गांव लौटे प्रवासियों को थामने की कसरत में जुटी राज्य सरकार, जानिए प्रवासियों की जिलेवार सूची
उत्तराखंड के गांवों में लौटे प्रवासी इस मर्तबा रुकेंगे या फिर लौटेंगे यह सवाल अब फिजां में तैरने लगा है। हालांकि कोरोना संक्रमण की रोकथाम में जुटी सरकार ने इस पहलू पर गंभीरता से मंथन शुरू कर दिया है।
केदार दत्त, देहरादून: उत्तराखंड के गांवों में लौटे प्रवासी इस मर्तबा रुकेंगे या फिर लौटेंगे, यह सवाल अब फिजां में तैरने लगा है। हालांकि, कोरोना संक्रमण की रोकथाम में जुटी सरकार ने इस पहलू पर गंभीरता से मंथन शुरू कर दिया है। प्रवासियों के साथ ही अन्य व्यक्तियों को स्वरोजगार के अवसर मुहैया कराए जा सकें, इसके लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में लक्ष्य बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। पिछले वर्ष इस योजना में केवल पांच हजार प्रवासी ही लाभान्वित हो पाए थे।
यह किसी से छिपा नहीं है कि उत्तराखंड के गांव पलायन की समस्या से जूझ रहे हैं। रोजगार और मूलभूत सुविधाओं के अभाव के चलते बेहतर भविष्य की तलाश में मजबूरी में यह पलायन हो रहा है। इस बीच पिछले साल कोरोना की दस्तक के बाद देश के विभिन्न हिस्सों से प्रवासियों की वापसी का क्रम शुरू हुआ। गत वर्ष 3.52 लाख प्रवासियों के वापस लौटने से न सिर्फ बंद घरों के ताले खुले, बल्कि गांवों की रंगत भी निखर आई थी।तब सरकार ने प्रवासियों को थामे रखने के मद्देनजर जून में विभिन्न विभागों की स्वरोजगार योजनाओं को एक छतरी के नीचे लाकर मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना शुरू की। शुरुआत में कुछ दिक्कतें आईं, मगर बाद में करीब पांच हजार प्रवासियों को स्वरोजगार के लिए बैंकों से ऋण मुहैया कराया गया। ये सभी पोल्ट्री, डेयरी, जैविक खेती, बकरी पालन, मशरूम उत्पादन, होटल-ढाबा समेत अन्य व्यवसाय कर रहे हैं। साथ ही अन्य व्यक्तियों को रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं। इसके अलावा करीब दो लाख प्रवासियों को मनरेगा में सौ दिन का रोजगार उपलब्ध होने से राहत मिली। हालांकि, बाद में परिस्थितियां सामान्य होने पर 30 सितंबर तक डेढ़ लाखसेअधिक प्रवासी वापस लौट गए थे।
अब कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर तेज होने के बाद परिस्थितियां पिछले साल जैसी हो गई हैं। साथ ही प्रवासियों की वापसी का क्रम तेज हुआ है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 21 से 30 अपै्रल के बीच 86089 प्रवासी गांवों में लौटे हैं। इस परिदृश्य के बीच अब प्रवासियों को गांवों में ही थामे रखने की कवायद पर भी सरकार ने फोकस किया है।
ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डा.एसएस नेगी के मुताबिक सरकार को सुझाव दिया जा रहा है कि प्रवासियों को स्वरोजगार मुहैया कराने के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में इस साल लक्ष्य बढ़ाकर कम से कम 25 हजार किया जाए। उन्होंने कहा कि यदि इतने प्रवासी अपना स्वरोजगार खड़ा करते हैं तो वे करीब एक लाख व्यक्तियों को रोजगार देने में सक्षम हो सकेंगे। इसके साथ ही प्रवासियों के कौशल विकास पर फोकस करने का सुझाव दिया जाएगा।
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गांव लौटे प्रवासी (21 से 30 अपै्रल तक)
जिला---------------------- संख्या
देहरादून---------------------- 31568
हरिद्वार---------------------- 11581
अल्मोड़ा---------------------- 8202
ऊधमसिंहनगर---------------------- 8075
पौड़ी---------------------- 7869
नैनीताल---------------------- 7470
टिहरी---------------------- 3310
पिथौरागढ़---------------------- 1823
चंपावत---------------------- 1711
चमोली---------------------- 1302
बागेश्वर---------------------- 1178
रुद्रप्रयाग---------------------- 1174
उत्तरकाशी---------------------- 826
प्रवासियों से संपर्क साधेगा आयोग
पलायन आयोग अब जल्द ही गांव लौटे प्रवासियों से संपर्क साधेगा। आयोग के उपाध्यक्ष डा.नेगी के अनुसार प्रवासियों से स्वरोजगार के मद्देनजर उनके कौशल, अभिरुचि समेत अन्य बिंदुओं पर जानकारी ली जाएगी। फिर इसका विस्तृत ब्योरा सरकार को सौंपा जाएगा। सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि सरकार गांव लौटे प्रवासियों की चिंता कर रही है। उन्हें स्वरोजगार मुहैया कराने के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही अन्य स्वरोजगारपरक योजनाओं से उन्हें किस तरह लाभान्वित किया जा सकता है, इसे लेकर भी मंथन चल रहा है।
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