Move to Jagran APP

देहरादून: बड़ा सवाल, आखिर किसकी सरपरस्ती में बेखौफ हैं खनन माफिया?

दून में खनन माफिया किसकी सरपरस्ती में धड़ल्ले से नदियों का सीना छलनी कर रहे इस सवाल का जवाब शायद ही कोई दे पाए। जिले का शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण हर जगह खनन माफिया पुलिस से दो हाथ आगे नजर आ रहे।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 10:12 AM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 10:12 AM (IST)
देहरादून: बड़ा सवाल, आखिर किसकी सरपरस्ती में बेखौफ हैं खनन माफिया?
बड़ा सवाल, आखिर किसकी सरपरस्ती में बेखौफ हैं खनन माफिया। जागरण

देहरादून, अंकुर अग्रवाल। दून में खनन माफिया किसकी सरपरस्ती में धड़ल्ले से नदियों का सीना छलनी कर रहे, इस सवाल का जवाब शायद ही कोई दे पाए। जिले का शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण, हर जगह खनन माफिया पुलिस से दो हाथ आगे नजर आ रहे। अक्सर खनन माफिया और पुलिस के गठजोड़ भी उजागर हो चुके हैं और आरोपित पुलिसकर्मियों के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई भी हुई, लेकिन खनन माफिया की दबंगई बदस्तूर जारी है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में जिस तरह फर्जी रवन्ने पर चल रहे अवैध खनन के 'खेल' का एसटीएफ ने पर्दाफाश किया, उससे भी पूरी व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। सवाल यह भी कि जिला प्रशासन और पुलिस क्यों इससे नजरें फेरे रहे।

loksabha election banner

जिले में फर्जी रवन्ने पर अवैध खनन की घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि खनन माफिया सिर्फ बेखौफ ही नहीं है बल्कि उसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बड़े स्तर पर संरक्षण भी हासिल है। लंबे समय से डोईवाला, विकासनगर, कैंट, ऋषिकेश, सहसपुर, वसंत विहार, राजपुर और रायपुर क्षेत्र विवादों से घिरे आ रहे हैं। गुजरे कुछ वर्षो से इन सभी क्षेत्रों में नदियों में अवैध खनन जोरों पर चल रहा है। पहले रात में चोरी-छिपे धंधा चलता था, पर आजकल दिनदहाड़े नदियों का सीना चीरा जा रहा। लगभग छह साल पूर्व जिले के तत्कालीन एसएसपी ने खुद सहसपुर, वसंत विहार और कैंट क्षेत्र में खनन के खिलाफ डंडा उठाया था तो उसमें पुलिस भी सवालों का हिस्सा बनी थी। उसमें माफिया और पुलिस की एक क्लिपिंग मिली थी, जिसमें दारोगा-सिपाही आसन नदी से अवैध खनन कर रहे ट्रकों और ट्रॉलियों को सुरक्षा देते नजर आ रहे थे। 

इस मामले में विकासनगर की डाकपत्थर चौकी के सिपाहियों को सस्पेंड किया गया। खनन माफिया के सरपरस्तों में सफेदपोशों का भी बड़ा हाथ माना जाता है। जब कभी पुलिस-प्रशासन इनके विरुद्ध डंडा उठाते हैं, हर बार सफेदपोश आड़े आ जाते हैं। सड़क पर हंगामा, प्रदर्शन व नारेबाजी तक की जा चुकी है। इतना जरूर है कि सफेदपोशों का चेहरा कभी उजागर नहीं हुआ, जबकि जिला पुलिस सीधे टारगेट पर रही। डोईवाला क्षेत्र में शनिवार को फर्जी रवन्ने पर अवैध खनन का मामला सामने आने के बाद साबित हो गया है कि दबंग खनन माफिया को कोई खौफ नहीं।

