देहरादून के लिए बड़ा सबक है दिल्ली अग्निकांड, यहां भी हैं कई ऐसे बाजार
दिल्ली अग्निकांड देहरादून के लिए बड़ा सबक है। वह इसलिए कि यहां भी कई ऐसे बाजार कॉलोनियां और बस्तियां हैं जहां आग लगने पर दमकल का पहुंचना लगभग नामुमकिन है।
देहरादून, जेएनएन। दिल्ली अग्निकांड में 40 से अधिक लोगों की मौत देहरादून के लिए बड़ा सबक है। वह इसलिए कि यहां भी कई ऐसे बाजार, कॉलोनियां और बस्तियां हैं, जहां आग लगने पर दमकल का पहुंचना लगभग नामुमकिन है। अगर इन इलाकों में अग्नि सुरक्षा उपायों को लेकर समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो अग्निकांड जैसी कोई घटना होने पर परिणाम दिल्ली से कहीं ज्यादा गंभीर होंगे।
बीते वर्षों में देहरादून का तेजी से विकास हुआ है। पटेलनगर इंडस्ट्रियल एरिया, मोहब्बेवाला, कुआंवाला, सेलाकुई समेत अन्य इलाकों में चल रही पंजीकृत औद्योगिक इकाइयों की संख्या ही करीब सवा तीन हजार है। इनमें करीब एक लाख चालीस हजार कर्मचारी कार्य करते हैं। अधिकांश कर्मचारी इन फैक्ट्रियों के आसपास बनी कॉलोनियों और बस्तियों में ही रहते हैं।
अधिक से अधिक पैसा बचाने की कोशिश में एक कमरे में कई कर्मचारी सिर छिपाने की जगह बना लेते हैं। यही हाल दिल्ली की अनाज मंडी का भी था। वहां एक कमरे में 20-20 लोग रह रहे थे। इसके अलावा शहर में ऐसी कई घनी बस्तियां भी हैं, जहां दमकल की गाड़ी का पहुंच पाना करीब-करीब नामुमकिन है। ऐसा नहीं कि यहां अग्निकांड नहीं हुए। पिछले साल पलटन बाजार और इंदिरा मार्केट में आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन न तो यहां के बाशिंदे सबक लेने के मूड में दिखते हैं और न ही विभाग।
यहां नहीं पहुंच सकती दमकल
दर्शनी गेट, इंदिरा मार्केट, मच्छी बाजार, चुक्खू मोहल्ला, घोसी गली, चाट वाली गली, नेशविला रोड, कांवली बस्ती, करनपुर के कई हिस्से, किशननगर, सैय्यद मोहल्ला, गोविंदगढ़, बिंदाल बस्ती, वाणी विहार, भगत सिंह कॉलोनी रायपुर
'लापता' हो गए 68 हाइडेंट
मुसीबत केवल संकरी गलियां और घनी बस्तियां ही नहीं हैं। अतिक्रमण ने भी अग्नि सुरक्षा उपायों को मुश्किल में डाल रखा है। अतिक्रमण के चलते शहर के 68 स्थानों पर लगे फायर हाइडेंट कब लापता हो गए, पता ही नहीं चला। अब इन्हें खोज पाना लगभग नामुमकिन हो गया है।
क्या होते हैं फायर हाइडेंट
जल संस्थान की ओर से शहर में बिछाई गई पाइप लाइनों से अग्निशमन विभाग की गाड़ियों को पानी मिलता है। इसके लिए शहर के प्रमुख स्थानों, मोहल्लों व कॉलोनियों के प्रवेश मार्गों पर हाइडेंट का निर्माण किया जाता है।
पानी के लिए भटकती है दमकल
अग्निकांड के समय दमकल फायर हाइडेंट से पानी लेते हैं, लेकिन मौजूदा समय में विभाग को पानी खत्म होने की स्थिति में दूसरी गाड़ी भेजनी पड़ती है। यदि अग्निकांड वाली जगह दूर हो तो पानी खत्म होने पर दमकल को नदी-नहर की तलाश में भटकना पड़ता है।
चार हाइडेंट हैं सही सलामत
- बन्नू स्कूल ग्राउंड
- सर्वे चौक
- दिलाराम बाजार
- इंदिरानगर, वसंत विहार
अग्निशमन विभाग के संसाधन
- बड़े फायर टेंडर- 9
- फॉम टेंडर- 1
- मिनी टेंडर- 8
- वाटर कैनन- 2
- बैक पैक सेट- 4
इस साल हुए अग्निकांड
- माह--------अग्निकांड--------नुकसान (लाख में)
- जनवरी--------24----------------5.10
- फरवरी--------18----------------15.35
- मार्च-----------17----------------4.60
- अप्रैल----------57----------------13.66
- मई-----------115----------------13.00
- जून------------71----------------19.75
- जुलाई-----------8--------------- 3.07
- अगस्त----------9-----------------0.30
- सितंबर--------12----------------2.50
- अक्टूबर-------40----------------76.20
- नवंबर---------21----------------13.37
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बोले अधिकारी
अर्जुन सिंह रांगण (मुख्य अग्निशमन अधिकारी, देहरादून) का कहना है कि शहर के कई हिस्सों में अग्निशमन की बड़ी गाड़ियां नहीं पहुंच सकती हैं, लेकिन हमारे पास दो छोटी गाड़ियां और बैक पैक सेट भी हैं, जिनसे गलियों में भी आग पर काबू पाया जा सकता है। फिलहाल जिन प्रतिष्ठानों में अग्नि सुरक्षा के उपाय नहीं हैं, उनकी जांच कर कार्रवाई की जाती है।
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