Move to Jagran APP

राजाजी में वन्यजीवों के लिए मुसीबत बनी लैंटाना, जानिए कैसे

विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की भांति राजाजी टाइगर रिजर्व में भी कुर्री की झाड़ियां वन्यजीवों के लिए मुसीबत का सबब बनती जा रही हैं।

By Edited By: Published: Mon, 15 Apr 2019 03:01 AM (IST)Updated: Mon, 15 Apr 2019 08:41 PM (IST)
राजाजी में वन्यजीवों के लिए मुसीबत बनी लैंटाना, जानिए कैसे
राजाजी में वन्यजीवों के लिए मुसीबत बनी लैंटाना, जानिए कैसे

देहरादून, केदार दत्त। विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की भांति राजाजी टाइगर रिजर्व में भी कुर्री (लैंटाना कमारा) की झाड़ियां वन्यजीवों के लिए मुसीबत का सबब बनती जा रही हैं। राजाजी रिजर्व के करीब 50 फीसद हिस्से में पर्यावरण के लिए घातक मानी जाने वाली इस झाड़ीनुमा वनस्पति के फैलाव ने रिजर्व प्रशासन की पेशानी पर बल डाल दिए हैं। इसे देखते हुए अब 1120 वर्ग किलोमीटर में फैले इस रिजर्व में विस्तृत सर्वे कराया जा रहा है, ताकि लैंटाना के फैलाव की सही तस्वीर सामने आ सके। इसमें भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) की मदद भी ली जा रही है।

loksabha election banner

इस सर्वेक्षण के आधार पर लैंटाना उन्मूलन को प्रभावी कार्ययोजना तैयार कर इसे धरातल पर उतारा जाएगा। अपने आसपास दूसरे पौधों को न पनपने देने और वर्षभर खिलने के कारण झाड़ीनुमा लैंटाना वनस्पति पर्यावरण के लिए खतरनाक साबित हो रही है। कार्बेट टाइगर रिजर्व में तो बड़े हिस्से में लैंटाना का फैलाव बाघों के वासस्थल को प्रभावित कर रहा है। वहां घास के मैदान संकुचित हो रहे हैं और इनमें शाकाहारी जानवरों की कम आवाजाही से बाघ के शिकार के अड्डों में कमी देखने में आई है।

खुद टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन फॉर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का शासी निकाय इस पर चिंता जता चुका है। इसे देखते हुए वहां लैंटाना उन्मूलन के लिए कार्ययोजना तैयार करने को कसरत चल रही है। कार्बेट की भांति प्रदेश के दूसरे राजाजी टाइगर रिजर्व में भी लैंटाना के फैलाव ने दिक्कतें खड़ी करनी शुरू कर दी हैं। यहां भी करीब 50 फीसद से ज्यादा हिस्सा लैंटाना की जद में है। जाहिर है कि इससे राजाजी में भी वन्यजीवों के वासस्थल पर असर पड़ रहा है। यानी राजाजी में भी खतरे की घंटी बज चुकी है। 

हालांकि, लैंटाना उन्मूलन रिजर्व के वर्किंग प्लान में शामिल है, मगर बजट की कमी समेत अन्य कारण इस राह में रोड़े अटकाते आ रहे हैं। इसे देखते हुए रिजर्व प्रशासन ने अब लैंटाना उन्मूलन के मद्देनजर ठोस एवं प्रभावी कार्ययोजना तैयार करने के लिए पूरे रिजर्व क्षेत्र का विस्तृत सर्वे कराने का निर्णय लिया है। राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक पीके पात्रो के मुताबिक सर्वे में भारतीय वन्यजीव संस्थान की मदद लेने के साथ ही रिजर्व की सभी रेंजों के रेंज अधिकारियों से जानकारी मांगी गई है। उन्होंने बताया कि विस्तृत सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद इसके आधार पर कार्ययोजना तैयार कर लैंटाना उन्मूलन को कदम उठाए जाएंगे। सीआर बाबू तकनीक की लेंगे मदद रिजर्व के निदेशक बताते हैं लैंटाना उन्मूलन के लिए सीआर बाबू तकनीक सबसे कारगर है और इसे यहां वृहद रूप में अपनाया जाएगा। 

गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. सीआर बाबू ने लैंटाना उन्मूलन की तकनीक वर्ष 2007 में कॉर्बेट में ही इजाद की थी। इसके तहत लैंटाना के पौधे को जमीन में छह से आठ इंच नीचे जड़ से काटकर उल्टा कर दिया जाता है। फिर यह जड़ से पैदा नहीं होता। साथ ही संबंधित इलाके की लगातार मॉनीटरिंग होती है, ताकि वहां पहले से गिरे बीज से लैंटाना के अन्य पौधे न उगने पाए।

यह भी पढ़ें: यहां छह साल से परियोजना की सुरंग में फंसी है बोरिंग मशीन, जानिए

यह भी पढ़ें: खंडहर होने की कगार पर पांच करोड़ का ढांचा, यह है कारण

यह भी पढ़ें: आज भी पहचान को मोहताज है तीन पावन नदियों का संगम, जानिए


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.