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उत्तराखंड: काम के बंटवारे को लेकर वन विभाग में जंगल राज, अधिकारियों को कार्य का असमान वितरण

उत्तराखंड में 71.05 फीसद वन भूभाग का जिम्मा संभालने वाले वन विभाग में अधिकारियों में काम के बटवारे के मामले में जंगल राज चल रहा है। कुछ अधिकारियों को कई दायित्व दिए गए हैं जबकि कुछ को सिर्फ एक।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 01:28 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 01:28 PM (IST)
उत्तराखंड: काम के बंटवारे को लेकर वन विभाग में जंगल राज, अधिकारियों को कार्य का असमान वितरण
उत्तराखंड: काम के बंटवारे को लेकर वन विभाग में जंगल राज।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में 71.05 फीसद वन भूभाग का जिम्मा संभालने वाले वन विभाग में अधिकारियों में काम के बटवारे के मामले में जंगल राज चल रहा है। कुछ अधिकारियों को कई दायित्व दिए गए हैं, जबकि कुछ को सिर्फ एक। इस विसंगति से कई अधिकारी दूसरे विभागों व निगमों में प्रतिनियुक्ति का विकल्प भी चुन रहे हैं। वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक राजीव भरतरी भी दायित्व वितरण में विसंगति की बात को स्वीकार करते हैं। उन्होंने बताया इसके समाधान के मद्देनजर विभाग के पुनर्गठन पर जोर दिया जा रहा है। तीन माह के भीतर इस संबंध में प्रस्ताव शासन को भेज दिया जाएगा।

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वन विभाग में अधिकारियों की लंबी-चौड़ी फौज है, लेकिन उन्हें कार्यों के वितरण के मामले में समान नीति शायद ही कभी अपनाई गई हो। किसी अधिकारी को कई दायित्व सौंपे गए हैं तो किसी को नाममात्र के। कार्यों के बटवारे में विसंगति का यह मसला अब फिर से सुर्खियों में है। हाल में दो मुख्य वन संरक्षकों पीके पात्रो व सुशांत पटनायक के तबादला आदेश जारी हुए। इसमें पात्रो को मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल के साथ ही निदेशक हल्द्वानी जू व सफारी, देहरादून जू, लच्छीवाला नेचर पार्क, कोटद्वार रेसक्यू सेंटर व टाइगर सफारी पाखरो के अलावा नोडल अधिकारी (वनाग्नि) का जिम्मा सौंपने के आदेश किए गए। इसी तरह अन्य कई अधिकारियों को कई-कई दायित्व सौंपे गए हैं।

कार्य वितरण की विसंगति से विभागीय कार्यों पर असर पडऩे की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। वन विभाग के मुखिया राजीव भरतरी के अनुसार इस विसंगति को दूर करने के लिए विभाग के पुनर्गठन के लिए एक समिति गठित की गई है। आइएफएस डीजीके शर्मा की अध्यक्षता वाली यह समिति तीन माह के भीतर पुनर्गठन प्रस्ताव तैयार करेगी और फिर इसे शासन को अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि वन मुख्यालय स्तर की ऐसी विसंगतियों को जल्द दूर कर दिया जाएगा।

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