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ऊर्जा निगम में उपभोक्ताओं से खुली लूट, ऐसे लगा रहे हैं चूना

ऊर्जा निगम में बिजली केबल के नाम पर उपभोक्ताओं से खुली लूट चल रही है। केबल के नाम पर उनको चूना लगाया जा रहा है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Thu, 18 Apr 2019 05:07 PM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2019 05:07 PM (IST)
ऊर्जा निगम में उपभोक्ताओं से खुली लूट, ऐसे लगा रहे हैं चूना
ऊर्जा निगम में उपभोक्ताओं से खुली लूट, ऐसे लगा रहे हैं चूना

देहरादून, हरीश कंडारी। ऊर्जा निगम में बिजली केबल के नाम पर उपभोक्ताओं से खुली लूट चल रही है। उपभोक्ताओं कनेक्शन के समय निगम की ओर से ही केबल भी मुहैया कराने का प्रावधान है, लेकिन विभाग के कर्मी उपभोक्ताओं को चूना लगा रहे हैं। उपभोक्ताओं को खुद केबल की व्यवस्था करनी पड़ रही है, या फिर विभाग की ओर से पैसे लेकर केबल दिया जा रहा है। विभाग में यह गोरखधंधा आज से नहीं बल्कि बरसों से खुलेआम चल रहा है। हैरत की बात तो यह है कि हर साल विभाग लाखों की केबल की खरीद करता है। इसका जवाब ऊर्जा निगम के अधिकारियों के पास नहीं है। वह केवल शिकायत पर कार्रवाई की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ देते हैं। 

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बिजली का नया कनेक्शन लेने के लिए उपभोक्ताओं द्वारा संबंधित बिजली दफ्तर में आवेदन किया जाता है तो इसके लिए उपभोक्ताओं से दो किलोवाट के घरेलू कनेक्शन के लिए करीब 1600 रुपये लिए जाते हैं, इसमें आठ सौ रुपये सिक्योरिटी जबकि पांच सौ रुपये पीवीसी केबल और मीटर के होते हैं। उपभोक्ता द्वारा पैसे जमा कराने के बाद उससे 15 दिन के भीतर कनेक्शन लगाने की बात कही जाती है। लेकिन कनेक्शन की बारी जब आती है तो कर्मचारी उपभोक्ता से केबल खुद खरीदने को कहते हैं।

अगर कोई उपभोक्ता केबल की जिद करता है तो ऊर्जा निगम के कर्मचारी केबल उपलब्ध न होने या विभाग की केबल निम्न गुणवत्ता की होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं। जबकि केबल के पैसे पहले ही रसीद देते समय जोड़ दिए जाते हैं, जिसका पता उपभोक्ता को नहीं होता है। ऐसा नहीं है कि इसका पता ऊर्जा निगम के अधिकारियों को न हो। शिकायतें भी आए दिन अधिकारियों के पास पहुंचती रहती हैं, लेकिन संबंधित कर्मचारियों, अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। 

आखिर कहां जाती है करोड़ों की केबल 

ऐसा नहीं है कि ऊर्जा की निगम के पास केबल की कमी हो। हर वर्ष निगम की ओर से करोड़ों की केबल की खरीद की जाती है, लेकिन उपभोक्ताओं को केबल देने में क्यों आनाकानी की जाती है। यह समझ से परे है। सवाल यह भी उठता है कि जब केबल उपभोक्ताओं को नहीं दिया जाता तो विभाग केबल का करता क्या है। इससे साफ जाहिर है कि केबल को ठिकाने लगाया जा रहा है। जिसकी कमाई निगम के भ्रष्ट अधिकारियों की जेब में जाती है। 

विगत तीन साल में खरीदी गई केबल 

वर्ष, केबल खरीद किमी में, रकम 

2016, 200 किमी, 6924000 रुपये 

2017, 1000 किमी, 11083560 रुपये 

2018, 1500 किमी, 10235600 रुपये 

ऊर्जा निगम के एमडी का कहना है कि यूपीसीएल हर साल पर्याप्त मात्रा में केबल की खरीद करता है। वर्तमान में भी यूपीसीएल के पास पर्याप्त पीवीसी केबल है। उपभोक्ता को 40 मीटर तक केबल मुफ्त में देने का प्रावधान है। अगर किसी उपभोक्ता से केबल मंगाई जाती है तो वह शिकायत दर्ज करें। संबंधित के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाएगी। 

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