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कई मोर्चों पर दुश्मन को छकाने वाले ले. जनरल ओपी कौशिक का निधन

कई मोर्चों पर दुश्मन के हौसले पस्त करने वाले दून निवासी ले. जनरल (सेनि.) ओपी कौशिक का शनिवार को निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के आरआर अस्पताल में अंतिम सांस ली।

By BhanuEdited By: Published: Mon, 02 Dec 2019 07:45 AM (IST)Updated: Mon, 02 Dec 2019 07:45 AM (IST)
कई मोर्चों पर दुश्मन को छकाने वाले ले. जनरल ओपी कौशिक का निधन

देहरादून, जेएनएन। कई मोर्चों पर दुश्मन के हौसले पस्त करने वाले दून निवासी ले. जनरल (सेनि.) ओपी कौशिक का शनिवार को निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के आरआर अस्पताल में अंतिम सांस ली।      

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मूल रूप से हरियाणा के झच्जर जिले के बेरी क्षेत्र के रहने वाले ले. जनरल (सेनि.) ओपी कौशिक करीब चार दशक से दून के विजय कॉलोनी में रहते थे। वह राजपूताना राइफल्स की बैठक के लिए 23 नवंबर को दिल्ली गए थे। इस दौरान रास्ते में उनकी तबीयत बिगड़ गई। इस पर उन्हें मेरठ के मेट्रो अस्पताल और फिर दिल्ली स्थित सेना के आरआर अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां शनिवार रात करीब 10:15 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। 

ले. जनरल (सेनि.) ओपी कौशिक ने 1962, 1965, 1971 व 1999 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय (एमडीयू) के कुलपति भी रहे। इसके अलावा रक्षा विशेषज्ञ के तौर पर भी उनकी विशिष्ट पहचान थी। 

सामरिक ही नहीं, शिक्षा के क्षेत्र में भी थी विशिष्ट पहचान

ले.जनरल ओपी कौशिक (सेनि.) न सिर्फ सामरिक मामलों के विशेषज्ञ थे, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी उनकी अच्छी पकड़ रही। इसके अलावा सामाजिक मूल्यों के लिए भी वह सेना की सेवा के बाद हमेशा सक्रिय रहे। 

देश की सीमा और समाज के मोर्चे को छोड़कर भले ही वह बहुत दूर जा चुके हैं, मगर उनके पीछे अब उनका बेटा और पोता दोनों देश की सीमा पर मजबूती से खड़े हैं। उनका बेटा व पोता दोनों ही सेना में हैं।

ले जनरल (सेनि.) ओपी कौशिक भारतीय सैन्य अकादमी से 1959 में पाउसआउट हुए थे। उन्होंने 37 वर्ष सेना में सेवा दी। इस दौरान उन्होंने मिजोरम, नागालैंड व कश्मीर की समस्या को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 

ब्रिटिश आर्मी स्कूल ऑफ इंफेंट्री में चार वर्ष तक भारत का प्रतिनिधित्व करने के साथ ही उन्होंने लंदन में भारत उच्चायोग में सहायक सैन्य सलाहकार का पदभार भी संभाला। सेवा के दौरान उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा सम्मान से नवाजा गया।

उनका परिवार सैन्य परम्परा की भी एक जीती जागती मिसाल है। उनके बेटे ब्रिगेडियर आकाश कौशिक के साथ ही पोता भी सेना में अफसर है। ब्रिगेडियर आकाश वर्तमान में दिल्ली में कार्यरत हैं। बेटी याशिका कौशिक एक स्कूल में प्रधानाचार्य हैं। 

हाल में मनाया था 81वां जन्मदिन

ले. जनरल (सेनि.) ओपी कौशिक ने हाल में विजय कॉलोनी स्थित अपने आवास में अपना 81वां जन्मदिवस मनाया था। जिसमें उन्होंने अपने खास मेहमानों को बुलाया था। 

महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के रहे कुलपति 

ले. जनरल (सेनि.) ओपी कौशिक शिक्षा क्षेत्र में भी एक जाना पहचाना नाम थे। वह महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक के कुलपति रहे। उम्र के इस पड़ाव पर भी उन्हें पढऩे लिखने का बहुत शौक था। इसी लिए उन्होंने अपने घर पर एक लाइब्रेरी भी बनाई हुई थी। जिसमें हर विषय की किताबें हैं। उनके घर अंग्रेजी और हिंदी के पांच अखबार आते हैं। इसके अलावा वह किताबें पढऩे को भी रोजाना समय निकालते थे। 

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उपनल के निदेशक भी थे 

ले. जनरल (सेनि.) ओपी कौशिक के निधन पर पूर्व सैनिक संगठनों ने शोक व्यक्त किया है। वह उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड (उपनल) वरिष्ठ निदेशक थे। उपनल के प्रबंधन निदेशक (सेवानिवृत्त) ब्रिगेडियर पीपीएस पाहवा ने दुख जताते हुए कहा कि उनका देश की सुरक्षा में योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता है। पूर्व सैनिक सूबेदार मेजर तीरथ सिंह ने इसे अपूर्णीय क्षति बताया। उन्होंने कहा कि हमने एक नायक खोया है। उन्होंने गढ़वाल राइफल्स के सभी पूर्व सैनिकों की तरफ से शोक व्यक्त किया। 

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