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दून में 15 सालों में कट चुके 30 हजार से अधिक पेड़, प्रदूषण बन रहा चुनौती

दून के जिन इलाकों में अभी भी कुछ हरियाली बची है, वहां तापमान कम, जबकि अधिक भवन निर्माण और बाजार क्षेत्रों में तापमान अधिक पाया गया है।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Fri, 20 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 10:37 AM (IST)
दून में 15 सालों में कट चुके 30 हजार से अधिक पेड़, प्रदूषण बन रहा चुनौती

शहरीकरण में दून मेट्रो शहरों से कदमताल तो करने लगा है। मगर हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि बढ़ते शहरीकरण की दौड़ में कहीं हम दून की सुकून देने वाली आबोहवा को पीछे न छोड़ दें। यह कहना है कि मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के उपाध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार का।

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उनका कहना है कि हरियाली की कीमत पर शहरीकरण की रफ्तार को संतुलित करने के लिए तमाम योजनाओं को धरातल पर उतारने का काम चल रहा है। रिवर फ्रंट डेवलपमेंट की दिशा में रिस्पना और बिंदाल नदी और इनके किनारों का विकास कर हरियाली क्षेत्र को बढ़ाने की दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है। सहस्त्रधारा रोड पर करीब साढ़े 12 हेक्टेयर में प्रदेश के पहले सिटी पार्क के निर्माण में भी प्रगति दिनों दिन आगे बढ़ रही है।

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शहर के एमडीडीए पार्क (श्यामा प्रसाद मुखर्जी पार्क) को भी नया स्वरूप दिया जा रहा है। शहर में इस समय 126 पार्क हैं और 84 पार्कों के बेहतर रखरखाव के लिए इनकी जिम्मेदारी संबंधित हाउसिंग सोसाइटी को दी गई है, जबकि शेष पार्कों का रखरखाव एमडीडीए स्वयं करेगा। हालांकि, ओपन जिम की बात करें तो इसका दून में अभी अभाव है। सिर्फ गढ़ी कैंट बोर्ड और क्लेमेनटाउन कैंट बोर्ड में ही इस तरह के दो जिम हैं। 

इन सब उम्मीदों के बीच चिंता लगातार सिर उठा रही है, क्योंकि शहरीकरण के नाम पर राज्य गठन से 2015 के बीच 30 हजार से अधिक पेड़ों पर आरियां चलाई जा चुकी हैं। इसका असर दून के तापमान पर भी पड़ा है। घटती हरियाली और बढ़ते कंक्रीट के जंगलों का ही प्रभाव है कि शहर के तापमान में भी चार डिग्री तक का अंतर आ गया है।

दून के जिन इलाकों में अभी भी कुछ हरियाली बची है, वहां तापमान कम, जबकि अधिक भवन निर्माण और बाजार क्षेत्रों में तापमान अधिक पाया गया है। उदाहरण के लिए अधिक आबादी वाले पटेलनगर इलाके में पिछले साल मई माह में तापमान 39 डिग्री था, जबकि यहां से करीब सात किलोमीटर दूर कुछ हद तक हरियाली वाले मोहब्बेवाला इलाके में तापमान 34 डिग्री पाया गया। अन्य हिस्सों में भी तापमान वहां की मौजूदा धरातलीय स्थिति के अनुरूप कम-ज्यादा पाया गया।

इस तरह मिला तापमान में अंतर
क्षेत्र- तापमान
पटेलनगर- 39 डिग्री सेल्यिस
किशन नगर चौक- 38 डिग्री सेल्यिस
सुभाष नगर- 35 डिग्री सेल्यिस
एस्लेहॉल चौ- 37 डिग्री सेल्यिस
कौलागढ़ क्षेत्र- 36 डिग्री सेल्यिस
वाडिया संस्थान- 35 डिग्री सेल्यिस
धर्मपुर डांडा- 35 डिग्री सेल्यिस

वर्षवार कटे पेड़
वर्ष- काटे गए पेड़
2000- 423
2001- 685
2002- 1056
2003- 435
2004- 454
2005- 689
2006- 542
2007- 4268
2008- 521
2009- 5779
2010- 1670
2011- 3458
2012- 2827
2013- 2284
2014- 4911
2015- 950

देश के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में दून
जो शहर कभी स्वच्छ आबोहवा के लिए जाना जाता था, उसकी गिनती आज देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में होने लगी है। बढ़ता प्रदूषण भी दून के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। पिछले साल संसद में रखी गई रिपोर्ट के मुताबिक दून में पीएम (पार्टिकुलेट मैटर)-10 की मात्रा मानक से चार गुना 241 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर (वार्षिक औसत) पाई गई है, जबकि यह 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। दून के संभागीय परिवहन कार्यालय में हर साल करीब 54 हजार नए वाहन पंजीकृत हो रहे हैं, ऐसे में दून शहर में वायु प्रदूषण का ग्राफ दिनों-दिन बढ़ रहा है।

वायु प्रदूषण में टॉप टेन राज्य (पीएम-10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर)
राज्य, प्रदूषण का स्तर
दिल्ली- 278
वाराणसी- 256
बरेली- 253
देहरादून- 241
गाजियाबाद- 235
फिरोजाबाद- 223
सहारनपुर- 218
कानपुर- 217
खुर्जा- 216
लखनऊ- 2014

नियोजित विकास से होगा समाधान
राजधानी बनने के बाद से ही दून में निर्माण की बाढ़ आ गई और अनियोजित निर्माण को भी बढ़ावा मिला। इसके चलते निर्माण कार्य से निकलने वाले धूलकण पीएम-10 का स्तर और बढ़ा देते हैं। वायु प्रदूषण बढ़ाने में अनियोजित निर्माण भी एक बड़ी वजह है। एमडीडीए उपाध्यक्ष डॉ. आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि विकास को नियोजित कर प्रदूषण की समस्या पर अंकुश लगाया जा सकता है।

घटती हरियाली के लिए बनाना होगा फुलप्रूफ प्लान
दून में हरियाली का ग्राफ 65 फीसद से अधिक घट गया है। दून शहर कभी आम-लीची के बागों और बासमती की खेती के लिए जाना जाता था, जबकि आज इनकी जगह कंक्रीट के जंगल खड़े हो गए हैं। पेड़-पौधे वातावरण से कार्बनडाई ऑक्साइड को सोख लेते हैं, लेकिन तेजी से घटती हरियाली में यह क्षमता घटी और प्रदूषण तेजी से बढ़ता चला गया। लिहाजा, इस दिशा में भी गंभीरता के साथ प्रयास करने की जरूरत है।

अतिक्रमण पर अभूतपूर्व प्रयास शुरू
एमडीडीए के उपाध्यक्ष डॉ. आशीष का कहना है कि नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के बाद दून की सड़कों व फुटपाथ पर पसरे अतिक्रमण और अवैध निर्माण पर अभूतपूर्व कार्रवाई शुरू की जा चुकी है। यह कार्रवाई अभी जारी है और अभी तक उपलब्ध परिणाम अतिक्रमणमुक्त दून की कहानी बयां कर रहे हैं। 

इस अभियान में अब तक 1490 अतिक्रमण पर बुल्डोजर चलाया जा चुका है और 4100 ऐसे अतिक्रमण चिह्नित किए जा चुके हैं, जिन्हें कुछ दिनों में साफ कर दिया जाएगा। इसके अलावा 88 अवैध निर्माण को भी सील किया जा चुका है।


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