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देहरादूनः रिस्पना नदी को पुर्नजीवित करने के लिए 17 साल की उम्र में रखी 'मेकिंग ए डिफरेंस' की नींव

रिस्पना नदी के पुनर्जीवन की यह पहल मैड के संस्थापक अध्यक्ष अभिजय नेगी और उनके साथियों के लिए आसान नहीं रही।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Mon, 16 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Sun, 15 Jul 2018 06:00 AM (IST)
देहरादूनः रिस्पना नदी को पुर्नजीवित करने के लिए 17 साल की उम्र में रखी 'मेकिंग ए डिफरेंस' की नींव

आज के आधुनिक युग में हमारी युवा पीढ़ी के बीच बस एक ही रेस लगी, दूसरे से खुद को बेहतर साबित करने की। 12वीं कक्षा पास करते ही यह रेस और भी तेज हो जाती है। छात्रों के मन में एक ही सपना होता है, अच्छे से अच्छे शिक्षण संस्थान में दाखिला और उसके बाद बड़े पैकेज की नौकरी। इस सब के बीच कुछ बिरले युवा ऐसे भी हैं, जिनकी रेस खुद के लिए नहीं होती। दून के अभिजय नेगी भी ऐसे युवाओं में से एक हैं।

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वर्ष 2011 में 12वीं कक्षा पास करते ही उन्होंने महज 17 साल की उम्र में अपने जैसे कुछ साथियों की मदद से 'मेकिंग ए डिफरेंस बाई बीइंग द डिफरेंस' (मैड) नामक संस्था शुरू की। जिसका मकसद था दून को उसकी खोई हुई आबोहवा को वापस लौटाना। शहर में दाग लगा रही गंदगी के प्रति जागरूक करने को लेकर न सिर्फ इस संस्था के युवाओं ने पहल की, बल्कि गंदगी के बोझ तले मरणासन्न हालत में पहुंच चुकी रिस्पना और बिंदाल नदी के पुनर्जीवन को मैड ने अपना लक्ष्य बना लिया। आज मैड की ही मेहनत का नतीजा है कि रिस्पना नदी के पुनर्जीवीकरण की दिशा में काम भी शुरू किया जा चुका है और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद इस काम की मॉनिटरिंग कर रहे हैं।

रिस्पना नदी के पुनर्जीवन की यह पहल मैड के संस्थापक अध्यक्ष अभिजय नेगी और उनके साथियों के लिए आसान नहीं रही। उन्हें लंबा समय यह साबित करने में लग गया कि कभी दून के सौंदर्य में चार चांद लगाने वाली बारामासी रिस्पना नदी सिर्फ गंदा नाला बनकर रह गई है। इसके प्रति मैड ने रिस्पना नदी के संगम स्थल (मोथरोवाला) से लेकर उद्गम स्थल मासी फॉल तक पैदल यात्रा भी की। मैड के युवा स्वयं सेवक नदी के दोनों छोर समेत आसपास के क्षेत्र से कूड़ा एकत्रित करते और लोगों को नदी की सफाई के प्रति जागरुक भी करते।

इसके अलावा रिस्पना नदी के पुनर्जीवन की दिशा में विभिन्न विभागों में 51 बार आरटीआई भी लगाई गई। अभिजय नेगी और उनके साथियों ने ही राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआइएच), रुड़की की उस सर्वे रिपोर्ट को सरकार के समक्ष रखा, जिसमें रिस्पना को न सिर्फ बारामासी नदी बताया गया था, बल्कि यह भी दावा किया गया था कि नदी को पुनर्जीवित किया जा सकता है। मैड के अथक प्रयास की बदौलत ही सरकार को भी इस दिशा में ठोस शुरुआत करने को बाध्य होना पड़ा।

अब तक चलाई जा चुकी 260 ड्राइव
मैड के संस्थापक अध्यक्ष अभिजय नेगी अब तक दून में कूड़ा उठान को लेकर 260 ड्राइव चला चुके हैं। जहां भी इन युवाओं को कूड़े के ढेर नजर आते हैं, यह सफाई में जुट जाते हैं। बीते दिनों जब दून में सफाई कर्मियों ने हड़ताल शुरू कर दी थी और शहर कूड़े के ढेर में तब्दील होने लगा था, तब भी मैड के स्वयंसेवकों ने शहर को साफ करने की दिशा में भरसक प्रयास किया। यह मुहिम बदस्तूर जारी है।

गंदी दीवारों को साफ करने को अपनाया अनोखा तरीका
मैड ने शहर की गंदी दीवारों को साफ करने की दिशा में पेंटिंग का अनोखा तरीका अपनाया। शहर की ऐसी तमाम सार्वजनिक दीवारों का चयन किया गया, जो गंदगी से बदरंग हो चुकी थीं। मैड ने इनमें पेटिंग कर नया रूप देना शुरू कर दिया। साथ ही लोगों को इन्हें बदरंग न करने की अपील वाले स्लोगन भी लिखे। अभिजय नेगी के नेतृत्व में अब तक शहर की 53 दीवारों को नया रूप दिया जा चुका है।

सात से 123 हो चुके स्वयंसेवक
अभिजय नेगी ने मैड की शुरुआत वर्ष 2011 में अपने जैसे सात नवयुवा साथियों के साथ की थी, जबकि आज इस स्वयं सेवी संस्था के सक्रिय सदस्यों की संख्या 123 हो चुकी है, जो सुंदर दून की परिकल्पना के लिए हर समय तत्पर रहते हैं। यह मैड का प्रयास ही है कि फेसबुक पर इस संस्था को समर्थन करने वाले लोगों की संख्या 13 हजार पार कर गई है।

अब कानूनी रूप से भी लड़ेंगे शहर की लड़ाई
मैड के संस्थापक अध्यक्ष अभिजय नेगी ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी जोधपुर से विधि की शिक्षा ग्रहण की है। वर्ष 2015 में देशभर के 1400 विधि छात्रों में से अकेले अभिजय को सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर पुरस्कृत भी कर चुके हैं। अब अभिजय ने नैनीताल हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू कर दी है। उनका कहना है कि शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए अब वह कानूनी रूप से भी लड़ाई लड़ेंगे।


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