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Lockdown से परिवहन व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित, केंद्र से मांगे गए 244.50 करोड़

सरकार ने परिवहन व्यवसाय से जुड़े लोगों और परिवहन निगम कर्मियों का वेतन देने के लिए केंद्र से 244.50 करोड़ की मदद मांगी है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 17 May 2020 01:39 PM (IST)Updated: Sun, 17 May 2020 01:39 PM (IST)
Lockdown से परिवहन व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित, केंद्र से मांगे गए 244.50 करोड़
Lockdown से परिवहन व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित, केंद्र से मांगे गए 244.50 करोड़

देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश सरकार ने परिवहन व्यवसाय से जुड़े लोगों और परिवहन निगम कर्मियों का वेतन देने के लिए केंद्र से 244.50 करोड़ की मदद मांगी है। इसके लिए केंद्र सरकार को पत्र भी भेज दिया गया है।

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प्रदेश में कोरोना काल में शुरू हुए लॉकडाउन के कारण प्रदेश में परिवहन व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ है। चारधाम यात्र शुरू न होने के कारण भी परिवहन व्यवसाय से जुड़े लोगों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा है। लॉकडाउन को अब तकरीबन दो माह होने वाले हैं लेकिन व्यावसायिक परिवहन सेवाएं शुरू नहीं हो पाई हैं। इसका सबसे अधिक असर चालक, परिचालक और क्लीनरों पर पड़ा है। इनके सामने अब दो जून की रोटी की व्यवस्था करना भी मुश्किल हो गया है। प्रदेश में निजी परिवहन व्यवसाय क्षेत्र में तकरीबन 2.25 लाख चालक, परिचालक और क्लीनर हैं। 

लॉकडाउन में इनकी आर्थिकी बुरी तरह प्रभावित हुई है। अब इन्हें आर्थिक सहायता देने के लिए प्रदेश सरकार ने 112.50 करोड़ का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया है। इसी प्रकार प्रदेश में पहले से ही घाटे पर चल रहे परिवहन निगम की आर्थिक हालत भी काफी खराब है। स्थिति यह है कि निगम के पास अपने कार्मिकों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं है। हाल ही में निगम ने मार्च माह का वेतन देने के लिए 22 करोड़ का प्रस्ताव राज्य सरकार को सौंपा है। 

वहीं, राज्य सरकार ने परिवहन निगम की माली हालात का हवाला देते हुए निगम कार्मिकों के पांच माह के वेतन के रूप में 132 करोड़ देने का अनुरोध केंद्र से किया है। कुछ समय पहले परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने केंद्र के सामने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान यह मसला उठाया था। इस संबंध में प्रस्ताव केंद्र को भेज दिया गया है।

तीन जिलों के 6500 गांवों के बनेंगे नक्शे

उत्तराखंड में पहली बार आबाद गांवों का भीतरी नक्शे तैयार किया जाएगा। इससे गांवों में भूमि और भवन को लेकर होने वाले विवादों का समाधान होगा। प्रदेश में केंद्र की स्वामित्व योजना को पहले चरण में बतौर पायलट प्रोजेक्ट तीन जिलों के 6500 गांवों में लागू किया जा रहा है।

प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में राजस्व भूमि, खेत-खलिहानों के नक्शे मौजूद हैं, लेकिन आबाद गांवों के भीतर के नक्शे हैं ही नहीं। इस वजह से गांवों को नक्शे के दायरे में लाने की कसरत प्रारंभ हो गई है। केंद्र की स्वामित्व योजना के तहत इसे लागू किया जा रहा है। गांवों के नक्शे तैयार करने और सर्वे के काम के लिए सर्वे ऑफ इंडिया को नोडल एजेंसी नामित किया गया है। दरअसल ग्रामीण क्षेत्रों में भवन और भूमि को लेकर कभी नक्शे तैयार नहीं किए गए हैं। इससे मालिकाना हक को लेकर विवादों का समाधान नहीं हो रहा है। 

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साथ ही सरकार के पास भी आबाद गांवों में भूमि और भवनों का सही डाटा नहीं है। केंद्र सरकार की इस योजना को राज्य के तीन जिलों पौड़ी, अल्मोड़ा और ऊधमसिंहनगर में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जा रहा है। इन तीन जिलों के 6500 गांवों में यह कार्य किया जा रहा है। गौरतलब है कि प्रदेश के दोनों जिलों पौड़ी और अल्मोड़ा से लोगों का सर्वाधिक पलायन हुआ है। इनमें घोस्ट विलेज की संख्या भी सर्वाधिक है। राजस्व सचिव सुशील कुमार ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट की रिपोर्ट के आधार पर राज्य के अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस योजना को अमलीजामा पहनाने पर विचार किया जाएगा। 

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