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श्रम मंत्री और कर्मकार बोर्ड के अध्यक्ष के बीच फिर छिड़ी रार, जान‍िए क्‍या है पूरा मामला

श्रम मंत्री डा.हरक सिंह रावत और उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल के बीच फिर से रार छिड़ गई है। श्रम मंत्री ने बोर्ड के अध्यक्ष की अध्यक्षता में बीते रोज हुई बैठक में लिए गए निर्णयों पर आपत्ति जताई है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 16 May 2021 11:50 AM (IST)Updated: Sun, 16 May 2021 11:50 AM (IST)
श्रम मंत्री और कर्मकार बोर्ड के अध्यक्ष के बीच फिर छिड़ी रार, जान‍िए क्‍या है पूरा मामला
श्रम मंत्री ने बोर्ड के अध्यक्ष की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिए गए निर्णयों पर आपत्ति जताई है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून: श्रम मंत्री डा.हरक सिंह रावत और उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल के बीच फिर से रार छिड़ गई है। श्रम मंत्री ने बोर्ड के अध्यक्ष की अध्यक्षता में बीते रोज हुई बैठक में लिए गए निर्णयों पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि किसी विषय को लेकर बोर्ड प्रस्ताव कर सकता है, नीतिगत निर्णय नहीं ले सकता। नियमावली के अनुसार किसी भी फैसले से पहले बोर्ड को सरकार से अनुमोदन लेना जरूरी है।

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त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में कर्मकार कल्याण बोर्ड पिछले साल अक्टूबर में तब सुर्खियों में आया, जब बोर्ड के अध्यक्ष की जिम्मेदारी देख रहे श्रम मंत्री डा.हरक सिंह रावत को अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। तब शासन ने शमशेर सिंह सत्याल को बोर्ड का अध्यक्ष बनाने के आदेश जारी किए। फिर बोर्ड का नए सिरे से गठन किया गया। नवंबर में हुई बोर्ड की पहली बैठक में पिछले बोर्ड के फैसलों को पलटने के साथ ही बोर्ड के कार्यों का स्पेशल आडिट कराने का भी फैसला लिया गया।हालांकि, बाद में कैग की ओर से आडिट किए जाने के मद्देनजर यह फैसला टाल दिया गया। बाद में बोर्ड के माध्यम से कोटद्वार में ईएसआइ अस्पताल के लिए 20 करोड़ की राशि बतौर ऋण मुहैया कराने का मामला उछला। हालांकि, यह राशि संबंधित फर्म से बोर्ड को वापस मिल गई थी, लेकिन शासन ने प्रकरण की जांच को एक आइएसएस की अध्यक्षता में कमेटी गठित की, जो अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप चुकी है।

हालांकि, तब श्रम मंत्री रावत ने बोर्ड के अध्यक्ष पद से उन्हें हटाए जाने को नियम विरुद्ध करार दिया था। साथ ही स्पष्ट किया था कि बोर्ड ने श्रमिकों के हित में फैसले लिए। नियमों की कहीं कोई अनदेखी नहीं हुई। इस बीच मार्च में प्रदेश सरकार में हुए नेतृत्व परिवर्तन के बाद तीरथ सरकार ने त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में नियुक्त दायित्वधारियों को हटाने के आदेश जारी किए थे। बाद में यह भी स्पष्ट किया गया कि संवैधानिक पदों पर नियुक्त दायित्वधारी और किसी अधिनियम के तहत बनाए गए दायित्वधारी बरकरार रहेंगे।

अब कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष सत्याल की अध्यक्षता में बीते रोज वर्चुअल माध्यम से हुई बैठक में बोर्ड में पंजीकृत श्रमिकों को राशन किट वितरित करने, पूर्व में हटाए गए 38 कर्मचारियों को पीआरडी व उपनल के माध्यम से रखने, स्थायी वित्त अधिकारी की नियुक्ति होने तक श्रमायुक्त से यह कार्य लेने, अध्यक्ष के प्रशासनिक व वित्तीय अधिकार बढ़ाने और बोर्ड के लिए नए भवन की तलाश संबंधी निर्णय लिए गए। इसके अलावा बोर्ड की सचिव के कोरोना संक्रमित होने के कारण एक उपश्रमायुक्त को प्रभारी सचिव का दायित्व दे दिया गया। बोर्ड के इन फैसलों पर श्रम मंत्री ने आपत्ति जताई है।

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उत्तराखंड भवन एंव अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्‍यक्ष शमशेर सिंह सत्याल का कहना है क‍ि  बोर्ड के अध्यक्ष का पद संवैधानिक है। शासन ने मुझे पत्र भेजकर पद पर बने रहने को कहा है। मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में ही बोर्ड के सदस्यों साथ वर्चुअल बैठक की गई। श्रमिकों के हित में बोर्ड हरसंभव कदम उठाएगा। जहां तक प्रभारी सचिव की बात है तो कार्यों के संचालन को यह व्यवस्था की गई है। श्रम मंत्री डा.हरक सिंह रावत का कहना है क‍ि  2005 की नियमावली के अनुसार बोर्ड किसी भी विषय पर सरकार के अनुमोदन के बाद ही फैसला ले सकता है। नीतिगत निर्णय सरकार लेगी। बोर्ड को प्रभारी सचिव बनाने का अधिकार नहीं है। यह काम सरकार का है। मैंने श्रम सचिव को निर्देश दिए हैं कि बगैर अनुमति के बोर्ड की बैठक में शामिल हुए विभागीय अधिकारियों से जवाब तलब किया जाए। 

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