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अब सरकारी योजनाओं की राह में भू-उपयोग की बंदिशें नहीं बनेगी बाधा, जानिए

शहरी और जन सुविधाओं के विस्तार से जुड़ी सरकारी योजनाओं की राह में भू-उपयोग की बंदिशें बाधा नहीं बनेंगी।

By Edited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 09:48 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 08:13 PM (IST)
अब सरकारी योजनाओं की राह में भू-उपयोग की बंदिशें नहीं बनेगी बाधा, जानिए
अब सरकारी योजनाओं की राह में भू-उपयोग की बंदिशें नहीं बनेगी बाधा, जानिए

देहरादून, राज्य ब्यूरो। शहरी और जन सुविधाओं के विस्तार से जुड़ी सरकारी योजनाओं की राह में भू-उपयोग की बंदिशें बाधा नहीं बनेंगी। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, ट्रेंचिंग ग्राउंड, पेयजल समेत विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए भूमि को खेती से गैर खेती उपयोग में बदलने का झंझट खत्म होगा। इसके लिए सरकार भूमि अधिनियम में संशोधन करने जा रही है। 

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अभी बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी सरकारी योजनाओं के लिए भू उपयोग बदलने को संबंधित महकमों को खासी मशक्कत करनी पड़ती है। कई बार तो नौबत विवाद लंबा खिंचने तक पहुंच रही है। ऐसे में इन योजनाओं पर बुरा असर तो पड़ ही रहा है, लंबे समय तक जन सुविधाओं के निस्तारण का मामला हल नहीं हो पा रहा है। योजनाओं के लंबा खिंचने से सरकार चिंतित है। अब इस समस्या का तोड़ निकालने की कवायद की जा रही है। सरकार के निर्देश पर राजस्व महकमे ने सरकारी योजनाओं के लिए भू उपयोग परिवर्तन में होने वाली परेशानी से निपटने का प्रस्ताव तैयार किया है। 

इसमें उत्तराखड (उत्तरप्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950)(संशोधन) अधिनियम में भू उपयोग परिवर्तन से संबंधित धारा-143 में संशोधन की तैयारी है। इस संशोधन के बाद सरकारी योजनाओं के लिए कृषि भू उपयोग को अकृषि में बदलने की दरकार नहीं रहेगी। इस कार्य में समय जाया नहीं होगा। राजस्व सचिव सुशील कुमार के मुताबिक उक्त अधिनियम की संबंधित धारा में संशोधन किया जाएगा। इस संबंध में प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट में पेश किया जाएगा। 

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भू आवंटन को बनेगी पारदर्शी नीति उन्होंने बताया कि सरकार विभिन्न वर्गों में भूमि आवंटन की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने जा रही है। नदियों-नालों की जमीन पर अवैध अतिक्रमण हटाने के दौरान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने लोगों को विभिन्न कारणों से दी जानी वाली सरकारी भूमि की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के निर्देश दिए थे। इसके मद्देनजर भी भू-नियमों में संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इस पर भी कैबिनेट को निर्णय लेना है।

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