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देहरादूनः सुपर-100 और सुपर-30 से गरीब प्रतिभाओं को मिलेगा मौका

दून के उच्च शिक्षण संस्थानों से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के संस्थानों में कई ऐसे विशेषज्ञ हैं, जो आधुनिक उच्च शिक्षा एवं नवीन तकनीकी की जानकारी से बखूबी लैस हैं।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Fri, 27 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 27 Jul 2018 11:38 AM (IST)
देहरादूनः सुपर-100 और सुपर-30 से गरीब प्रतिभाओं को मिलेगा मौका

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तकनीकी परिवर्तन और इनोवेशन तेजी से बढ़ रहा है। इस लिहाज से देखें तो दून में उच्च और तकनीकी शिक्षा की दशा कुछ पटरी पर नजर आती है। दून के सरकारी और निजी विश्वविद्यालय और प्रौद्योगिकी संस्थान ड्रोन तकनीक विकसित करने में सफल हो गए हैं। यहां के छात्र उच्च शिक्षा एवं तकनीकी के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। दून में कई सेमीनारों में उन्होंने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन भी किया है।

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यह कहना हैं सेवानिवृत्त विशेष कार्याधिकारी भाषा विभाग और प्रभारी निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. सविता मोहन का। वह कहती हैं कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी डीएवी एवं डीबीएस जैसे महाविद्यालयों से शिक्षा ग्रहण कर निकली प्रतिभाओं ने तमाम क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ी है।

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40 हजार विद्यार्थी हो रहे पारंगत

डॉ. सविता कहती हैं कि 21वीं शताब्दी शुरू होते ही दुनियाभर में उच्च गुणात्मक शिक्षा और एडवांस तकनीकी पर जोर दिया जाने लगा। इसका प्रभाव दून पर भी पड़ा। कई निजी विश्वविद्यालयों के अलावा दून विवि एवं उत्तराखंड तकनीकी विवि (यूटीयू) जैसे संस्थान यहां अस्तित्व में आए। इनमें शिक्षा, शोध के अलावा विस्तार शिक्षा को बढ़ावा दिया जाने लगा। इसके साथ ही दर्जनों तकनीकी शिक्षण संस्थान भी यहां से संचालित किए जाने लगे।

आज दून एवं आसपास के क्षेत्रों में सौ से भी अधिक संस्थानों में 40 हजार से अधिक विद्यार्थी हैं, जो एमबीए, बीसीए, बीटेक, ऑटोमोबाइल, पर्यावरण, सिविल इंजीनियरिंग, हाइड्रो इंजीनियरिंग, पॉवर इंजीनियरिंग, रोबोटिक इंजीनियरिंग समेत अन्य पाठ्यक्रमों में पारंगत हो रहे हैं।

गुणवत्ता युक्त उच्च शिक्षा का हो ध्येय

डॉ. सविता मोहन के अनुसार माध्यमिक शिक्षा की प्राप्ति के उपरांत युवावर्ग को आवश्यकता एवं मांग के अनुसार गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराना हमारा ध्येय होना चाहिए। युवाओं को सांस्कृतिक विरासत से परिचित एवं शोधपरक विकास प्रवर्तन करना होगा, जिससे वह वैश्विक चुनौतियों का सामना कर सकें। पारंपरिक शिक्षा के साथ रोजगार पाठ्यक्रमों का संचालन और पेशेवर रुख अपनाना भी समय की मांग है। उत्तराखंड को ज्ञान के केंद्र के रूप में विकसित कर एक जागृत और समृद्ध राज्य बनाना हमारा मकसद होना चाहिए।

प्रतिभाओं को मौका देने का समय

डॉ. सविता का मानना है कि अब समय आ गया है कि कोई भी प्रतिभावान युवा केवल इसलिए पीछे न रहे कि वह आर्थिक रूप से कमजोर है। राज्य सरकार ऐसी प्रतिभाओं को सुनहरा अवसर प्रदान कर रही है। गरीब प्रतिभावान विद्यार्थियों के लिए सुपर-100 एवं सुपर-30 जैसे प्रोग्राम लॉच किए गए हैं।

इसके तहत विश्वस्तरीय गेल कंपनी के सहयोग से आइएएस, पीसीएस, एनआइटी, आइआइटी जैसे कोर्स की कोचिंग उन्हें मिलेगी। दून के उच्च शिक्षा प्राप्त विद्यार्थी प्रतिवर्ष इसका लाभ उठा सकते हैं।

विशेषज्ञों के ज्ञान का उठाएं लाभ

दून के उच्च शिक्षण संस्थानों से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के संस्थानों में कई ऐसे विशेषज्ञ हैं, जो आधुनिक उच्च शिक्षा एवं नवीन तकनीकी की जानकारी से बखूबी लैस हैं। डॉ. सविता कहती हैं कि इन विशेषज्ञों के नॉलेज से दून समेत राज्य को लाभ मिलना चाहिए, ताकि युवा शक्ति को अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धा की तैयारी में लाभ मिल सके। विभिन्न संस्थानों के बीच तकनीकी ज्ञान हस्तांतरण से यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा।

हालांकि, दून के निजी उच्च संस्थान तो विद्यार्थियों को आकर्षित कर ही रहे हैं। सरकारी एवं संबद्ध महाविद्यालयों को भी राष्ट्रीय उच्चस्तर शिक्षा अभियान (रूसा) की ओर से अच्छी ग्रांट मिल रही है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इसका लाभ दून समेत राज्य के युवाओं को मिलेगा।

उच्च शिक्षा में 38 वर्षों का अनुभव
डॉ. सविता मोहन का जन्म पौड़ी जिले के ग्राम ढौंड में 29 जून 1953 को हुआ। एमए और पीएचडी करने के बाद वह पिछले 38 वर्षों तक उच्च शिक्षा विभाग के कई अहम पदों पर रही। 30 जून, 2018 को सेवानिवृत्त होने से पहले वह विशेष कार्याधिकारी भाषा विभाग और प्रभारी निदेशक उच्च शिक्षा के पद पर रहीं।

इसके अलावा उन्होंने उत्तराखंड संस्कृत विश्व विद्यालय के कुलसचिव, संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा जैसे अहम पदों की जिम्मेदारी संभाली। हिन्दी साहित्य की वह विषय विशेषज्ञ हैं। राज्य की संस्कृति, साहित्य एवं भाषा का भी उन्होंने अध्ययन किया है।

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