जानें- कैसे नशा तस्करों पर लगाम लगाएगा एडवाइजरी बोर्ड, छूटने के बाद दोबारा नहीं पड़ सकेंगे इस धंधे में
कोई नशा तस्कर बार-बार पकड़ा जाता है तो उसे एक साल तक के लिए जेल में बंद किया जा सकेगा। इस अवधि में उन्हें जमानत भी नहीं मिलेगी। यह प्रविधान स्वापक औषधि और मनप्रभावी पदार्थ अवैध व्यापार निवारण अधिनियम (पीआइटी एनडीपीएस) एक्ट के तहत किया गया है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। नशा तस्कर (Drug Smuggler) अब जमानत पर छूटते ही दोबारा इस धंधे में नहीं पड़ सकेंगे। यदि कोई नशा तस्कर बार-बार पकड़ा जाता है तो उसे एक साल तक के लिए जेल में बंद किया जा सकेगा। इस अवधि में उन्हें जमानत भी नहीं मिलेगी। यह प्रविधान स्वापक औषधि और मनप्रभावी पदार्थ अवैध व्यापार निवारण अधिनियम (पीआइटी एनडीपीएस) एक्ट के तहत किया गया है।
उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (Uttarakhand Police Special Task Force) के एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि पीआइटी एनडीपीएस एक्ट 1984 (NDPS Act 1984) में बनाया गया था, लेकिन इसका प्रयोग नहीं किया जा रहा था। इसमें बार-बार अपराध पर छह माह से एक साल तक की सजा का प्रविधान है। सजा पर फैसला बोर्ड की ओर से लिया जाता है। प्रदेश में एक्ट को लागू करने के लिए पुलिस मुख्यालय से एक प्रस्ताव शासन को भेजा गया था।
शासन ने हाई कोर्ट को प्रस्ताव भेजा था, जिसके बाद हाई कोर्ट की ओर से बोर्ड का गठन किया गया। इसमें शासन की ओर से एक सचिव स्तर के अधिकारी को नामित किया गया है। साथ ही एक वर्तमान हाई कोर्ट के न्यायाधीश और दो सेवानिवृत्त जज को शामिल कर एडवाइजरी बोर्ड का गठन किया गया है।
ऐसी होगी कार्रवाई
यदि कोई तस्कर जमानत पर छूटने के बाद नशीले सामान की तस्करी करता है या फिर बेचने वाले का बार-बार नाम आता है, तो जेल में भेजने व सजा बढ़ाने की रिपोर्ट पुलिस की ओर से नियुक्त सचिव को भेजी जाएगी। यहां से रिपोर्ट एडवाइजरी बोर्ड के समक्ष जाएगी। हालांकि आरोपित को जेल भेजना है या नहीं इस पर बोर्ड अंतिम निर्णय लेगा।
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