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आर्किटेक्‍ट के नक्‍शे पर मुहर लगाकर औपचारिकता पूरी कर रहे स्‍ट्रक्‍चरल इंजीनियर, जानिए

स्ट्रक्चरल इंजीनियर ड्राइंग तैयार किए बिना भवन के सामान्य ले-आउटपर ही मुहर लगा रहे हैं और एमडीडीए भी चुपचाप नक्शों को जमा कर रहा है।

By Edited By: Published: Fri, 14 Dec 2018 03:00 AM (IST)Updated: Fri, 14 Dec 2018 11:37 AM (IST)
आर्किटेक्‍ट के नक्‍शे पर मुहर लगाकर औपचारिकता पूरी कर रहे स्‍ट्रक्‍चरल इंजीनियर, जानिए
आर्किटेक्‍ट के नक्‍शे पर मुहर लगाकर औपचारिकता पूरी कर रहे स्‍ट्रक्‍चरल इंजीनियर, जानिए

देहरादून, जेएनएन। एमडीडीए ने भूकंप के अतिसंवेदनशील जोन-4 में आने वाले दून में भूकंपरोधी भवन निर्माण की उम्मीद जगाई है। अच्छा होता कि इसका अनुपालन फूलप्रूफ प्लान के माध्यम से कराया जाता। क्योंकि भूकंपरोधी भवन निर्माण की अनिवार्यता शुरुआत में ही महज एक औपचारिकता बनने लगी है।

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स्ट्रक्चरल इंजीनियर ड्राइंग तैयार किए बिना भवन के सामान्य ले-आउट (नक्शे) पर ही मुहर लगा रहे हैं और एमडीडीए भी चुपचाप नक्शों को जमा कर रहा है। इससे भूकंपरोधी भवन निर्माण तो सुनिश्चित होना संभव नहीं है, मगर एक और औपचारिकता से भवन निर्माण करने वाले व्यक्ति पर पांच से 10 हजार रुपये का अतिरिक्त बोझ जरूर पड़ रहा है।

मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने एक मंजिला भवन निर्माण के लिए भी स्ट्रक्चरल इंजीनियर के प्रमाण पत्र को अनिवार्य किया है। इसका आशय यह हुआ कि आर्किटेक्ट की ओर से तैयार किए गए नक्शे के साथ ही एक स्ट्रक्चरल डिजाइन भी लगानी है। ताकि स्पष्ट हो सके कि ड्राइंग भूकंपरोधी है और भवन का निर्माण इसी के अनुरूप किया जाना है। यदि जल्द एमडीडीए ने स्ट्रक्चरल इंजीनियर के प्रमाण पत्र की व्यवस्था को सख्ती से लागू नहीं किया तो यह नियम लोगों पर एक अतिरिक्त भार से अधिक कुछ नहीं होगा।

यह है स्ट्रक्चरल ड्राइंग का मतलब 

उत्तराखंड अर्किटेक्ट एंड इंजीनियर एसोसिएशन के कार्यकारी अध्यक्ष डीएस राणा के अनुसार स्ट्रक्चरल ड्राइंग में स्पष्ट किया जाता है कि नींव किस तरह बननी है, कॉलम व छत पर किस अनुपात व क्षमता के सरिये लगने हैं। साथ ही इसमें कॉलम व कॉन्क्रीट की स्थिति भी स्पष्ट की जाती है। इन तमाम चीजों का उल्लेख करने के बाद स्पष्ट किया जा सकता है कि ड्राइंग भूकंपरोधी है या नहीं।

बड़े निर्माण में साइट निरीक्षण भी जरूरी 

दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी समेत देश के विभिन्न विकास प्राधिकरणों में स्ट्रक्चरल इंजीनियर के प्रमाण पत्र को ही अंतिम सत्य नहीं मान लिया जाता है। वहां नींव पड़ने पर भी साइट का निरीक्षण किया जाता है और पुख्ता होने के बाद आगे के निर्माण की अनुमति दी जाती है। इसी तरह हर मंजिल के निर्माण के बाद संबंधित प्राधिकरण के अधिकारी साइट का दौरा करते हैं और फिर आगे के निर्माण को हरी झंडी दी जाती है। जबकि दून में नौ मीटर से अधिक ऊंचाई के निर्माण में समय-समय पर स्ट्रक्चरल इंजीनियर के प्रमाण पत्र की जरूरत तो पड़ती है, लेकिन प्राधिकरण की तरफ से इस बात का सत्यापन नहीं किया जाता है।

पीसी दुम्का सचिव (एमडीडीए) का कहना है कि नई व्यवस्था का मतलब यही है कि भवन के ले-आउट प्लान के साथ स्ट्रक्चरल ड्राइंग भी संलग्न हो। एमडीडीए बिना ड्राइंग के नक्शों को स्वीकार नहीं कर सकता। यदि कहीं पर इस बात का अनुपालन नहीं किया जा रहा है तो उस पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। 

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