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उत्तराखंड में बदल रहा है गुलदारों का व्यवहार, अध्ययन में सामने आई यह बात

उत्तराखंड में जान-माल के खतरे का सबब बने गुलदारों के व्यवहार में बदलाव आ रहा है। रेडियो कॉलर किए गए तीन गुलदारों पर चल रहे अध्ययन में सामने आए तथ्य इसकी तस्दीक कर रहे हैं। गुलदारों ने क्षेत्रों से 12 से 15 किमी के फासले पर नए ठिकाने बनाए हैं।

By Sumit KumarEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 06:05 AM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 06:05 AM (IST)
उत्तराखंड में गुलदारों के व्यवहार में बदलाव आ रहा है। उनपर चल रहे अध्ययन में यह बात सामने आई ।

देहरादून,  केदार दत्त। समूचे उत्तराखंड में जान-माल के खतरे का सबब बने गुलदारों के व्यवहार में बदलाव आ रहा है। रेडियो कॉलर किए गए तीन गुलदारों पर चल रहे अध्ययन में सामने आए तथ्य इसकी तस्दीक कर रहे हैं। इन गुलदारों ने उन्हीं क्षेत्रों से 12 से 15 किमी के फासले पर नए ठिकाने बनाए हैं, जहां से इन्हें पकड़कर रेडियो कॉलर लगाए गए थे। राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग के अनुसार चौंकाने वाली बात ये है कि ये गुलदार रात की बजाए दिन में ज्यादा सक्रिय हैं। यही नहीं, ये नदियों को भी आसानी से पार कर रहे हैं।

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प्रदेशभर में गुलदारों के बढ़ते हमलों को देखते हुए वन्यजीव महकमे ने रेडियो कॉलर लगाकर इनके व्यवहार का अध्ययन करने का निर्णय लिया। इस मुहिम के तहत सितंबर में हरिद्वार और अक्टूबर में टिहरी जिले में एक-एक गुलदार को रेडियो कॉलर लगाए गए। नवंबर में बागेश्वर क्षेत्र से पकड़े गए गुलदार की हल्द्वानी में रेडियो कॉलरिंग की गई। इसके बाद इन्हें उन क्षेत्रों से कई-कई किलोमीटर दूर घने जंगलों में छोड़ा गया, जहां से इन्हें पकड़ा गया था। रेडियो कॉलरिंग के जरिये इनकी निरंतर मॉनीटरिंग की जा रही है।

राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक सुहाग के अनुसार शुरुआती दौर में तीनों गुलदार उन क्षेत्रों में वापस लौटे थे, जहां से इन्हें पकड़ा था। कुछ दिन बाद ये वापस लौटे और फिर 12 से 15 किलोमीटर दूर जंगलों में अपने-अपने नए ठिकाने बना लिए। ये वहां लगातार शिकार भी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सुरक्षा कारणों के मद्देनजर उन स्थानों की जानकारी नहीं दी जा सकती, जहां इन्होंने ठिकाने बनाए हैं। अलबत्ता, चौंकाने वाला तथ्य यह है कि ये दिन में शिकार के लिए ज्यादा निकल रहे हैं। अमूमन, बड़े बिडाल (बिल्ली परिवार) रात में ही शिकार करते हैं।

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सुहाग के अनुसार राज्य में ये धारणा है कि गुलदार पानी में उतरने से डरते हैं, लेकिन तीनों गुलदारों ने नए ठिकानों की तलाश के दौरान नदियों को पार किया। हरिद्वार में रेडियो कॉलर किए गए गुलदार ने तो गंगा नदी को तीन बार पार किया। उन्होंने बताया कि राज्य में कुछ और गुलदारों की रेडियो कॉलरिंग की जाएगी। इससे इनके व्यवहार में दिख रहे बदलावों के मद्देनजर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जो गुलदार-मानव संघर्ष थामने के उपायों में मददगार साबित होगी।

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