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सेना में भर्ती होने का ख्वाब देखने वाले देहरादून के युवाओं का पीओपी में रहा दबदबा बरकरार

भारतीय सैन्य अकादमी की ऐतिहासिक इमारत को देखकर सेना में भर्ती होने का ख्वाब देखने वाले देहरादून के युवाओं का दबदबा पीओपी में बरकरार रहा। इस वर्ष भी देहरादून से कई युवाओं ने आइएमए का कठिन प्रशिक्षण प्राप्त कर देश सेवा की राह चुनी है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 13 Jun 2021 10:16 AM (IST)Updated: Sun, 13 Jun 2021 10:16 AM (IST)
सेना में भर्ती होने का ख्वाब देखने वाले देहरादून के युवाओं का पीओपी में रहा दबदबा बरकरार
इस वर्ष भी देहरादून से कई युवाओं ने आइएमए का कठिन प्रशिक्षण प्राप्त कर देश सेवा की राह चुनी है।

जागरण संवाददाता, देहरादून : भारतीय सैन्य अकादमी की ऐतिहासिक इमारत को देखकर सेना में भर्ती होने का ख्वाब देखने वाले देहरादून के युवाओं का दबदबा पीओपी में बरकरार रहा। इस वर्ष भी देहरादून से कई युवाओं ने आइएमए का कठिन प्रशिक्षण प्राप्त कर देश सेवा की राह चुनी है।

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नेशविला रोड निवासी ऋषभ बिष्ट ने सेना में अफसर बनकर अपना बचपन का सपना पूरा कर लिया। वह मूल रूप से पिथौरागढ़ के पिठोनी गांव के रहने वाले हैं। ऋषभ ने बताया कि जब भी आइएमए के सामने से गुजरते, सेना में भर्ती होकर देश के लिए कुछ कर गुजरने का मन होता। पिता राम सिंह बिष्ट भी सेना की इंजीनियङ्क्षरग विंग से सेवानिवृत्त हैं, तो घर में वैसे भी आर्मी वाला माहौल था। ऋषभ ने 12वीं की परीक्षा एसजीआरआर कालीदास रोड से 2013 में पास कर डीबीएस पीजी कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की। साथ में सीडीएस की तैयारी चलती रही, 2019 में सीडीएस परीक्षा पास कर अपना सपना पूरा किया।

नथुवावाला निवासी अंकित बड़ोनी ने भी मुकाम हासिल कर लिया है। अंकित के पिता राजेश बड़ोनी सूबेदार पद से सेवानिवृत्त हैं और मां वंदना बडोनी गृहणी। पिता अंकित को सेना में अफसर बनता देखना चाहते थे, लिहाजा बचपन से ही उन्हें सैनिक स्कूल की तैयारी करवाना शुरू कर दिया। पांचवीं में उन्होंने सैनिक स्कूल घोड़ाखाल की परीक्षा पास की। 2016 में स्कूल से पास होते ही 2017 में एनडीए की परीक्षा पहली बार में पास कर ली। उनके दादा देवेंद्र चंद्र बड़ोनी भी सेना में शिक्षक थे।

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गीतानगर ऋषिकेश के अखिल गौतम शनिवार को आइएमए से पास होकर लेफ्टिनेंट बने। वह ऋषिकेश पब्लिक स्कूल से पढ़े हैं। उनके पिता राजीव गौतम, जीआइसी टिहरी में शिक्षक हैं। 

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