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देहरादून से जुड़े कानपुर किडनी कांड के तार, पढ़िए पूरी खबर

किडनी प्रत्यारोपण कराने वाले कानपुर के गिरोह के तार देहरादून से भी जुड़ गए हैं। पुलिस की जांच में ये बात सामने आई है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 01:16 PM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 08:36 PM (IST)
देहरादून से जुड़े कानपुर किडनी कांड के तार, पढ़िए पूरी खबर
देहरादून से जुड़े कानपुर किडनी कांड के तार, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, संतोष तिवारी। मानव अंग प्रत्यारोपण के लिए बने कानून की अनदेखी कर किडनी प्रत्यारोपण कराने वाले कानपुर के गिरोह के तार देहरादून से भी जुड़ गए हैं। पुलिस की जांच में सामने आया है कि उत्तराखंड के एक विधायक ने भी इस गैंग के मार्फत अपने एक संबंधी का किडनी प्रत्यारोपण कराया है। सूत्रों की मानें तो प्रकरण की जांच कर रही कानपुर पुलिस की टीम कभी भी पूछताछ के लिए उत्तराखंड आ सकती है। 

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कानपुर किडनी कांड के सरगना डॉ. केतन कौशिक के नेटवर्क के कामकाज का तरीका देहरादून में सितंबर 2017 में पकड़े गए किडनी कांड सरगना डॉ. अमित राऊत से काफी हद तक मिलता है। डॉ. केतन ने पूर्वी भारत के राज्यों समेत पड़ोसी देश श्रीलंका और टर्की तक अपना जाल बिछा रखा था। केतन के लिए काम करने वाले बिचौलिये देश के कोने-कोने में फैले हुए थे, जो ग्रामीण अंचल में रहने वाले गरीब तबके लोगों को किडनी और अन्य अंग बेचने के लिए प्रेरित करते थे। 

वहीं देहरादून में पकड़ा गया किडनी कांड का सरगना अमित राऊत ने भी देश के पूर्वोत्तर राज्यों से लेकर एक दर्जन से अधिक देशों में अपना नेटवर्क फैला चुका था। सूत्रों की मानें तो केतन कौशिक और अमित राऊत के लिए काम करने वाले कई बिचौलिये एक हो सकते हैं। ऐसे में अमित राऊत और उसके गैंग के सदस्यों के खिलाफ अदालत में देहरादून पुलिस की ओर से दाखिल चार्जशीट का भी कानपुर पुलिस अवलोकन कर सकती है। वहीं, उत्तराखंड के जिस विधायक द्वारा अपने संबंधी की किडनी प्रत्यारोपित कराई गई है, पुलिस उनसे भी पूछताछ कर सकती है। 

केतन दिल्ली से चलाता था नेटवर्क 

कानपुर में पकड़ा गया किडनी माफिया दिल्ली में रह कर अपना धंधा चला रहा था। उस पर विदेश में भी मानव अंगों की तस्करी का आरोप है। इसका खुलासा उसके ही एक एजेंट गौरव मिश्र और डोनर वरदान ने किया है। वहीं, अमित राऊत देश के कई प्रमुख शहरों से लेकर नेपाल और सात समंदर पार कई देशों तक में अवैध तरीके से किडनी ट्रांसप्लांट कर चुका था। 

केतन ने बढ़ा दिया था रेट 

अमित राऊत की ही तरह केतन भी डोनर को विदेश भेजता था और वहां से किडनी प्रत्यारोपित कराने के लिए मरीज भी लाता था। अमित राऊत किडनी के बदले मरीजों से पचास से 75 लाख रुपये तक लेता था, लेकिन सूत्रों की मानें तो अमित राऊत के धंधे का जब पुलिस ने भंडाफोड़ कर दिया तो केतन ने किडनी प्रत्यारोपण का रेट दोगुना कर दिया। केतन किडनी के लिए 75 लाख से सवा करोड़ रुपये तक लेता था। 

