Lockdown 5.0: खाली ही चले कई विक्रम, सार्वजनिक की जगह निजी वाहनों को तरजीह दे रहे लोग
कोरोना संक्रमण के बीच तकरीबन ढाई महीने बाद सीमित सवारी के साथ संचालन शुरू करने के बाद विक्रमों में दूसरे दिन भी सवारी का अभाव रहा।
देहरादून, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के बीच तकरीबन ढाई महीने बाद सीमित सवारी के साथ संचालन शुरू करने के बाद विक्रमों में दूसरे दिन भी सवारी का अभाव रहा। यूं तो विक्रमों की संख्या 800 के आसपास है, लेकिन सवारी कम होने के चलते फिलहाल करीब 100 विक्रम चलाए जा रहे। जगह-जगह चाक-चौराहों पर खड़े बिक्रम चालक सवारी का इंतजार करते हुए नजर आए। अभी लोग सार्वजनिक परिवहन सेवा की अपेक्षा निजी वाहनों को तरजीह दे रहे हैं।
कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन में बीती 22 मार्च से सार्वजनिक परिवहन सेवाओं के पहिए थमे हुए थे। अब केंद्र सरकार ने देश को अनलॉक की ओर ले जाना आरंभ किया है तो सार्वजनिक परिवहन को पटरी पर लाने के प्रयास किए जा रहे। हालांकि, उत्तराखंड सरकार की ओर से ट्रांसपोर्टरों को कोई खास रियायत नहीं दी गई है, लिहाजा बस ऑपरेटर तो फिलहाल किसी भी सूरत में संचालन को राजी नहीं हैं।
ये दीगर बात है कि आर्थिक संकट से जूझ रहे विक्रम और ऑटो संचालकों ने सरकार की शर्तों पर ही सोमवार से अपना संचालन शुरू कर दिया था। शहर में सभी रूटों पर बिक्रम चलाए जा रहे, लेकिन इनकी संख्या बेहद सीमित है। पहले बिक्रम में नौ सवारी बैठाई जाती थी, लेकिन अब सरकार ने केवल चार की अनुमति दी हुई है। ये चार सवारी भी लंबे इंतजार के बाद मिल पा रहीं। ऐसे ही ऑटो में महज एक सवारी बैठाने की इजाजत है। ट्रांसपोर्टर सरकार से किराया बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि खाली चल रहीं सीटों का किराया सरकार वहन करे या फिर किराया दोगुना कर दे।
रोडवेज यूनियन ने जताया विरोध
सरकारी कर्मचारियों के वेतन से हर माह एक दिन का वेतन काटने के राज्य सरकार के फैसले पर उत्तराखंड रोडवेज इंप्लाइज यूनियन ने भी विरोध जताया है। यूनियन के प्रदेश महामंत्री रविनंदन कुमार की ओर से मुख्य सचिव को पत्र भेजकर पुनर्विचार की मांग की गई है। यूनियन के अनुसार निगम कर्मियों को अब तक सातवें वेतनमान का लाभ नहीं मिला है।
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