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वन विभाग के मुखिया को विदेश यात्रा की अनुमति पर मंत्री नाराज, कुर्सी छोड़ने की धमकी

वन विभाग के मुखिया जय राज को विदेश यात्रा की अनुमति का मुद्दा तूल पकड़ गया है। वन मंत्री हरक सिंह रावत ने चेतावनी दी कि यदि विभाग ने रवैया नहीं बदला तो वह कुर्सी छोड़ देंगे।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 16 May 2019 09:51 AM (IST)Updated: Thu, 16 May 2019 09:14 PM (IST)
वन विभाग के मुखिया को विदेश यात्रा की अनुमति पर मंत्री नाराज, कुर्सी छोड़ने की धमकी
वन विभाग के मुखिया को विदेश यात्रा की अनुमति पर मंत्री नाराज, कुर्सी छोड़ने की धमकी

देहरादून, राज्य ब्यूरो।  वन विभाग के मुखिया जय राज को विदेश यात्रा की अनुमति का मुद्दा तूल पकड़ गया है। वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने इस मामले में उन्हें बाईपास करने पर प्रमुख सचिव कार्मिक को सख्त लहजे में पत्र तो लिखा ही, साथ ही यह कहने से भी गुरेज नहीं किया कि उन्हें मंत्री पद का कोई मोह नहीं। अगर इसी तरह का रवैया उनके साथ जारी रहा तो वह अपनी कुर्सी छोड़़ने  में भी देरी नहीं करेंगे।

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वन विभाग के मुखिया जय राज समेत चार वनाधिकारियों को 26 मई तक लंदन व पोलैंड दौरे के लिए केंद्र व राज्य सरकार ने अनुमति दी है। वन मंत्री का कहना है कि निचले स्तर के अधिकारियों की फाइल तो अनुमोदन के लिए उनके पास आई, मगर विभाग के मुखिया को अनुमति देने से संबंधित फाइल उन तक नहीं पहुंची। वर्तमान में जंगलों की आग को देखते हुए विभाग प्रमुख के विदेश दौरे की अनुमति से वन मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत बेहद खफा हैं।

डॉ. रावत ने इस सिलसिले में प्रमुख सचिव कार्मिक को पत्र लिखकर इस परिपाटी पर गहरी नाराजगी जताई है। साथ ही दो टूक कहा है कि उनसे संबंधित विभागों के विभागाध्यक्षों को विदेश दौरों के संबंध में अनिवार्य रूप से उनका अनुमोदन प्राप्त किया जाए। मीडियाकर्मियों से बातचीत में डॉ. रावत ने कहा कि वनों की आग के लिहाज से यह बेहद संवेदनशील वक्त है, ऐसे में विभाग प्रमुख को विदेश दौरे की अनुमति देना गलत है।

डॉ. रावत ने कहा कि यह पहली बार नहीं है, बल्कि पूर्व में उनके विभागों में कार्मिकों की तैनाती से लेकर विदेश दौरों पर भेजने के संबंध में उन्हें अंधेरे में रखा गया। यह परिपाटी ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें खुद के और अधिकारियों के अधिकारों के बारे में जानकारी है। गुड गवर्नेंस के लिए रूल्स आफ बिजनेस का उल्लंघन करना ठीक नहीं है।

खफा वन मंत्री यहीं नहीं रुके और कहा कि उन्हें पद का कोई लालच नहीं है। यदि सबकुछ ऐसा ही चलता रहा तो कुर्सी छोडऩे से भी पीछे नहीं हटेंगे। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि नौकरशाही मंत्रियों व विधायकों को कुछ समझ ही नहीं रही। उस पर अंकुश जरूरी है। 

एक अन्य प्रश्न पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से उनकी कोई दुश्मनी थोड़े ही है। मुख्यमंत्री के पास कई विभाग हैं। रुटीन में उनके पास फाइल आई होगी तो उनके द्वारा दस्तखत कर दिए गए होंगे।

पहले भी जता चुके हैं नाराजगी

नौकरशाही के रवैये पर कैबिनेट मंत्री डॉ.रावत पूर्व में भी नाराजगी जता चुके हैं। कार्मिक विभाग द्वारा आयुष में रजिस्ट्रार का जिम्मा एडीएम को सौंपे जाने पर उन्होंने सवाल खड़े किए थे। इसके अलावा लोस चुनाव की आचार संहिता से पांच दिन पहले वन विभाग में हुए तबादलों से संबंधित पत्रावली में अनुमोदन न लिए जाने पर भी डॉ.रावत नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं। 

कमजोर करने वाले चले गए

डॉ. रावत एक प्रश्न पर कहा कि उन्हें कोई कमजोर क्यों करेगा। कमजोर करने वाले तो चले गए। लोकतंत्र में जनता ही ताकतवर और कमजोर बनाती है।

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