अब दस साल में पूरा करना होगा एमबीबीएस, इसके साथ ही बदले कई और नियम
एमबीबीएस कोर्स को अब दस साल में पूरा करना अनिवार्य कर दिया गया है। इस दौरान छात्र अगर कोर्स पूरा नहीं कर पाता है तो वह अयोग्य हो जाएगा।
By Edited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 04:48 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए एमबीबीएस कोर्स को अब दस साल में पूरा करना अनिवार्य कर दिया गया है। इस दौरान छात्र अगर कोर्स पूरा नहीं कर पाता है तो वह अयोग्य हो जाएगा। बता दें, वैसे तो एमबीबीएस कोर्स साढ़े चार साल का होता है, लेकिन इसे पूरा करने की अब तक कोई समय सीमा तय नहीं है। ऐसे में कई छात्र इस छूट का फायदा उठाते हैं और कई साल तक एमबीबीएस करते रहते हैं। एमबीबीएस में इसके अलावा भी कई नियम बदल दिए गए हैं।
विद्यार्थी के लिए थ्योरी में 75 तो प्रेक्टिकल में 80 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य होगी। थ्योरी में 40 प्रतिशत और प्रेक्टिकल में 40 और कुल मिला कर 50 प्रतिशत अंक लेना भी हर विद्यार्थी के लिए अनिवार्य होगा। वहीं, प्रथम प्रोब पास करने के लिए हर एमबीबीएम विद्यार्थी को चार साल का वक्त दिया गया है। अब तक एमबीबीएस विद्यार्थी के लिए प्रथम प्रोब पास करना अनिवार्य होता था, इसके बाद वह कभी भी अपनी डिग्री पूरी कर सकता था। लेकिन नए नियम के लागू होने से हर एक मेडिकल विद्यार्थी को नियमानुसार चलना होगा।
प्रेक्टिकल और एथिकल एजुकेशन साथ-साथ चिकित्सा शिक्षा से जुड़े एक्सपर्ट बताते हैं कि पहले एमबीबीएस के विद्यार्थियों को सेकेंड प्रोब में वार्ड में मरीजों से मिलाया जाता था। लेकिन नई शिक्षा पद्धति में शुरू से ही मेडिकल विद्यार्थियों को मरीजों व तीमारदार से मिलाया जाएगा। इससे उनका प्रेक्टिकल व इथिकल ज्ञान बढ़ता है। इसी नियमावली के तहत कोर्स की शुरुआत में एक माह का देश भर में ओरियंटेशन प्रोग्राम कराया गया था। बता दें, एमबीबीएस में कुल 21 विषय होते हैं।
दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना के अनुसार 2019 से एमबीबीएस कोर्स को पंजीकरण के दस साल में पूरा करना हर विद्यार्थी के लिए अनिवार्य होगा। यदि ऐसा नहीं होता तो संबंधित विद्यार्थी का पंजीकरण रद हो जाएगा। देश में योग्य डॉक्टर बनें इसके लिए थ्योरी और प्रैक्टिकल में उपस्थिति और पास अंक तय कर दिए गए हैं। सबसे अहम है कि अब नया नियम सभी 21 विषयों पर लागू होगा। इसलिए जरूरी है कि हर विद्यार्थी थ्योरी व प्रैक्टिकल को ध्यान से करें। प्रथम प्रोब एक, सेकेंड प्रोब एक व थर्ड प्रोब में दो भाग होंगे। जिसमें पहला एक और दूसरा डेढ़ साल का होगा। इसके अलावा एक साल की एमबीबीएस छात्र को इंटर्नशिप करनी होगी।
देश में बढ़ गई नर्सिंग की 60 सीटें
नर्सिंग कोर्स में दाखिले के ख्वाहिशमंद प्रदेश के युवाओं के लिए एक अच्छी खबर है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए सरकारी नर्सिंग कॉलेजों में 10 फीसदी सीटें बढ़ गई हैं। एएनएम-जीएनएम, एमएससी नर्सिग, पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिग समेत अन्य कोर्स में करीब 60 सीटों का इजाफा हुआ है।
एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय की ओर से बीएससी नर्सिंग, पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग, जीएनएम, एएनएम, पैरामेडिकल और एमएससी नर्सिंग में दाखिले के लिए काउंसिलिंग आयोजित कराई जा रही है। नर्सिग की सीटों के लिए 19 नवंबर से द्वितीय चरण की काउंसलिंग शुरू हुई थी और 25 नवंबर को सीट आवंटन होना था। पर इसी बीच आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के युवाओं के लिए सीट बढ़ोत्तरी का आदेश आ गया। जिसे लेकर सोमवार को विवि के कुलपति डॉ. हेमचंद्र की अध्यक्षता में काउंसलिंग बोर्ड की बैठक आयोजित की गई।
जिसमें मौजूदा परिस्थिति में काउंसलिंग को लेकर विचार-विमर्श किया गया। सीट बढ़ोत्तरी के कारण द्वितीय चरण का सीट आवंटन स्थगित कर दिया गया है। परीक्षा नियंत्रक प्रो. विजय जुयाल ने बताया कि नए आदेश के तहत राजकीय कॉलेजों में नर्सिंग के सभी कोर्स की करीब 60 सीट बढ़ गई हैं। ऐसे में तय किया गया कि सीट आवंटन की प्रक्रिया 28 नवंबर तक के लिए विस्तारित कर दी जाए। इससे पूर्व दाखिले की अंतिम तिथि 30 नवंबर नियत की गई थी। यह प्रयास रहेगा कि प्रक्रिया इसी समय अवधि में पूर्ण कर ली जाए। आवश्यकता पड़ने पर उसी अनुरूप फैसला लिया जाएगा।
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