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अपर मुख्य सचिव के आदेश से खफा हरक ने मुख्यमंत्री को भेजे साक्ष्य

गढ़वाल-कुमाऊं को सीधे आपस में जोड़ने वाली कंडी रोड के लालढांग-चिलरखाल हिस्से का निर्माण कार्य रोकने संबंधी प्रकरण तूल पकड़ गया है। इस संबंध में हरक सिंह ने सीएम को साक्ष्य भेजे।

By Edited By: Published: Sat, 18 May 2019 08:36 PM (IST)Updated: Sun, 19 May 2019 11:28 AM (IST)
अपर मुख्य सचिव के आदेश से खफा हरक ने मुख्यमंत्री को भेजे साक्ष्य
अपर मुख्य सचिव के आदेश से खफा हरक ने मुख्यमंत्री को भेजे साक्ष्य

देहरादून, राज्य ब्यूरो। गढ़वाल-कुमाऊं को सीधे आपस में जोड़ने वाली कंडी रोड के लालढांग-चिलरखाल हिस्से का निर्माण कार्य रोकने संबंधी प्रकरण तूल पकड़ गया है। कार्य रोके जाने संबंधी अपर मुख्य सचिव के आदेश से खफा वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने अब इस सड़क के लिए भूमि हस्तांतरण से लेकर अब तक के आदेशों की प्रतियां साक्ष्य के तौर पर मुख्यमंत्री को भेजे हैं। 

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डॉ.रावत के अनुसार उन्होंने यह प्रतियां वाट्सअप के जरिये मुख्यमंत्री के अलावा अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश को भी भेजी हैं। वन मंत्री डॉ.रावत ने बीते रोज मुख्यमंत्री रावत से फोन पर हुई वार्ता में उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराया था। उन्होंने कहा कि लालढांग-चिलरखाल सड़क के लिए विधिवत तौर पर सरकार ने वन भूमि लोनिवि को हस्तांतरित की है। 

इस भूमि पर वन कानूनों की कोई बंदिश भी नहीं आ रही है। ऐसे में लैंसडौन वन प्रभाग के डीएफओ के कहने पर अपर मुख्य सचिव काम रोकने के आदेश कैसे जारी कर सकते हैं। 

बता दें कि यह सड़क लैंसडौन वन प्रभाग के अंतर्गत है। उन्होंने कहा कि इस सड़क को लेकर एनटीसीए ने आख्या मांगी थी, न कि काम रोकने के कोई निर्देश दिए थे। पर्दे के पीछे आखिर है कौन लालढांग-चिलरखाल मार्ग के बन जाने पर हरिद्वार से कोटद्वार के लिए न सिर्फ सुलभ मार्ग मिलेगा, बल्कि यात्रियों के धन व समय की बचत भी होगी। साथ ही उप्र से होकर गुजरने के झंझट से निजात मिलेगी। 

ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि इस सड़क को लेकर पर्दे के पीछे रहकर कौन अडं़गे डाल रहा है। प्रमुख सचिव वन से मांगी रिपोर्ट वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जय राज के विदेश दौरे के मामले में वन मंत्री डॉ.रावत ने प्रमुख सचिव वन से रिपोर्ट मांगी है। 

डॉ.रावत के अनुसार वन विभाग के मुखिया के विदेश दौरे की अनुमति से संबंधित फाइल उनके समक्ष नहीं लाई गई। वर्तमान में जंगलों में लगी आग को देखते हुए उन्हें इसकी अनुमति देना उचित नहीं था। डॉ.रावत के मुताबिक उन्होंने इस बारे में प्रमुख सचिव वन से पूरा ब्योरा तलब किया है।

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