ऑन स्ट्रीट स्मार्ट पार्किंग सिस्टम से देहरादून को मिलेगी जाम से मुक्ति
जितेंद्र त्यागी का कहना है कि सरकार बेशक दून की सड़कों को बेहतर करने के भरसक प्रयास कर रही है, मगर ऐसे कार्यों को तय समय के भीतर पूरा कराने के लिए मजबूत प्रशासनिक क्षमता की जरूरत है।
संभागीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) देहरादून के आंकड़ों को देखें तो दून में बीते 18 सालों में आठ लाख से अधिक वाहन पंजीकृत हो चुके हैं। वर्तमान में हर साल 50 हजार से अधिक नए वाहन पंजीकृत हो रहे हैं। इस कारण से सड़कें वाहनों का भारी दबाव झेल रही हैं। प्रमुख सड़कों पर व्यस्ततम समय में पांच से छह हजार वाहन प्रति घंटे गुजर रहे हैं। अपने शहर को शानदार बनाने की मुहिम में शामिल हों, यहां करें क्लिक और रेट करें अपनी सिटी
उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी का कहना है कि इंडियन रोड कांग्रेस के मानकों के अनुरूप इतना वाहन दबाव झेलने के लिए सड़कों की चौड़ाई कम से कम फोर लेन होनी चाहिए। ऐसा नहीं है कि सड़कों की चौड़ाई बढ़ाने को लेकर सरकार ने कुछ नहीं किया।
राज्य गठन से अब तक तमाम सड़कों को चौड़ा किया गया और कई सड़कों पर चौड़ीकरण कार्य चल रहा है। फिर भी चौड़ीकरण कार्य एक सीमा तक ही किया जा सकता है। अब जरूरत है स्मार्ट रोड एंड ट्रांसपोर्ट सिस्टम की। अच्छी बात यह है कि इस दिशा में भी राज्य सरकार तेजी से प्रयास कर रही है।
दून में एक तरफ मेट्रो की परिकल्पना बुनी जा रही है, तो दूसरी तरफ एयर टैक्सी (पॉड टैक्सी) की तरफ भी कदम बढ़ाए जा रहे। इसके अलावा एमडीडीए इन दिनों सड़कों को जाम से निजात दिलाने और पार्किंग व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए ऑन स्ट्रीट स्मार्ट पार्किंग सिस्टम की दिशा में भी तेजी से काम कर रहा है। सड़कों की दशा में सुधार के लिए यह भी कम खास बात नहीं स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत शहर के कोर एरिया को स्मार्ट बनाया जाएगा।
सड़क सुधार की दिशा में यह हुए कार्य
- बल्लूपुर से कैंट को जाने वाली कैनाल रोड का चौड़ीकरण।
- नेहरू कॉलोनी बाईपास रोड का निर्माण।
- राष्ट्रीय राजमार्ग राजमार्ग के अंतर्गत आने वाली जीएमस रोड का चौड़ीकरण।
- रायपुर से रानीपोखरी को जोड़ने वाली सड़क की चौड़ाई बढ़ाई।
- देहरादून-मसूरी रोड को चौड़ा किया गया।
- जेएनएनयूआरएम के तहत शहर के लगभग सभी प्रमुख चौराहों का चौड़ीकरण किया गया।
- फ्लाईओवर और आरओबी की तरफ बढ़े कदम
प्रबंध निदेशक त्यागी के मुताबिक स्मार्ट रोड एंड ट्रांसपोर्ट सिस्टम की बात करें तो फ्लाईओवर और आरओबी (रेलवे ओवर ब्रिज) का निर्माण सबसे पहले आता है। दून में आइएसबीटी, बल्लीवाला और बल्लूपुर फ्लाईओवर अस्तित्व में आ चुके हैं और इनसे प्रमुख जंक्शन पर यातायात का दबाव नियंत्रित हुआ है।
आने वाले समय में हरिद्वार बाईपास रोड और मोहकमपुर में रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण अंतिम चरण में है। इसके अलावा सहारनपुर रोड पर डाट काली टन के पास एक डबल लेन टनल बनाई जा रही है। इससे यहां पर लगने वाली भारी जाम से निजात मिल सकेगी।
