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लखवाड़ परियोजना: पर्यावरण पर प्रभाव के आकलन को पैनल गठित, इन्होंने याचिका डाल दी थी एक चुनौती

एनजीटी की लखवाड़ बहुद्देशीय जलविद्युत परियोजना (Lakhwar Hydroelectric Project) के पर्यावरण प्रभाव आदि के आकलन व संस्तुति देने को विशेषज्ञ पैनल गठित किया है। यह पैनल जल संसाधन मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव की अध्यक्षता में गठित किया गया।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 12:20 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 12:20 PM (IST)
लखवाड़ परियोजना: पर्यावरण पर प्रभाव के आकलन को पैनल गठित, इन्होंने याचिका डाल दी थी एक चुनौती
लखवाड़ परियोजना: पर्यावरण पर प्रभाव के आकलन को पैनल गठित।

जागरण संवाददाता, देहरादून नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने लखवाड़ बहुद्देशीय जलविद्युत परियोजना के पर्यावरण प्रभाव आदि के आकलन व संस्तुति देने को विशेषज्ञ पैनल गठित किया है। यह पैनल जल संसाधन मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव की अध्यक्षता में गठित किया गया।

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पर्यावरण कार्यकर्त्ता मनोज मिश्रा ने एनजीटी में याचिका दाखिल कर 300 मेगावाट की लखवाड़ बहुद्देशीय जलविद्युत परियोजना को दी गई पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की मंजूरी को चुनौती दी है। याचिका में उन्होंने कहा कि परियोजना में पेयजल/सिंचाई के घटक का मूल्यांकन नहीं किया गया। परियोजना को पर्यावरण मंजूरी देते समय विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ने तमाम पहलुओं पर भी गौर नहीं किया।

याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी अध्यक्ष आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने विशेषज्ञ पैनल गठित करते हुए निर्देश दिए कि परियोजना निर्माण से होने वाले पर्यावरण प्रभाव का आकलन किया जाए। विशेषज्ञ पैनल यह भी सुझाव देगा कि कैसे पर्यावरण पर पडऩे वाले प्रतिकूल प्रभाव कम किए जा सकते हैं। साथ ही स्थानीय निवासियों के पुनर्वास व पुनर्वास के विभिन्न पहलुओं पर भी टिप्पणी दर्ज की जा सकती है।

समिति काम शुरू करने के लिए एक माह का समय ले सकती है और विभिन्न आंकड़े एकत्रित करने के लिए दो माह का समय दिया गया। वहीं, पीठ ने कहा कि समिति चार माह के भीतर अपनी रिपोर्ट एनजीटी को सौंपे। परियोजना की बात की जाए तो 300 मेगावाट बिजली के उत्पादन के साथ इसके जलाशय से 330 मिलियन कब्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध होगा। जिसकी आपूर्ति उत्तराखंड समेत, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश को सिंचाई व पेयजल के लिए की जाएगी।

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