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शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट पंचतत्‍व में हुए विलीन, हजारों लोगों ने नम आंखों से दी विदाई

जम्मू के राजौरी में विस्फोट में शहीद मेजर चित्रेश बिष्‍ट का पार्थिव शरीर खड़खड़ी श्मशान घाट पहुंचा। यहां पूरे सैन्य सम्मान के साथ शहीद को अंतिम विदाई दी गई।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 18 Feb 2019 08:35 AM (IST)Updated: Mon, 18 Feb 2019 08:36 PM (IST)
शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट पंचतत्‍व में हुए विलीन, हजारों लोगों ने नम आंखों से दी विदाई
शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट पंचतत्‍व में हुए विलीन, हजारों लोगों ने नम आंखों से दी विदाई

देहरादून, जेएनएन। हर आंख में गर्व और हर चेहरे पर गम व गुस्सा। 'शहीद चित्रेश अमर रहें' और 'पाकिस्तान मुर्दाबाद' के गगनभेदी नारों के बीच देश के अमर सपूत मेजर चित्रेश बिष्ट को अंतिम विदाई देने मानो पूरा शहर ही उमड़ पड़ा। देहरादून से हरिद्वार तक 55 किलोमीटर की यात्रा में सड़क के दोनों ओर लोग अश्रुपूरित नेत्रों के साथ श्रद्धासुमन अर्पित करने खड़े रहे। दोपहर बाद करीब साढ़े बारह बजे पूर्ण सैनिक सम्मान के साथ शहीद चित्रेश हरिद्वार के खड़खड़ी श्मशान घाट पर पंचतत्व में विलीन हो गए।

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शनिवार को मेजर चित्रेश बिष्ट कश्मीर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलओसी)के करीब बारूदी सुरंग के विस्फोट में शहीद हो गए थे। रविवार को उनका पार्थिव शरीर देहरादून लाया गया। पार्थिव शरीर को सैन्य अस्पताल में रखा गया था। सोमवार को सुबह साढ़े आठ बजे सेना के वाहन में पार्थिव शरीर उनके आवास पर लाया गया। इस बीच लोग सुबह से उनके आवास के पास जुटना शुरू हो गए थे। आलम यह था कि आवास के पास हजारों की संख्या में लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे। गुस्साए लोग पाकिस्तान के खिलाफ लगातार नारे लगा रहे थे। जैसे ही पार्थिव शरीर को घर के परिसर में लाया गया, परिजन बदहवास हो गए।

पिता सेवानिवृत्त पुलिस इंस्पेक्टर एसएस बिष्ट, मां रेखा और बड़े भाई नीरज रो-रोकर पार्थिव शरीर से लिपट गए। इस दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी, विधायक, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी, डिप्टी जीओसी एचएस जग्गी के साथ ही सेना, पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारियों ने शहीद को श्रद्धांजलि दी। करीब दस बजे अंतिम यात्रा हरिद्वार के लिए रवाना हुई। राह में पडऩे वाले गांव और कस्बों में हजारों लोगों ने शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित किए।

जम्मू के राजौरी में शनिवार को विस्फोट में शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट का पार्थिव शरीर सोमवार सुबह साढ़े आठ बजे उनके निवास नेहरू कालोनी देहरादून पहुंचा। सैन्य काफिले के साथ पहुंचे पार्थिव शरीर को देखते ही शहीद के पिता रिटायर्ड पुलिस इंस्पेक्टर एसएस बिष्ट, शहीद की मां और शहीद के बड़े भाई नीरज का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। इस दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, भाजपा प्रदेश अध्‍यक्ष अजय भट्ट समेत कई मंत्री, विधायक, सेना, शासन प्रशासन के आला अधिकारी मौजूद रहे। सैन्य सम्मान के साथ शहीद को अंतिम विदाई दी गई। लोगों ने भारत माता की जय, पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए। इसके बाद  शहीद की अंतिम यात्रा हरिद्वार के लिए प्रस्थान की। 

दून के रहने वाले मेजर चित्रेश बिष्ट शनिवार को आइईडी धमाकेमें शहीद हो गए थे। वर्ष 2010 में भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट मेजर बिष्ट सेना की इंजीनियरिंग कोर में तैनात थे। उनके पिता एसएस बिष्ट सेवानिवृत्त पुलिस इंस्पेक्टर हैं। सात मार्च को चित्रेश की  शादी थी और कार्ड भी बंट चुके थे।

