Uttarakhand Election 2022: भाजपा में टिकट कटने पर अब असंतोष के सुर थामने की चुनौती
Uttarakhand Vidhan Sabha Election 2022 भाजपा के 59 सीटों पर टिकटों का वितरण के होने बाद कुछ सीटों पर असंतोष के सुर उभर रहे हैं। यद्यपि नाराजगी स्वाभाविक है और पार्टी भी इसे समझ रही है लेकिन असल चुनौती ये है कि ये असंतोष के सुर यहीं थम जाएं।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। भाजपा द्वारा विधानसभा की 70 में से 59 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए जाने के बाद कुछ सीटों पर उभरे असंतोष के सुर थामने के लिए पार्टी नेतृत्व सक्रिय हो गया है। इस कड़ी में नाराज बताए जा रहे कार्यकर्त्ताओं से फोन पर संपर्क साध उन्हें मनाने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। पार्टी की कोशिश है कि असंतोष के इन सुरों को यहीं थाम लिया जाए। इस चुनौती से पार पाने के लिए पार्टी के प्रांतीय पदाधिकारियों को मोर्चे पर लगाया गया है। शनिवार से सभी सांसदों को भी इस कार्य में लगाया जाएगा।
भाजपा ने बीते दिवस अपने 59 प्रत्याशियों की सूची जारी की थी। इसमें 39 पुराने चेहरों पर भरोसा जताया गया तो शेष नए चेहरों को अवसर दिया गया है। प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद से धर्मपुर, थराली, धनोल्टी, घनसाली, रुड़की, भगवानपुर, गंगोत्री, यमुनोत्री, कर्णप्रयाग, गंगोलीहाट, देवप्रयाग सहित कुछ अन्य सीटों पर असंतोष के सुर उभरे हैं। टिकट की दौड़ में पिछड़े दावेदार नाराज हैं तो कुछ जगह पार्टी कार्यकर्त्ताओं ने गुरुवार को ही अपनी नाराजगी खुलकर व्यक्त की थी।
यद्यपि, शुक्रवार को नाराज बताए जा रहे कार्यकर्त्ताओं के सुर में नरमी भी आई। इसकी वजह ये रही कि गुरुवार देर रात से ही पार्टी का प्रांतीय नेतृत्व राजनीतिक आपदा प्रबंधन के मद्देनजर सक्रिय हो गया था। शुक्रवार को भी सुबह से ही पार्टी के प्रांतीय पदाधिकारियों द्वारा नाराज कार्यकर्त्ताओं को फोन कर उन्हें मनाने के प्रयास तेज कर दिए गए। इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं।
भाजपा के प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार के अनुसार टिकट वितरण को लेकर नाराजगी जैसी बात नहीं है। कुछ सीटों पर कार्यकर्त्ताओं का क्षणिक गुस्सा है, जो स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि जिन भी सीटों पर कार्यकर्त्ताओं में असंतोष का भाव है, उसका संज्ञान लिया जा रहा है और उन्हें समझा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि भाजपा सिद्धांतों पर चलने वाली पार्टी है और प्रत्येक कार्यकर्त्ता चुनाव में भाजपा की जीत सुनिश्चित करने को जुटेगा।
सांसद भी संभालेंगे मोर्चा
राजनीतिक आपदा प्रबंधन के मद्देनजर पार्टी द्वारा पहले ही सांसदों को जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय लिया जा चुका है। माना जा रहा कि यदि किसी क्षेत्र में असंतोष के सुर अधिक हैं और पार्टी के प्रांतीय पदाधिकारियों को इसे थामने में सफलता नहीं मिलती है, तो सांसद मोर्चे पर जुटेंगे।