फुटओवर ब्रिज पर बेहतर होमवर्क की जरूरत
दून का पहला फुटओवर ब्रिज तहसील चौक पर बना और उम्मीद थी कि इससे पैदल चलने वाले लोगों को सहूलियत मिलेगी, मगर यह इतनी संकरी सड़क पर बना कि इस पर चढ़कर सड़क पार करना काफी अड़चन भरा लगने लगा। नतीजतन यह ब्रिज फेल हो चुका है। इसी अनुभव के चलते शहर में अन्य स्थानों पर प्रस्तावित फुटओवर ब्रिज बनाने की योजना पर विराम लग गया। फुटओवर ब्रिज का निर्माण जरूर होना चाहिए, लेकिन उससे पहले बेहतर होमवर्क की भी जरूरत है।
इंफ्रा संबंधी कार्यों में सख्ती की जरूरत
जितेंद्र त्यागी का कहना है कि सरकार बेशक दून की सड़कों को बेहतर करने के भरसक प्रयास कर रही है, मगर ऐसे कार्यों को तय समय के भीतर पूरा कराने के लिए मजबूत प्रशासनिक क्षमता की जरूरत है। ऐसे कार्यों को सख्ती के साथ पूरा कराया जाना जरूरी है। हरिद्वार-देहरादून राजमार्ग और हरिद्वार बाईपास रोड के चौड़ीकरण में ऐसे संभव नहीं हो पाया और यह सड़कें सालों से अधर में लटकी हैं।
हरिद्वार-देहरादून राजमार्ग का चौड़ीकरण कार्य बीओटी में किया जा रहा था और निर्माण कंपनी एरा इंफ्रा की लापरवाही के चलते उससे काम छीनने की नौबत आ गई। इसी तरह बाईपास रोड का काम कर रहे ठेकेदार से भी काम छीनना पड़ गया। अब सरकार को इन दोनों प्रमुख मार्ग के लिए नए सिरे से मजबूती के साथ काम शुरू कराने की जरूरत है।
जनजागरुकता के बिना सुधार संभव नहीं
एमडी त्यागी का सुझाव है कि सरकार चाहे कितने भी प्रयास कर ले, यातायात में सुधार तभी संभव है, जब जनता सहयोग करे। जिस शहर की जनता में सिविक सेंस जितना अधिक होगा, वहां का रोड एंड ट्रांसपोर्ट सिस्टम उतना ही बेहतर होगा।
दून की बात करें तो राज्य बनने अब तक लोगों में जागरुकता का ग्राफ काफी बढ़ा है। फिर भी इसमें अभी अपेक्षित सुधार नहीं हो पाया है। खासकर ट्रैफिक सेंस विकसित करने में अभी काफी काम किए जाने की जरूरत है। यहां पर यलो लाइन, व्हाइट लाइन और जेब्रा क्रॉसिंग का पालन करना हो या वाहनों को सड़क किनारे पार्क करने को लेकर उतना सुधार नहीं हो पाया है।
अक्सर देखा जाता है कि सड़क किनारे बेतरतीब ढंग से वाहन खड़े किए जाते हैं, जिससे जाम की समस्या बढ़ जाती है। हालांकि पिछले कुछ समय में पुलिस की सख्ती के चलते ऐसी प्रवृत्ति पर अंकुश लगा है, मगर बड़ा सवाल यह है कि पुलिस की सख्ती की जरूरत क्यों पड़नी चाहिए। यह शहर हम सबका है और इसे व्यवस्थित रखना सभी नागरिकों की बराबर की जिम्मेदारी है।
प्रमुख बाजारों की बात करें तो सड़कें काफी संकरी हैं, ऐसे में लोगों को अनिवार्य स्थिति में भी यहां चार पहिया वाहनों का प्रयोग करना चाहिए। दुख की बात है कि ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है। जितना जाम शहर की प्रमुख सड़कों पर लगता है, उससे कहीं अधिक जाम की स्थिति अंदरूनी सड़कों पर रहती है। यहां जाम को दुरुस्त करने के लिए पुलिस बल भी मौजूद नहीं रहता। इस कारण लोग आपस में ही लड़ते-झगड़ते नजर आते हैं।