उत्तराखंड में 400 करोड़ से बड़े प्रोजेक्ट की नई श्रेणी तय
प्रदेश में 400 करोड़ और इससे बड़े उद्योगों के लिए अतिरिक्त सुपर अल्ट्रा मेगा प्रोजेक्ट केटेगरी बनाई गई है। इस श्रेणी के उद्यमियों को सिडकुल में जमीन खरीदने पर 30 फीसद सब्सिडी मिलेग
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में 400 करोड़ और इससे बड़े उद्योगों के लिए अतिरिक्त सुपर अल्ट्रा मेगा प्रोजेक्ट केटेगरी बनाई गई है। इस श्रेणी के उद्यमियों को सिडकुल में जमीन खरीदने पर 30 फीसद सब्सिडी मिलेगी। साथ ही बड़े प्रोजेक्ट को मिलने वाली तमाम सुविधाएं हासिल होंगी। इन लाभों को लेने के लिए उद्योग में 400 लोगों को रोजगार भी देना होगा।
मंत्रिमंडल ने मेगा इंडस्ट्रियल इन्वेस्टमेंट पॉलिसी-2015 में संशोधन को हरी झंडी दिखा दी। इस संशोधित नीति में केंद्र की नेगेटिव सूची में शामिल उद्यमों और कारोबार को राज्य में भी नेगेटिव लिस्ट में शामिल किया गया है। इससे प्रदेश में अब भविष्य में तंबाकू उत्पादों, पान मसाला, सीमेंट-स्टील रोलिंग मिल, 20 माइक्रॉन से कम प्लास्टिक थैलियों का निर्माण, पेट्रोलियम-गैस आधारित शोधशालाओं, कोक व फ्लाई एश आधारित उद्योग, नर्सरी आदि उद्योगों को अनुमति नहीं मिलेगी। नेगेटिव सूची में शामिल बड़े उद्योगों के लिए नई नीति लागू होने के बाद राज्य में आने की राह बंद हो जाएगी, लेकिन जो उद्यम मंजूरी ले चुके हैं और 30 सितंबर 2021 तक वाणिज्यिक उत्पादन शुरू कर देंगे, उन्हें अगले पांच साल तक उक्त नीति के तहत मिलने वाले लाभ मिलते रहेंगे।
मंत्रिमंडल ने उक्त नीति में एक अन्य श्रेणी सुपर अल्ट्रा प्रोजेक्ट को शामिल किया है। 400 करोड़ या इससे ज्यादा लागत के इन उद्योगों को ब्याज में अधिकतम 75 लाख की सब्सिडी मिलेगी। उन्हें बिजली बिल में भी 50 लाख से 1.5 करोड़ तक ही लाभ मिलेगा। साथ में बिजनेस टू कंज्यूमर नीति के तहत स्टेट जीएसटी में 50 फीसद वापस किया जाएगा। प्रदेश में करीब डेढ़ दर्जन बड़े उद्योगों को अनुमति मिल चुकी है। इनमें से कुछ उद्योग जल्दी उत्पादन की स्थिति में भी हैं।
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मंत्रिमंडल ने मेगा टेक्सटाइल पार्क नीति में संशोधन किया है। इस नीति को 31 मार्च, 2021 से 31 मार्च, 2023 तक बढ़ाया गया है। इस नीति में संशोधन कर केंद्रीय बिक्रीकर और इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी की व्यवस्था खत्म की गई है। मंत्रिमंडल ने स्टार्ट अप नीति-2016 में आंशिक संशोधन पर मुहर लगाई। इसीतरह उत्तराखंड उपकर अधिनियम-2015 के तहत परिभाषित विक्रय कीमत में संशोधन किया गया है।
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