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Makar Sankranti 2022: जानिए कब और क्यों मनाया जाता है मकर संक्रांति का पर्व, क्या हैं इससे जुड़ी मान्यताएं

Makar Sankranti 2022 सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर शुक्रवार को मकर संक्रांति पर्व मनाया जाएगा। इसी के साथ शुभ कार्य भी प्रारंभ हो जाएंगे। इस दिन गंगा में स्नान एवं दान पुण्य करना उत्तम माना जाता है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Thu, 13 Jan 2022 04:35 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jan 2022 08:32 AM (IST)
Makar Sankranti 2022: जानिए कब और क्यों मनाया जाता है मकर संक्रांति का पर्व, क्या हैं इससे जुड़ी मान्यताएं
Makar Sankranti 2022 सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर शुक्रवार को मकर संक्रांति पर्व मनाया जाएगा।

जागरण संवाददाता, देहरादून: Makar Sankranti 2022 सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर शुक्रवार को मकर संक्रांति पर्व मनाया जाएगा। इसी के साथ शुभ कार्य भी प्रारंभ हो जाएंगे। इस दिन गंगा में स्नान एवं दान पुण्य करना उत्तम माना जाता है। मकर संक्रांति पर इस बार रोहणी नक्षत्र, ब्रह्म योग और आनंदादि योग का निर्माण हो रहा है। इस वजह से यह मकर संक्रांति खास होगी।

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हिंदू धर्म में मकर संक्राति पर्व का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन किया गया गंगा स्नान, खिचड़ी, गर्म वस्त्र, तिल, चावल, घी, कंबल, गुड़ के दान और भगवान के दर्शन से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस बार मकर संक्राति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा।

आचार्य डा. सुशांत राज के मुताबिक मकर राशि में सूर्य के प्रवेश के दौरान सूर्यदेव की पूजा फलदायी होती है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं इसलिए इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। यह दिन बड़ा पावन माना जाता है क्योंकि इस दिन से खरमास का अंत होता है, जिससे मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। 14 जनवरी को ही सुबह लगभग आठ बजकर दस मिनट से पुण्य काल प्रारंभ हो जाएगा। मकर संक्रांति पर रोहणी नक्षत्र, ब्रह्म योग और आनंदादि योग का निर्माण हो रहा है, जो कि काफी शुभ है। माना जाता है कि रोहणी नक्षत्र में दान-पुण्य करने से यश की प्राप्ति होती है और कष्टों का अंत होता है।

कोरोना संक्रमण के कारण घर पर इस तरह करें स्‍नान

मकर संक्रांति के पुण्यकाल में पवित्र नदियों में सबसे पहले स्नान करने का महत्‍व है। लेकिन कोराना संक्रमण की वर्तमान स्थिति को देखते हुए घर पर स्‍नान किया जा सकता है। घर में एक टब अथवा बाल्‍टी में पानी में गंगाजल की बूंदे डालकर स्नान करें। फिर सूर्यदेव को अर्ध्य दें और उनकी पूजा करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें। काले तिल का दान करें।

देव धरती पर हुए थे अवतरि‍त

इस दिन को लेकर धार्मिक मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन देव भी धरती पर अवतरित होते हैं।

समाप्‍त होगा खरमास

मकर संक्रांति के प्रवेश के साथ ही सूर्य देव उत्तरायण हो जाएंगे। आचार्य डा. सुशांत राज के अनुसार, एक महीने से चले आ रहे खरमास मकर संक्राति के साथ ही समाप्त हो जाएंगे। साथ ही, विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश शुभ कार्य प्रारंभ हो जाएंगे। 14 जनवरी से 20 फरवरी तक विवाह के लिए कई शुभ मुहूर्त हैं।

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