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बड़े खतरे का संकेत हो सकते हैं भूकंप के हल्के झटके

वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार के मुताबिक कम अंतराल में आ रहे छोटे भूंकप से संकेत मिल रहे हैं कि भविष्य में कभी भी बेहद बड़ा भूकंप आ सकता है।

By BhanuEdited By: Published: Sat, 30 Dec 2017 08:30 AM (IST)Updated: Sat, 30 Dec 2017 10:38 PM (IST)
बड़े खतरे का संकेत हो सकते हैं भूकंप के हल्के झटके
बड़े खतरे का संकेत हो सकते हैं भूकंप के हल्के झटके

देहरादून, [अशोक केडियाल]: महज ढाई साल के अंतराल में उत्तराखंड की धरती पर भूकंप के 47 झटके आ चुके हैं। रिक्टर स्केल पर इनकी तीव्रता 3.2 से 5.8 तक रही है। भूकंप के ये झटके बेशक छोटे रहे, लेकिन इनसे संकेत मिल रहे हैं कि भविष्य में कभी भी बेहद बड़ा भूकंप आ सकता है। यह आशंका हम नहीं जाहिर कर रहे, बल्कि यह आशंका वैज्ञानिकों की है।

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वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार के मुताबिक कम अंतराल में आ रहे छोटे भूंकप यह बता रहे हैं कि भूगर्भ में लगातार तनाव की स्थिति बनी है। छोटे भूकंप से यह अंदाजा नहीं लगाना चाहिए कि ऊर्जा बाहर आ रही है, बल्कि इसका मतलब यह भी है कि टेक्टोनिक प्लेटों की टकराहट से ऊर्जा तो अधिक पैदा हो रही है, मगर उसके मुताबिक कम ही बाहर आ रही है।  

भूकंप की दृष्टि से यूं तो संपूर्ण उत्तराखंड ही संवेदनशील है, लेकिन चमोली, पिथौरागढ, बागेश्वर, उत्तरकाशी एवं रुद्रप्रयाग जनपद बेहद संवेदनशील जोन पांच में आते हैं। बीते गुरुवार को 4.7 रिक्टर स्केल के भूकंप का केंद्र रुद्रप्रयाग व चमोली जिले की सीमा पर बताया गया है। 

इसी महीने छह दिसंबर 2017 को भी रुद्रप्रयाग जिले में 5.5 तीव्रता का भूकंप आया था। कुल मिलाकर इस वर्ष उत्तराखंड में 16 बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि इतनी तीव्रता इतनी अधिक नहीं रही कि कहीं जानमाल का नुकसान हुआ हो, लेकिन कम अंतराल में आ रहे भूकंप के झटकों से लोग भयभीत हैं।

राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के मुताबिक उत्तर भारत खासकर उत्तराखंड समेत हिमाचल प्रदेश, जम्मू एंड कश्मीर, पंजाब के क्षेत्रों में भूकंप आने की आशंका हर समय बनी रहती है। यह भूकंप आने वाले दिनों से लेकर 50 साल बाद भी आ सकता है। इसकी प्रमुख वजह है इन हिमालयी क्षेत्र की भूगर्भीय प्लेटों का लगातार तनाव की स्थिति में रहना। भूगर्भ में टेक्टोनिक प्लेटें लगातार रेपचर हो रही हैं, जिससे भूगर्भीय हलचल भूकंप के रूप में देखी जा सकती है। 

डॉ. सुशील कुमार के मुताबिक इंडियन प्लेट सालाना 45 मिलीमीटर की रफ्तार से यूरेशियन प्लेट की ओर खिसक रही है। इससे भूगर्भ में लगातार ऊर्जा संचित हो रही है। तनाव बढऩे से निकलने वाली अत्यधिक ऊर्जा से भूगर्भीय चट्टानें फट सकती हैं। 2000 किलोमीटर लंबी हिमालय श्रृंखला के हर 100 किमी क्षेत्र में उच्च क्षमता का भूकंप आ सकता है। हिमालयी क्षेत्र में ऐसे 20 स्थान हो सकते हैं।

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