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जानें- कैसे उत्तराखंड के शुभम डिमरी बने युवाओं के लिए मिसाल, लाकडाउन में नौकरी गई तो खुद के दम पर किया स्वरोजगार

लाकडाउन में नौकरी छूटी लेकिन शुभम ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने स्वरोजगार कर रोजगार के लिए भटक रहे युवाओं के लिए मिसाल पेश की है। शुभम ने पहाड़ी मसालों से युक्त नमकीन को रोजगार का जरिया बनाया है। इसकी पैकेजिंग और ब्रांडिंग भी खुद की है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 10:27 AM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 03:33 PM (IST)
जानें- कैसे उत्तराखंड के शुभम डिमरी बने युवाओं के लिए मिसाल, लाकडाउन में नौकरी गई तो खुद के दम पर किया स्वरोजगार
जानें- कैसे उत्तराखंड के शुभम डिमरी बने युवाओं के लिए मिसाल।

दीपक जोशी, रायवाला (देहरादून)। कुछ कर गुजरने की चाह हो तो राह भी निकल ही आती है। ये साबित कर दिखाया है उत्तराखंड के गुमानीवाला(देहरादून) के शुभम डिमरी ने। लाकडाउन में नौकरी छूटी, लेकिन शुभम ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने स्वरोजगार कर रोजगार के लिए भटक रहे युवाओं के लिए मिसाल पेश की है। शुभम ने पहाड़ी मसालों से युक्त नमकीन को रोजगार का जरिया बनाया है। इसकी पैकेजिंग और ब्रांडिंग भी खुद की है। इस प्रोडक्ट को उन्होंने नाम दिया है 'गढ़वाल वेफर्स' और इसकी थीम है 'द टेस्ट आफ गढ़वाल'। अब वे इसे बढ़ाने की भी सोच रहे हैं, जिससे क्षेत्र के अन्य युवाओं को रोजगार मिल सके। अभी उनके साथ इस काम में दो लोग जुड़े हुए हैं।

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मूल रूप से रुद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि ब्लाक स्थित ग्राम मुन्ना देवल निवासी शुभम डिमरी करीब सात वर्ष पहले इंटर की पढ़ाई के लिए ऋषिकेश आ गए थे। वर्ष 2018 में ऋषिकेश महाविद्यालय से बीएससी करने के बाद उन्होंने डोईवाला में सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ प्लास्टिक्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (सिपेट) से प्लास्टिक इंजीनियरिंग की डिग्री ली। फिर उदयपुर राजस्थान में इंटर्नशिप के बाद उन्होंने सिडकुल हरिद्वार स्थित एक कंपनी में पैकेजिंग का काम किया।

नौकरी को चार महीने ही हुए थे कि 2020 में लाकडाउन के दौरान शुभम की नौकरी चली गई। शुभम के पिता दुकानों में सामान सप्लाई करने वाले वाहन के चालक हैं। शुभम बताते हैं कि इसी से उनके मन में विचार आया कि क्यों ना खुद की ब्रांडिंग वाली नमकीन तैयार कर उसकी सप्लाई की जाए। इसको लेकर उन्होंने अपने पिता के अलावा दोस्तों से भी राय ली। सबने योजना की सराहना की। इसके बाद इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए उन्होंने आस-पास के गांव से पहाड़ी हल्दी, मिर्च, धनिया और पुदीना खरीदा और गुमानीवाला में बिना किसी सरकारी मदद के नमकीन बनाने के साथ ही पैकेजिंग का लघु उद्योग शुरू कर दिया।

विशुद्ध पहाड़ी सामग्री से निर्मित हैं उत्पाद

शुभम बताते हैं कि इस काम को शुरू करने में सात से आठ महीने लगे। आज पहाड़ी मसालों से युक्त शुभम की नमकीन का ज़ाजायका दूर-दूर तक के लोग ले रहे हैं। अब वह अपने काम को और आगे बढ़ाना चाहते हैं, ताकि उनके काम से और भी लोग रोजगार पा सकें। शुभम कहते हैं कि उनके व्यवसाय से रिटेलर को लाभ मिलता है।

उनकी नमकीन की खासियत है, पहाड़ों में उत्पादित शुद्ध हल्दी, गिलोय और पुदीना। यह न केवल नमकीन को स्वादिष्ट बनाते हैं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी हैं। भविष्य में इसमें कंडाली (बिच्छू) घास का प्रयोग करने की योजना भी है। विशुद्ध पहाड़ी सामग्री से निर्मित इस उत्पाद को वह देश के अन्य राज्यों में भी पहुंचाना चाहते हैं।

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