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आमजन तक पहुंचे विधायी निकायों की कार्यवाही

बदली परिस्थितियों में विधायी निकायों में कागज के कम से कम उपयोग पर जोर देते हुए पेपरलेस व्यवस्था पर फोकस किया जाना चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Dec 2019 09:40 PM (IST)Updated: Tue, 17 Dec 2019 09:40 PM (IST)
आमजन तक पहुंचे विधायी निकायों की कार्यवाही
आमजन तक पहुंचे विधायी निकायों की कार्यवाही

राज्य ब्यूरो, देहरादून: बदली परिस्थितियों में विधायी निकायों में कागज के कम से कम उपयोग पर जोर देते हुए पेपरलेस व्यवस्था पर फोकस किया जाना चाहिए। पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में भाग लेने पहुंची लोकसभा की महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव ने पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में ये बात कही। उन्होंने कहा कि इसके लिए सूचना- प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोग किया जाना चाहिए।

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एक सवाल पर लोस महासचिव ने कहा कि विधायी निकायों की वेबसाइट निरंतर अपडेट होनी चाहिए। विधायी निकायों की कार्यवाही आमजन तक पहुंचे, इसके लिए प्रभावी कदम उठाने आवश्यक हैं। वैसे भी यह डिजिटल व सूचना-प्रौद्योगिकी का दौर है और ये कठिन भी नहीं है।

लोस महासचिव ने कहा कि पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन बेहद महत्वपूर्ण है। 2016 के बाद अब यह हो रहा है। यह विधानमंडलों की बेस्ट प्रैक्टिसेज को साझा करने का प्लेटफार्म भी है। हालांकि, सभी विधायी निकाय स्वायत्त हैं, फिर भी वे एक साथ मिलकर विचार कर एक मत पर पहुंचकर काम कर सकते हैं। सम्मेलन के जरिये मिलकर आपस में सीखते भी हैं और एक-दूसरे की बेस्ट प्रैक्टिसेज को अपने यहां लागू भी करते हैं। साथ ही प्रक्रिया का सरलीकरण भी कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि विधायी निकायों की स्वायत्तता जरूरी है। इसे बरकरार रखते हुए उनकी गरिमा को कैसे कायम रख सकते हैं, इसके लिए भी सम्मेलन में मंथन होता है। उन्होंने कहा कि विधायी कार्याें को सरल बनाने और संसदीय प्रक्रिया में एकरूपता लाने पर भी सम्मेलन में मंथन होगा।


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