देहरादून की पुलिस के लिए अब चैलेंज है नए ट्रेंड का अपराध
दून के सैन्य और सामरिक महत्व के प्रतिष्ठानों की वजह से आंतकियों की हिट लिस्ट में होने के समय-समय पर खुफिया इनपुट भी मिलते रहे हैं।
जागरण संवाददाता, देहरादून
कभी सेवानिवृत्त और बुजुर्गों की पहली पसंद में शुमार देहरादून शहर की फिजां में पिछले 10-15 सालों में निश्चित तौर पर हर नजरिये से बदलाव आया है। यह बदलाव अपराध और कानून-व्यवस्था की स्थिति में भी देखने को मिला है। यह कहना है उत्तराखंड के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) अशोक कुमार का। वह कहते हैं कि उत्तराखंड की राजधानी बनने के बाद देहरादून में एकाएक बढ़ी आबादी, शहरी क्षेत्र का विस्तार, जमीन व रियल स्टेट का बढ़ता अनियोजित कारोबार, इसके साथ ही भूमाफिया की बढ़ती सक्रियता, अप्रत्याशित तरीके से तेज गति से व्यापक आकार लेता एजुकेशन सेक्टर समेत तमाम ऐसे कारक हैं, जिसने पर शहर की कानून-व्यवस्था को भी प्रभावित किया है।
अपने शहर को शानदार बनाने की मुहिम में शामिल हों, यहां करें क्लिक और रेट करें अपनी सिटी
दून की शांत वादियों में भी बदला अपराध का ट्रेंड
एडीजी अशोक कुमार के मुताबिक सूचना और प्रौद्योगिकी के बदलते दौर में दुनियाभर की तरह दून की शांत वादियों में भी अपराध का ट्रेंड भी बदला है। आइएमए जैसे सैन्य और सामरिक महत्व के केंद्रीय व राज्य के शोध एवं रक्षा प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के साथ ही प्रदेश की राजधानी होने के कारण रोज-रोज होने वाले धरना-प्रदर्शन, टै्रफिक का भारी दबाव, वीआइपी, वीवीआइपी ड्यूटी में भी पुलिस की व्यस्तता बढ़ गई है। इन सब के बावजूद पुलिस ने अपराध-नियंत्रण और कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर खुद को आज के दौर की चुनौतियों के रूप में बखूबी ढाला है।
इंटेलीजेंस हुई मजबूत
वह कहते हैं कि दून के सैन्य और सामरिक महत्व के प्रतिष्ठानों की वजह से आंतकियों की हिट लिस्ट में होने के समय-समय पर खुफिया इनपुट भी मिलते रहे हैं। ऐसे में कानून-व्यवस्था कायम रखने और अपराध नियंत्रण के साथ-साथ सुरक्षा को लेकर भी राज्य पुलिस और खुफिया विभाग के सामने चुनौती पहले से अधिक बढ़ गई है। इस लिहाज से हमने बेहतर ग्रोथ की है।
स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआइयू) के अलावा अन्य एजेंसियों को भी मजबूत और चौकस किया गया है। खुफिया एजेंसियों को अपडेट करने का सिलसिला जारी है। केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के अलावा विभिन्न राज्यों के साथ तालमेल बैठाते हुए खुफिया नेटवर्क को और अधिक सुदृढ़ किया गया है। सोशल मीडिया के जरिये भी पुलिस और खुफिया विभाग ने तंत्र विकसित किया है। अपराध नियंत्रण के मद्देनजर शहर में सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं, जिनकी संख्या बढ़ाई जा रही है।
साइबर क्राइम से बखूबी निपट रही पुलिस
