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तीर्थनगरी में भी है मसाला किग की धर्मपरायणता की निशानी

देश व दुनिया में मसाला किग के नाम से प्रसिद्ध महाशय धर्मपाल का तीर्थनगरी से भी खासा लगाव था।

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Dec 2020 01:19 AM (IST)Updated: Fri, 04 Dec 2020 01:19 AM (IST)
तीर्थनगरी में भी है मसाला किग की धर्मपरायणता की निशानी
तीर्थनगरी में भी है मसाला किग की धर्मपरायणता की निशानी

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश : देश व दुनिया में मसाला किग के नाम से प्रसिद्ध महाशय धर्मपाल का तीर्थनगरी से भी खासा लगाव था। अपनी आमदनी का नब्बे प्रतिशत अंश दान-धर्म में खर्च करने वाले महाशय धर्मपाल गुलाटी की धर्मपरायणता की निशानी ऋषिकेश के निकट गंगा भोगपुर में एक चिकित्सालय के रूप में हमेशा उनकी याद दिलाती रहेगी।

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महाशय धर्मपाल गुलाटी का ऋषिकेश में आना-जाना लगा रहता था। मगर, उनका मन सबसे अधिक रमता था गंगा भोगपुर मल्ला स्थित वंदेमातरम कुंज में। महाशय धर्मपाल जब भी समय लगाता था, यहां आते थे और कुछ दिन गंगा की गोद में जरूर गुजारते थे। वंदेमातरम कुंज में अनाथ बच्चों के लिए दिव्य भारत शिक्षा मंदिर जूनियर हाईस्कूल संचालित होता है। महाशय धर्मपाल को इन बच्चों से भी खासा लगाव था। वह जब भी यहां आते बच्चों के लिए ढेर सारी खेल सामग्री, उपहार आदि लेकर आते थे। वह इन बच्चों के साथ भी समय बिताना पसंद करते थे। वंदेमातरम कुंज की सेवा भावना और अनाथ बच्चों की सेवा को देखते हुए महाशय धर्मपाल ने वर्ष 2008 में वंदेमातरम कुंज परिसर में ही संजीव गुलाटी स्मृति चिकित्सालय एवं शोध केंद्र की स्थापना की थी। 13 जनवरी 2008 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी के साथ स्वयं महाशय धर्मपाल ने इस चिकित्सालय का लोकार्पण किया था। इस चिकित्सालय से गंगा भोगपुर तल्ला, गंगा भोगपुर मल्ला सहित आसपास की आबादी भी लाभांवित होती है। वंदेमातरम कुंज के पूर्व प्रमुख रहे विश्वास कुमार ने बताया कि महाशय धर्मपाल अखिरी बार तीन वर्ष पूर्व वंदेमातरम कुंज पहुंचे थे। इसके बाद वह स्वास्थ्य कारणों से यहां नहीं आ सके। मगर, वह हमेशा बच्चों की शिक्षा-दीक्षा और उनके स्वास्थ्य के प्रति चितित रहते थे और उनकी कुशलक्षेम पूछते रहते थे। अब जब एमडीएच के प्रबंधन निदेशक महाशय धर्मपाल नहीं रहे तब उनकी यादों से जुड़ा यह चिकित्सालय उनकी याद दिलाता रहेगा।

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बच्चों को सुनाया था, अपना प्रेरक प्रसंग

वर्ष 2008 में जब महाशय धर्मपाल इस धर्मार्थ चिकित्सालय के लोकार्पण के मौके पर यहां पहुंचे थे तो उन्होंने मंच पर खड़े होकर यहां मौजूद नागरिकों और बच्चों को अपने जीवन संघर्ष से जुड़ा प्रसंग सुनाते हुए प्रेरणा लेने की अपील की थी। महाशय धर्मपाल ने बताया था कि वह कैसे महज 1500 रुपये और एक साइकिल लेकर घर से निकले थे। किस तरह उन्होंने दिल्ली की सड़कों पर तांगा चलाकर अपने दिन गुजारे किस तरह मसालों का काम किया और फिर फैक्ट्री बनाई। उनका यही कहना था कि यदि इंसान चाहे तो बुलंदियों को छूने में आर्थिक तंगी उसकी राह में कोई रोड़ा नहीं बन सकती।

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महाशय धर्मपाल को दी श्रद्धांजलि

एमडीएच के प्रबंध निदेशक महाशय धर्मपाल गुलाटी के निधन की खबर से वंदेमातरम कुंज परिवार व दिव्य प्रेम सेवा मिशन से जुड़े लोग भी मायूस हैं। गुरुवार को दिव्य भारत शिक्षा मंदिर जूनियर हाईस्कूल में अंतिम बेला में शोक सभा आयोजित की गई। विद्यालय के प्रधानाचार्य राजेन्द्र प्रसाद राणाकोटि ने बच्चों को महाशय धर्मपाल की जीवन यात्रा और उनके सफलता के संबंध में जानकारी दी। इस अवसर पर वंदेमातरम कुंज के प्रमुख बिजेंद्र कुमार, उमाशंकर, आनंद आदि ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।


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