Uttarakhand Election 2022: जानिए हरक सिंह रावत की कांग्रेस में वापसी में किसने निभाई बड़ी भूमिका, किस सीट से लड़ सकते हैं चुनाव
Uttarakhand Vidhan Sabha Election 2022 आज दिल्ली में पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत और उनकी बहू अनुकृति गुसाईं कांग्रेस में शामिल हो गए है। हरक की कांग्रेस में वापसी में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने अहम रोल आदा किया।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव की पैरोकारी पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत को तमाम विरोध के बाद कांग्रेस के पाले में खींचने में निर्णायक रही। यह अलग बात है कि 2016 की बगावत के जख्म फिर से हरे होने के कारण हरक को वापस लेने में पार्टी हाईकमान ने लंबा वक्त लगाया। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की आपत्ति के बावजूद प्रदेश के नेताओं के साथ केंद्रीय नेताओं को हाईकमान को समझाने को मशक्कत करनी पड़ी।
प्रदेश में पांचवीं विधानसभा के लिए हो रहे चुनाव में कांग्रेस की कोशिश भाजपा को किसी भी कीमत पर हराने की है। पार्टी को हरक इसके लिए मुफीद लगे। भाजपा नेताओं को कांग्रेस में शामिल करने के लिए प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और प्रीतम सिंह ने मोर्चा संभाला। इस रणनीति के अंतर्गत ही बागियों के लिए रेड कार्पेट बिछाने का रास्ता तैयार हुआ। बीते साल सितंबर माह में पूर्व मंत्री यशपाल आर्य और विधायक रहे उनके बेटे संजीव की वापसी कराई गई। चर्चित चेहरे के रूप में हरक सिंह रावत को भी पार्टी में लाने की कसरत की गई। इसके सूत्रधार नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव बने। दिल्ली में छह दिन तक हरक को कांग्रेस में शामिल करने पर पेच फंसा तो प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव के साथ ही स्क्रीनिंग कमेटी अध्यक्ष व राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडेय और तीनों सह प्रभारी अंदरखाने सक्रिय रहे।
केंद्रीय नेताओं के माध्यम से हाईकमान को साधा
प्रीतम ने हरक सिंह से बातचीत का मोर्चा संभाला तो देवेंद्र यादव केंद्रीय स्तर पर पार्टी को साधने में महत्वपूर्ण भूमिका में रहे। हरक सिंह की वापसी की राह आसान नहीं है, इन दोनों ही नेताओं को यह मालूम था। इसी वजह से इस मामले में पार्टी के केंद्रीय नेताओं के माध्यम से हाईकमान से संपर्क साधा गया। कांग्रेस हाईकमान ने इसे पूरे प्रकरण में बेहद सावधानी से काम किया।
हरीश रावत की नाराजगी को दिया महत्व, वापसी भी कराई
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की बागडोर संभाल रहे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की नाराजगी को पूरा महत्व दिया गया। हरक सिंह 2016 में उनकी सरकार के खिलाफ बगावत के सूत्रधार माने जाते हैं। रावत को मनाने के लिए ही हरक की वापसी को छह दिन लटकाया गया। कैबिनेट मंत्री का पद गवां चुके हरक की वापसी हुई तो पार्टी ने बड़े नेता की तरह उन्हें शामिल करने में रुचि नहीं ली। हरीश रावत इस बात से बेहद खफा थे कि उन्हें विश्वास में लिए बगैर हरक सिंह को पार्टी के लिए न्योता दिया गया। हालांकि हरक की वापसी को हाईकमान से मिली हरी झंडी ही रही कि हरीश रावत को भी अंतत: इस मुद्दे पर सहमति देनी पड़ी। हरक के शुक्रवार को दोबारा माफी मांगने के बाद भी हरीश रावत की नाराजगी दूर होते नहीं दिख रही। दिल्ली में कांग्रेस वार रूम में भी हरीश रावत ने हरक के गले में पार्टी का पट्टा तो डाला, लेकिन दूरी भी बनाए रखी।
हरक के आने से गोदियाल को श्रीनगर सीट पर लाभ
भाजपा ने पार्टी और मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर हरक सिंह रावत को लेकर जो सख्त संदेश दिया तो कांग्रेस ने भी वापसी को लटकाकर उन्हें शर्तों के मामले में घुटने पर आने को मजबूर कर दिया। बड़ी बात यह भी है कि हरीश रावत की आपत्ति के बावजूद उनके खेमे से जुड़े प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल की हरक की वापसी में सहमति रही। हरक मूल रूप से श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत रहते हैं। गोदियाल को श्रीनगर सीट पर उच्च शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत से सीधी टक्कर मिल रही है। यह क्षेत्र शिक्षक राजनीति का केंद्र माना जाता है। हरक की शिक्षकों के साथ ही क्षेत्रीय राजनीति को प्रभावित करने की क्षमता को गोदियाल अपने पक्ष में भुनाना चाहते हैं। आखिरी क्षणों में हरक की पैरोकारी में उनकी भूमिका भी रही है।
हरक का चुनाव लड़ाने में होगा रणनीतिक उपयोग
बताया जा रहा है कि पार्टी हरक सिंह का रणनीतिक उपयोग भाजपा की किसी सीट पर पेच फंसाने में करेगी। हरक लैंसडौन, डोईवाला, केदारनाथ और चौबट्टाखाल से चुनाव लड़ने की इच्छा पहले भी जता चुके हैं।
अनुकृति ने छुए प्रीतम के पांव
हरक की वापसी को लगातार प्रयास कर रहे प्रीतम सिंह के प्रति अनुकृति में भी सम्मान का भाव दिखा। कांग्रेस में शामिल होते ही माडल रही अनुकृति ने सबसे पहले प्रीतम सिंह के पांव छूकर उनका आशीर्वाद लिया।