इधर, हरिद्वार में खड़खड़ी श्मशान घाट पर भी शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट को श्रद्धांजलि देने जनसैलाब उमड़ पड़ा। यहां बंगाल इंजीनियरिंग ग्रुप के कमांडेंट ब्रिगेडियर रघु श्रीनिवासन, डिप्टी स्टेशन कमांडेंट मुकुल पुनिया और कमांडेंट नितिन दुबे ने शहीद को अंतिम सलामी दी। इसके अलावा सांसद भगत सिंह कोश्यारी, उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज और भूमा पीठाधीश्वर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ समेत कई गणमान्य लोगों ने पुष्प चक्र अर्पित किए। दोपहर बाद करीब साढ़े बारह बजे शहीद मेजर चित्रेश को उनके चचेरे भाई हर्षित ने मुखाग्नि दी। इस दौरान बड़े भाई नीरज समेत अन्य रिश्तेदार भी मौजूद रहे। 

भाई की वर्दी लेते ही रो पड़े नीरज 

शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट के पार्थिव शरीर पर लिपटे तिरंगे और चित्रेश की वर्दी, बेल्ट और बैच सेना के अधिकारी ने बड़े भाई नीरज को सुपुर्द किए। भाई की वर्दी हाथ पर आते ही नीरज के आंसू बहने लगे। भाई की शहादत का गम और देश की रक्षा में भाई काम आया, इसके गर्व के बीच नीरज ने वर्दी और तिरंगे को सीने से लगाते हुए सुरक्षित रख लिया। इस दौरान आस-पास खड़े हर किसी की आंखें नम हो गई। 

बेटे का चेहरा नहीं देख पाए माता-पिता 

शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट का पार्थिव शरीर घर पर पहुंचा तो माता-पिता बेसुध हाल में रोते हुए ताबूत से लिपट गए। इस दौरान बेटे नीरज और चित्रेश के दोस्तों ने माता-पिता को काफी संभालने की कोशिशें की। लेकिन हर बार माता-पिता एक बार बेटे के चेहरा देखने की जिद करते रहे, पर ऐसा संभव नहीं हो पाया। घर से जैसे ही पार्थिव शरीर विदा हुआ तो माता-पिता बेहोश हो गए। कुछ देर बाद होश आया तो पीछे-पीछे दौडऩे लगे। मगर, सेना के अधिकारियों ने पहले ही खेद जताते हुए कह दिया था कि चेहरा दिखाना संभव नहीं है। इस पर परिजन पिता एसएस बिष्ट और माता रेखा को समझाते रहे। बाद में पार्थिव शरीर पर पुष्प चढ़ाते हुए मायूसी के साथ मन मसोसकर रह गए। 

आधा किमी तक जाम हो गई सड़कें 

शहीद चित्रेश की अंतिम विदाई में नेहरू कॉलोनी क्षेत्र की हर सड़क भीड़ से भरी थी। आस-पास के घरों की छतों से भी लोग शहीद चित्रेश की बहादुरी पर श्रद्धांजलि देते रहे। चित्रेश के घर से लगी सड़क पर आधा किमी तक लोगों को पार्थिव शरीर को अंतिम विदाई देने के तीन घंटे बाद भी भीड़ कम नहीं हुई। 

गम और गुस्से के बीच सड़क पर उतरे लोग 

शहीद चित्रेश का पार्थिव शरीर को अंतिम विदाई के दौरान लोग लाइन लगाकर श्रद्धांजलि देने जुटे। इस दौरान युवाओं और महिलाओं ने हाथों में मेजर चित्रेश की फोटो लगी तख्तियों के गम और गुस्से का इजहार किया। पार्थिव शरीर को विदाई देने के बाद युवाओं का हुजूम नेहरू कॉलोनी की गलियों में नारे लगाते हुए जुटा। युवाओं ने भारत माता की जय, वंदे मातरम, पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए जनमानस के प्रति देश भक्ति का संदेश दिया। इस दौरान नेहरू कॉलोनी के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों के बच्चों ने भी शहीद चित्रेश के घर के बाहर शहादत को सलामी देने पहुंचे। छात्र-छात्राओं ने शहीद चित्रेश के अमर रहे के नारे लगाए। 

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