री ने दूरभाष के माध्यम से इस प्रकरण पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए कठोर कार्रवाई की अपेक्षा की है। मंत्री आर्य ने मुख्य सचिव से इस संपूर्ण प्रकरण के साथ ही डा.आनंद के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की एसआइटी जांच कराने को कहा है।

प्रमुख सचिव कर रहे हैं जांच

भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड के सीईओ के खिलाफ पूर्व में सांसद मेनका गांधी ने भी मुख्यमंत्री से शिकायत की थी। शिकायती पत्र में डा.आनंद पर भ्रष्टाचार, अवैध संपत्ति अर्जन, पद का दुरुपयोग जैसे गंभीर आरोप लगाए गए। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को इसकी जांच कराने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने प्रमुख सचिव आनंदबर्द्धन को जांच सौंपी है। प्रकरण की जांच जारी है।

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