वह कहते हैं कि मोबाइल के अलावा वाट्सएप, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया ने जहां आपसी बातचीत से देश-दुनिया को करीब लाने, एक-दूसरे को जोड़ने और तमाम कामों को आसान कर दिया है, वहीं इससे नये तरह का अपराध भी दस्तक दे चुका है। इसी तरह, बैंक खातों के ऑनलाइन होने और एटीएम ने जो सुविधाएं दी हैं, उसके साथ-साथ बैंक और एटीएम संबंधी आर्थिक अपराध ने पांव पसारे हैं।
इन सब के साथ ही अन्य विभिन्न सेवाओं के ऑनलाइन होने से भी साइबर अपराध बढ़े है। इसने स्वाभाविक रूप से पुलिस का काम बढ़ाया है। इसे भी पुलिस ने चुनौती के रूप में लिया है। पुलिस साइबर अपराध से बखूबी निपट भी रही है। बैंक और एटीएम फ्रॉड के गैंग भी पुलिस ने पकड़े हैं। साइबर अपराध से जुड़े मामलों से निपटने को शहर में अलग से साइबर थाना अस्तित्व में है। यही नहीं, थाना स्तर पर भी सभी पुलिसकर्मियों को निर्देश हैं कि साइबर क्राइम के मामलों को गंभीरता से लेते हुए उनका अनावरण करें।
सावधानी पर दें खास ध्यान
वह कहते हैं कि यदि थोड़ी सी सतर्कता बरती जाए तो कई दिक्कतें खुद ब खुद हल हो जाएंगी। वह आमजन से अपील करते हैं कि लॉटरी लगने, अवार्ड के लिए चुने जाने जैसी फेक कॉल या फेक मेल पर कतई भरोसा न करें। अपना बैंक खाता नंबर, एटीएम या क्रेडिट कार्ड का नंबर, पिन, एक्सपायरी डेट, सीसीवी नंबर जैसी जानकारी किसी बाहरी व्यक्ति से शेयर न करें।
इसके अलावा एटीएम, डेबिट या क्रेडिट कार्ड से खरीददारी, बिल पेमेंट करते समय अथवा एटीएम से कैश निकालते समय बेहद सतर्क रहें। ध्यान रहे कि कोई आपका कार्ड बदल तो नहीं रहा या आप जो पिन दर्ज कर रहे हैं, उसे कोई दूसरा व्यक्ति देख तो नहीं रहा है।
अपराध छुपाएं नहीं, दर्ज कराएं
एडीजी कहते हैं कि कई बार लोग अलग-अलग कारणों से आपराधिक घटना की शिकायत पुलिस में दर्ज कराने आगे नहीं आते। इससे आंकड़ों में तो अपराध कम नजर आ सकते हैं, लेकिन इससे अपराध कम नहीं होता बल्कि, यह अपराधियों की सक्रियता को बढ़ाता ही है। इसलिए आम जनता को चाहिए कि वह बेखौफ होकर खुद के साथ या आसपास हो रहे अपराध के बारे में पुलिस से जरूर शिकायत करें।
जरूरत पडऩे पर रिपोर्ट दर्ज भी कराएं। अपने और आसपास हो रहे अपराध की शिकायत पुलिस कंट्रोल रूम में 100 नंबर पर कॉल कर दे सकते हैं। शहर में चीता मोबाइल की टीम 24 घंटे पैट्रोलिंग पर रहती है। इसके अलावा सिटी पेट्रोल यूनिट (सीपीयू) की टीम भी दिन के वक्त अपराध नियंत्रण के साथ ही ट्रैफिक व्यवस्था बनाए रखने में भी मुस्तैद रहती है।
वह महिलाओं से भी अपील करते हैं कि खुद के साथ शहर या किसी संस्थान में होने वाले किसी भी तरह के अपराध को सहते रहने की बजाय पुलिस को जरूर सूचना दें। पुलिस की ओर से अपराधी पर शिकंजा कसने और समस्या का समाधान करने का हरसंभव प्रयास किया जाएगा। यहां यह भी बताना जरूरी समझता हूं कि शिकायतकर्ता अगर चाहें तो उनका नाम गोपनीय रखा जाएगा। आमजन की सजगता से पुलिस को भी अपराध नियंत्रण में बहुत मदद मिलती है।
-अशोक कुमार, अपर पुलिस महानिदेशक, उत्तराखंड
अपने शहर को शानदार बनाने की मुहिम में शामिल हों, यहां करें क्लिक और रेट करें अपनी सिटी