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किरायेदार महिला की हत्या में इंजीनियर को उम्रकैद Dehradun News

साढ़े तीन साल पहले टी-एस्टेट के जंगल में किरायेदार महिला की गला रेत कर हत्या करने के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश शंकर राज ने दोषी हार्डवेयर इंजीनियर को उम्रकैद की सजा सुनाई है।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 02 Oct 2019 09:41 AM (IST)Updated: Wed, 02 Oct 2019 09:41 AM (IST)
किरायेदार महिला की हत्या में इंजीनियर को उम्रकैद Dehradun News
किरायेदार महिला की हत्या में इंजीनियर को उम्रकैद Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। साढ़े तीन साल पहले टी-एस्टेट के जंगल में किरायेदार महिला की गला रेत कर हत्या करने के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश शंकर राज ने दोषी हार्डवेयर इंजीनियर को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने दोषी पर पचास हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। यह धनराशि मृतका के पति को बतौर प्रतिकर दी जाएगी।

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सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता जया ठाकुर ने अदालत को बताया कि मृतका गुरुप्रीत कौर पत्नी रविंदर सिंह उर्फ गुरमी निवासी रेस्ट कैम्प वर्ष 2015 तक आशीष उर्फ मोनू पुत्र सुबोध कुमार निवासी त्यागी रोड के घर में किराये पर रहती थी। 

मोनू एक कंपनी में हार्डवेयर इंजीनियर था। किराये पर रहने के दौरान एक बार मोनू ने गुरुप्रीत के खाते के एटीएम कार्ड से दो लाख रुपये निकाल लिए। जब इस बात का पता गुरप्रीत को चला तो उसने मोनू से रकम वापस करने का दबाव बनाया। इसे लेकर दोनों में कई बार झगड़ा हुआ। किसी तरह मोनू ने एक लाख रुपये वापस कर दिए, लेकिन 96 हजार रुपये बकाया रह गए। 

इस बीच गुरप्रीत ने मकान बदल दिया और परिवार के साथ दूसरी जगह रहने चली गई। लेकिन पैसों के लिए वह अक्सर मोनू को फोन करती रहती थी। इससे आजिज आकर मोनू ने उसकी हत्या की योजना बनाई। योजना के तहत पांच फरवरी 2016 को उसने गुरप्रीत को घर बुलाया। 

गुरप्रीत ने अपने आठ साल के बेटे को अपने भाई जगजीत सिंह को सौंपा और कहा कि बच्चे को वह संभाले वह मोनू के घर जा रही है। उसी दिन शाम को गुरप्रीत के भांजे मनिंदर ने जगतीत को बताया कि उसने मोनू को स्कूटी से जाते बल्लूपुर के पास देखा है। गुरप्रीत पीछे बैठी थी। 

अगले दिन गुरप्रीत की लाश टी-एस्टेट के जंगल मिली। उसका गला रेता गया था। इधर मोनू वारदात को अंजाम देने के बाद मसूरी चला गया। वहां के एक होटल में खुदकुशी की कोशिश की, लेकिन होटल कर्मियों को समय से पता चल गया और उपचार के बाद उसकी जान बच गई। 

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पकड़े जाने के बाद मोनू ने आरोपों से इंकार किया, लेकिन पुलिस की विवेचना और अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए 18 गवाहों ने मोनू पर आरोप लगाया। गवाहों के बयान और साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई।

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