देहरादून: बेरोजगारों को अवसर देने की पहल सार्थक
दून के इन विवि को बेहतर मैनपॉवर तैयार करने के साथ-साथ उसे बेहतर रोजगार के लिए भी प्रयास करने होंगे।
स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक के क्षेत्र में दून ने समय के साथ बेहतर तरक्की की, लेकिन तेजी से बदलते वैश्विक बाजार में आज शिक्षा को रोजगार से जोड़ना सबसे बड़ी चुनौती है। दून में पंजीकृत उच्च शिक्षा प्राप्त बेरोजगारों की संख्या तीन लाख से ऊपर है। ऐसे में सभी को रोजगार देना संभव नहीं है, लिहाजा हमें तकनीकी शिक्षा के जरिये स्वरोजगार के अवसर जुटाने होंगे। चुनौती इस बात की भी है कि विषय परिस्थितियों वाले उत्तराखंड में संसाधन सीमित हैं। इन्हीं उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग कर रोजगार के अधिक से अधिक अवसर जुटाने होंगे। इस लिहाज से दून में बेरोजगारों को रोजगार देने की पहल कुछ सार्थक होती दिखती है।
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अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप शिक्षा, शोध एवं विस्तार के क्षेत्र में दो बड़े विश्वविद्यालय दून विवि एवं उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय समग्र प्रयास कर भी रहे हैं। दून के इन विवि को बेहतर मैनपॉवर तैयार करने के साथ-साथ उसे बेहतर रोजगार के लिए भी प्रयास करने होंगे, ताकि युवाओं को कॅरियर के लिए पलायन ना करना पड़े। उदाहरण के तौर पर दून विश्वविद्यालय में स्थापित होने जा रहे डॉ. नित्यानंद हिमालयी शोध संस्थान भविष्य में ना केवल राज्य के जल, जंगल और जमीन के साथ-साथ पर्यावरण जटिलता पर शोध करने का मौका मिलेगा, बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
साझा करना होगा तकनीकी ज्ञान
दून में भारतीय वन अनुसंधान संस्थान, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम, भारतीय वन्यजीव संस्थान जैसे स्थापित हैं। इनमें शिक्षा, शोध एवं विस्तार के साथ-साथ नवाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। इन राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों के साथ दून विवि, यूटीयू, दून के चारों कॉलेज डीएवी, डीबीएस, एमकेपी, श्री गुरूराम राय महाविद्यालय, महिला प्रौद्योगिकी संस्थान, पॉलिटेक्निक, आईटीआई संस्थानों को परस्पर इंटरनेट कनेक्टिीविटी से जोड़ा जाता है तो इससे न केवल नवाचार को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि वैश्विक तकनीकी में हो रहे नित नए क्रांतिकारी परिवर्तन की जानकारी भी मिलेगी।
इसकी पहल दून विवि एवं यूटीयू ने तो शुरू कर भी दी है। दोनों विवि के पुस्तकालयों के बीच इंट्रा कनेक्टिविटी प्रारंभ हो चुकी है, जिसका शुभारंभ राज्यपाल डॉ. केके पॉल ने किया था।
उद्योग आधारित कोर्स की डिमांड
शिक्षा हब दून में औद्योगिक इकाइयों की संख्या भी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। 30 जून, 2018 तक के आंकड़ों को देखें तो दून में 5812 बड़े, मध्यम एवं सूक्ष्म इकाइयां चल रही हैं, जिनमें 1500 करोड़ से अधिक का निवेश हुआ है। इन उद्योगों में 39946 लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
उत्तराखंड औद्योगिक संगठन एवं भारतीय उद्योग परिसंघ चाहते हैं कि दून के बड़े विवि ऐसे कोर्स डिजाइन करें, जो उद्योगों की जरूरत को पूरा करते हों। इसी को देखते हुए उत्तराखंड तकनीकी विवि ने काम भी शुरू कर दिया है। जल्द ही विवि में उद्योग आधारित कोर्स शुरू हो जाएंगे।
स्वरोजगार को मिले बढ़ावा
दून एवं साथ लगते पंद्रह किलोमीटर के दायरे में सरकारी, संबद्ध एवं निजी उच्च शिक्षा संस्थानों की संख्या 130 से अधिक हैं। इनमें पारंपरिक कोर्स के अलावा प्रोफेशनल कोर्स चल रहे हैं, जिनमें एमबीए, एमसीए, बीबीए, बीटेक, एमटेक, एम. फार्मा, होटल मैनेजमेंट, ऑटोमोबाइल, बीएड जैसे कोर्स में 1.20 लाख से अधिक दाखिले हैं। प्रतिवर्ष 30 हजार युवा उच्च शिक्षा की उपाधि प्राप्त कर रहे हैं।
डिग्री लेने वाले प्रत्येक युवा को नौकरी मुहैया करवाना किसी भी सरकार के लिए संभव नहीं है। ऐसे में स्वरोजगार की ओर रुख करना होगा। स्वरोजगार के लिए स्टार्टअप, एमएसएमई प्रोत्साहन योजना, वीरचंद्र सिंह गढ़वाली योजना का लाभ उठाकर युवा अपना स्वरोजगार शुरू कर सकता है और भविष्य में अन्य लोगों को भी रोजगार दे सकते हैं।
ट्यूशन सेंटर रोजगार का साधन
शहर में तीन सौ निजी स्कूल, 169 सरकारी स्कूल, दो सौ से अधिक उच्च शिक्षा संस्थान एवं 55 प्रशिक्षण केंद्रों में हजारों विद्यार्थी ने दाखिला लिया है। इनमें से 30 से 40 फीसद बच्चे ट्यूशन पढऩा चाहते हैं। ऐसे में बीएड, एमएड एवं किसी विषय में डॉक्टरेट की उपाधि लेने वाले युवा ट्यूशन के जरिये प्रतिमाह हजारों की आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। यह पहल परवान भी चढ़ी है।
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