यह हैं कुछ और चर्चित किडनी कांड 

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में वर्ष 2008 किडनी रैकेट पकड़ा गया था। यह रैकेट देहरादून में सितंबर 2017 में पकड़ा गया अमित राऊत का ही गैंग चलाता था। तब अमित राऊत नेपाल से गिरफ्तार हुआ था, लेकिन बाद में जमानत पर बाहर आने के बाद पहले हरियाणा फिर गुजरात और उसके बाद देहरादून के डोईवाला स्थित गंगोत्री चेरिटेबल अस्पताल में डेरा बनाया था। 

वर्ष 2015 में पंजाब के जालंधर में भी किडनी की खरीद-फरोख्त का खुलासा हुआ था। तब चार आरोपित जेल भेजे गए थे। एक नामी अस्पताल के दो डाक्टरों समेत कुल 23 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। वर्ष 2016 में भी दिल्ली में किडनी रैकेट का खुलासा कर पुलिस ने छह आरोपितों को गिरफ्तार किया था। 

किडनी बेच खुद बन गई दलाल 

अमित राऊत और केतन कौशिक के बीच एक नहीं कई समानताएं हैं। अमित राऊत के लिए कोलकाता के दूरस्थ इलाकों से किडनी डोनर लाने वाली चांदना गुड़िया को दून पुलिस ने अक्टूबर 2018 में कोलकाता से गिरफ्तार किया था। तब गुड़िया ने खुलासा किया था कि एक दलाल के चक्कर में फंसकर उसने अपनी भी एक किडनी पांच लाख रुपये अमित राऊत को बेची थी। वहीं, कानपुर पुलिस के अनुसार केतन के लिए काम करने वाला एक दलाल टी राजकुमार भी कई साल पहले अपनी एक किडनी बेच चुका है। यही बता कर कि एक किडनी बेचने से सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता। कह कर गरीब लोगों को किडनी बेचने के लिए उकसाता था। 

दून पुलिस के शिकंजे से नहीं आ सका बाहर 

अवैध तरीके किडनी प्रत्यारोपित करने वाला अमित राऊत वर्ष 2008 से लेकर सितंबर 2017 से पूर्व तीन बार पकड़ा। एक बार तो वह पुलिस की हिरासत से ही फरार हो गया। जबकि अन्य मामलों में जमानत पर बाहर होने के दौरान भी वह चोरी-छिपे धंधा फैलाता रहा। मगर जब दून पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया तो फिर उसका कोई पैंतरा काम नहीं आया। पुलिस ने अमित राऊत को शरण देने वाले उसके चौदह गुर्गों को जेल भेजा। 

चार्जशीट में 63 गवाह बनाए गए। तत्कालीन एसपी देहात सरिता डोभाल की देखरेख में हुई तथ्यपरक विवेचना का ही नतीजा है कि डेढ़ साल से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी एक भी आरोपितों को जमानत नहीं मिल पाई है। चार्जशीट में पुलिस ने अमित राऊत के कारनामों का पूरा कच्चा चिट्ठा ही खोल कर रख दिया था। 

अमित का बेटा अब भी है फरार 

किडनी कांड में अमित राऊत का हमसफर रहा उसका बेटा अक्षय राऊत अभी भी दून पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है। सितंबर 2017 में अमित के गिरफ्तार होने के बाद से अक्षय भूमिगत है। पुलिस ने उसके खिलाफ लुक आउट सर्कुलर भी जारी कर रखा है। लेकिन अभी तक उसका कोई सुराग हाथ नहीं लगा। 

एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि कानपुर किडनी कांड को लेकर वहां की पुलिस ने अभी संपर्क नहीं किया है, लेकिन यदि अमित राऊत और उसके गैंग के बारे में कोई जानकारी मांगी जाएगी तो उसे उत्तर प्रदेश पुलिस से साझा किया जाएगा। 

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