सोशल ऑडिट शुरू होते ही गायब हो रहे हैं चाइल्ड केयर एनजीओ
राजधानी देहरादून में बच्चों से जुड़े चार एनजीओ अचानक गायब हो गए हैं और ये तब गायब हुए जब बाल गृहों का सोशल ऑडिट शुरू हुआ है।
देहरादून, [गौरव ममगाईं]: राजधानी देहरादून में बाल गृहों का सोशल ऑडिट शुरू होते ही बच्चों से जुड़े एनजीओ गायब होने लगे हैं। अभी तक चार एनजीओ के बंद होने की जानकारी है। सोशल ऑडिट में स्वतंत्र जांच कमेटी एनजीओ की व्यवस्थाओं की कड़ी समीक्षा कर रही है। साथ ही कई वर्षों के दस्तावेज भी खंगाले जा रहे हैं। इससे कई एनजीओ में हड़कंप की स्थिति देखी जा रही है। अब अचानक सोशल ऑडिट से एक-दो दिन पहले ही एक साथ एनजीओ का बंद होना कई सवाल पैदा कर रहा है।
16 सितंबर से सरकारी एवं गैर-सरकारी बाल गृहों का सोशल ऑडिट शुरू हो गया है। पहले एनजीओ का ऑडिट किया जा रहा है। अंत में सरकारी बाल गृहों का ऑडिट होना है। एनजीओ में पिछले कई वर्षों से रह रहे बच्चों का ब्योरा भी मांगा जा रहा है। साथ ही बच्चों के रहने, खाने-पीने, शिक्षा, सुरक्षा समेत अन्य व्यवस्थाओं की समीक्षा हो रही है। इसमें कई एनजीओ में बड़ी खामियां उजागर हुई हैं। इसी के डर से शहर में कई एनजीओ अचानक बंद होने लगे हैं। एनजीओ संचालकों का कोई अता-पता तक नहीं लग पा रहा है।
सूत्रों ने बताया कि इनमें एक शहर का प्रतिष्ठित एनजीओ भी शामिल है। इसको लेकर पूछे जाने पर स्वतंत्र जांच कमेटी के मुख्य सदस्य ज्ञानेंद्र ने कहा कि गलत काम करने वाले एनजीओ को बख्शा नहीं जाएगा। हालांकि उन्होंने जांच गोपनीय होने का हवाला देते हुए सूचना साझा करने से इन्कार किया। बता दें कि केंद्र सरकार ने उत्तराखंड समेत सभी राज्यों को सरकारी एवं गैर-सरकारी बाल गृहों के सोशल ऑडिट कराने के आदेश दिए हैं।
जिले में बाल गृहों की स्थिति
सरकारी: 07 (एक महिला व छह बाल गृह), गैर-सरकारी: 14 (तीन महिला और 11 बाल गृह)
समय पूरा, महज पांच एनजीओ में निरीक्षण
जिलाधिकारी एसए मुरूगेशन ने छह सितंबर को स्वतंत्र जांच कमेटी गठित कर 15 दिन के भीतर सोशल ऑडिट रिपोर्ट सौंपने के निर्देश जारी किए थे। लेकिन, जांच 10 दिन बाद शुरू ही हो पाई। शुक्रवार को 15 दिन पूरे हो चुके हैं। अभी तक मात्र पांच एनजीओ की जांच हो पाई है। अब समय सीमा बढ़ा दी गई है।
टीम में ये हैं सदस्य
- ज्ञानेंद्र, संस्थापक, पीपल एम्पावरिंग
- प्रेमलता रावत, सामाजिक कार्यकर्ता
- नीलम जोशी, साइकोलॉजिस्ट
- डॉ. अलूप भाकड़ी, बाल रोग विशेषज्ञ
- प्रियंका गैरोला, ईएनटी सर्जन
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