लालढांग-चिलरखाल मार्ग को अब वन भूमि हस्तांतरण
गढ़वाल एवं कुमाऊं मंडलों को राज्य के भीतर ही आपस में सीधे जोड़ने वाली कंडी रोड के 11 किलोमीटर लंबे लालढांग -चिलरखाल हिस्से के लिए अब वन भूमि हस्तांतरण की कवायद की जाएगी।
By Edited By: Published: Wed, 20 Jun 2018 03:00 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jun 2018 05:15 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, देहरादून: गढ़वाल एवं कुमाऊं मंडलों को राज्य के भीतर ही आपस में सीधे जोड़ने वाली कंडी रोड के 11 किलोमीटर लंबे लालढांग -चिलरखाल हिस्से के लिए अब वन भूमि हस्तांतरण की कवायद की जाएगी। इस सिलसिले में वन मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने लोक निर्माण विभाग को प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। सरकार की मंशा यह है कि वन भूमि हस्तांतरण होने से इस हिस्से के निर्माण में कोई दिक्कत नहीं आएगी और समस्या का स्थायी समाधान भी हो जाएगा। कंडी रोड के लालढांग (हरिद्वार)- चिलरखाल (कोटद्वार) हिस्से को लेकर फिलहाल कोई विवाद नहीं है। हालांकि, इस 11 किमी लंबे मार्ग के डामरीकरण के लिए लोनिवि को धनराशि देने के साथ ही तीन किमी कार्य भी हो चुका है, लेकिन इसमें भी वन कानूनों का रोड़ा अटक सकता है। हालांकि, मार्ग के डामरीकरण में उस प्रावधान का हवाला दिया गया है, जिसमें यह साफ है कि वन अधिनियम लागू होने से पहले डामरीकृत सड़कों के डामरीकरण में वन कानून आड़े नहीं आएंगे। इस लिहाज, लालढांग-चिलरखाल के डामरीकरण में कोई अड़चन नहीं है। अलबत्ता, भविष्य में मार्ग पर फ्लाईओवर आदि के निर्माण में वन कानून रोड़ा बन सकते हैं। यही नहीं, इस मार्ग से संबंधित एक मामला कोर्ट में भी चल रहा है। दरअसल, मार्ग का यह हिस्सा लैंसडौन वन प्रभाग से होकर गुजरता है और राजाजी टाइगर रिजर्व को जोड़ता है। इस सबको देखते हुए सरकार की मंशा अब मार्ग के इस हिस्से के स्थायी समाधान की है और इसका रास्ता वन भूमि हस्तांतरण से होकर ही गुजरता है। वन मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत के अनुसार इस सड़क से जुड़ी दिक्कतों का स्थायी समाधान वन भूमि हस्तांतरण से हो जाएगा। इस क्रम में लोनिवि को निर्देश दिए गए हैं कि वह विधिवत रूप से वन भूमि हस्तांतरण का प्रस्ताव बनाकर भेजना सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव मिलने पर इसे पास कराने की दिशा में गंभीरता से कदम उठाए जाएंगे। ----
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