Move to Jagran APP

सरकारी आवासों पर कब्जे की जांच करेंगे संयुक्त निदेशक, हरिद्वार नगर निगम का है मामला

सरकारी आवासों पर कब्जों को लेकर 20 साल बाद जांच की जाएगी। शासन ने इसकी जांच संयुक्त निदेशक शहरी विकास को सौंपी है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 17 Feb 2020 06:07 PM (IST)Updated: Mon, 17 Feb 2020 08:44 PM (IST)
सरकारी आवासों पर कब्जे की जांच करेंगे संयुक्त निदेशक, हरिद्वार नगर निगम का है मामला
सरकारी आवासों पर कब्जे की जांच करेंगे संयुक्त निदेशक, हरिद्वार नगर निगम का है मामला

देहरादून, जेएनएन। हरिद्वार नगर निगम (तब नगर पालिका) में सरकारी आवासों पर कब्जों को लेकर 20 साल बाद जांच की जाएगी। शासन ने इसकी जांच संयुक्त निदेशक शहरी विकास को सौंपी है। यह कार्रवाई सूचना आयोग के आदेश के बाद की गई है। 

loksabha election banner

हरिद्वार निवासी विवेक कुमार ने पूर्व में नगर निगम से सरकारी आवासों पर किए गए कब्जे और इन्हें हटाने को लेकर की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी। तय समय के भीतर सूचना न मिलने पर उन्होंने सूचना आयोग में अपील की। प्रकरण की सुनवाई करते समय आयोग के समक्ष यह बात आई कि तत्कालीन नाम नगर पालिका की ओर से एसडीएम के समक्ष शपथ पत्र दाखिल किया गया था। जिसमें अधिकारियों ने अनाधिकृत कब्जा जमाए बैठे लोगों से आवास खाली कराने की बात कही थी।

बाद में यह मामला हाईकोर्ट भी पहुंचा और अधिकारियों ने खानापूर्ति करते हुए 15 नोटिस जारी कर दिए। मगर, अगले ही माह आवासों को खरीदने का प्रस्ताव दे दिया। हालांकि, वर्ष 2005 में सरकारी भूमि को फ्रीहोल्ड करने पर रोक लग गई थी। वर्ष 2010 में रोक हटने पर आगे की कार्रवाई की गई। आवासों से कब्जा हटाने की कार्रवाई की गई या फ्रीहोल्ड की कार्रवाई आगे बढ़ाने की, इस पर कोई जानकारी नहीं मिल पाई। 

इस स्थिति को लेकर आयोग ने 17 मई 2018 को शहरी विकास सचिव को निर्देश दिए थे कि प्रकरण में जांच अधिकारी नामित कर कार्रवाई पूरी कर दी जाए। इसके बाद भी जब मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा तो अपीलार्थी ने आयोग में शिकायत दाखिल कर दी। आयोग ने जब दोबारा अधिकारियों का जवाब तलब किया, तब बताया गया कि सरकारी आवासों के कब्जे के मामले में 24 दिसंबर को अपर सचिव की अध्यक्षता में बैठक बुलाई गई और संयुक्त निदेशक शहरी विकास को जांच सौंप दी गई है। स्थिति स्पष्ट हो जाने के बाद आयोग ने शिकायत का निस्तारण कर दिया। 

यह भी पढ़ें: देहरादून के आढ़त बाजार चौड़ीकरण की जद में आएंगे 50 प्रतिष्ठान 

अतिक्रमण कराने के बाद जमीन से मुकरा विभाग 

सिंचाई विभाग के अधिकारियों की नाक के नीचे पहले रायपुर क्षेत्र स्थित गूल पर अतिक्रमण कर लिया गया और जब इसे हटाने की बात आई तो अधिकारी जमीन से ही मुकर गए। साफ कह दिया गया कि अतिक्रमण वाली भूमि उनके क्षेत्र से बाहर है। यह जानकारी सिंचाई खंड देहरादून के अधिशासी अभियंता ने आरटीआइ में दी। जब यह मामला सूचना आयोग पहुंचा तो मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह के समक्ष भी स्थिति स्पष्ट नहीं की गई। 

यह भी पढ़ें: देहरादून में हट गए हाकिम, नहीं हट पाया अतिक्रमण, पढ़िए पूरी खबर

वहीं, अपीलार्थी ने आयोग के समक्ष दलील दी कि अतिक्रमण पर हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश के बाद भी अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं। आयोग ने डीएम को जिम्मेदारी दी कि जमीन की स्थिति स्पष्ट की जाए। डीएम के निर्देश पर अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) रामजी शरण शर्मा ने राजस्व विभाग, नगर निगम और सिंचाई विभाग की टीम बनाकर मौके पर सर्वे कराया। पता चला कि भूमि सिंचाई विभाग की ही है और अब अतिक्रमण हटा दिया गया है। यह भी स्पष्ट किया गया कि संबंधित क्षेत्र नगर निगम में सम्मिलित होने के बाद भूमि नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में ही मानी जाएगी। 

यह भी पढ़ें: प्रेमनगर में फिर गिरी टीनशेड की दुकानें, लोगों का हंगामा Dehradun News


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.