दबंगई का अड्डा बना पछवादून

पछवादून में खनन माफिया पुलिस, प्रशासन व वन विभाग की टीम पर दबंगई दिखाकर लगातार हमले कर रहे हैं। प्रभावी कार्रवाई न होने से माफिया बेखौफ हैं। न तो ये अधिकारियों को धमकी देने से बाज आते, न ही हमले करने से। गुजरे छह साल में ही पुलिस और प्रशासन की टीम पर जानलेवा हमले के करीब 10 मामले सामने आ चुके हैं। विकासनगर क्षेत्र में यमुना का एक किनारा उत्तराखंड और दूसरा किनारा हिमाचल प्रदेश में लगता है। दोनों प्रदेशों के बीच यमुना का सीमांकन भी नहीं है। जिस वजह से पुलिस और प्रशासन की छापेमारी यहां बेअसर साबित होती है। जब माफिया के विरुद्ध उत्तराखंड के अधिकारी छापे की कार्रवाई करते हैं तो माफिया उन पर हमले, पथराव जैसी कार्रवाई करते हैं या हिमाचल की सीमा में भाग जाते हैं। कुछ वर्ष पहले विकासनगर तहसील की तत्कालीन नायब तहसीलदार शालिनी नेगी व ऋचा सिंह की सरकारी गाड़ियां पलटने का प्रयास भी हो चुका है।

पुलिस पर भी उठती रही है अंगुली

सांठगांठ के इस 'खेल' में पुलिस की भूमिका संदेह से परे नही हैं। तीन साल पूर्व सितंबर 2017 में यह खुलासा हुआ था कि पुलिस खुद 'खनन-मार्ग' का ख्याल रखती है और खनन वाहनों को सुरक्षा प्रदान कर रही है। इसमें विकासनगर थाने की कुल्हाल चौकी पुलिस सस्पेंड हुई और एक हफ्ते के बाद रायपुर के निरीक्षक, एक दारोगा समेत चार पुलिसकर्मियों पर गाज गिरी। इतना ही नहीं मार्च-2017 में विकासनगर थाने की हरबर्टपुर पुलिस चौकी की गिरफ्त से खनन माफिया पांच सीज डंपर चौकी के बाहर से खुलेआम छुड़ा ले गए थे। मामला जमकर उछला लेकिन पुलिस अधिकारी मौन साधे रहे। इसके बावजूद खाकी और माफिया की सांठगांठ कम नहीं हुई।

ओवरलोडिंग पर भी नहीं लगाम

खनन माफिया की आड़ में वैध तरीके से रेत-बजरी लाने वाले ट्रकों की ओवरलोडिंग रोकने में भी पुलिस नाकाम साबित हो रही। दूसरे राज्यों से क्रशर से खनन सामग्री लाने का दावा करने वाले ट्रकों में अधिकृत सीमा से दोगुना माल लादकर लाया जा रहा। हर मार्ग पर पुलिस बैरियर होने के बावजूद ट्रक बेधड़क निकल जाते हैं।

सीसीटीवी कैमरे के आदेश भी हवा

दून-पांवटा, दून-हरिद्वार राजमार्ग समेत खनन से जुड़े तमाम मार्गों पर ओवरलोड ट्रकों को रोकने के लिए दिए प्रशासन के सीसीटीवी कैमरों के आदेश हवाई साबित हो रहे हैं। जून-2012 में तत्कालीन डीएम व एसएसपी ने सीसीटीवी कैमरों के साथ ही फ्लाइंग स्क्वायड नियुक्त करने के दावे किए थे, लेकिन अफसरों के जाते ही दावे फाइलों में सिमटकर बंद हो गए।

हरिद्वार में भी यही स्थिति

दून की तरह हरिद्वार जनपद में भी अवैध खनन का धंधा जोरों ने फलफूल रहा। बीते दिनों एसएसपी हरिद्वार ने गुप्त चेंकिंग कराई तो इसका खुलासा हुआ। हरिद्वार में चेकिंग के दौरान पुलिस-प्रशासन पर हमले के कईं मामले सामने आ चुके हैं।

वहीं, जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि सभी उपजिलाधिकारियों को पुलिस और परिवहन विभाग के साथ समन्वय बनाकर खनन माफिया पर कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। इसके साथ ही खनिज विभाग की टीम को भी औचक निरीक्षण कर कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।

यह भी पढ़ें: देहरादून: STF ने खंगाला माफिया का रिकॉर्ड, ई-रवन्ना पोर्टल पर फर्जी आइडी बना अवैध खनन का मामला


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.