JEE Mains Result: आइआइटी मुंबई से पढ़ाई कर इंजीनियर बनना चाहती हैं वर्णिका, छात्रा वर्ग में हैं स्टेट टॉपर
JEE Mains Result छात्रा वर्ग में स्टेट टॉपर वर्णिका भट्ट आइआइटी मुंबई से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करना चाहती हैं।
ऋषिकेश, जेएनएन। वर्णिका भट्ट आइआइटी मुंबई से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करना चाहती हैं। जेईई-मेन में छात्राओं में टॉप करने वालीं वर्तिका अब एडवांस की तैयारी में जुट गई हैं। वर्णिका भट्ट ने 99.788 पर्सेंटाइल हासिल किया है। वर्णिका के पिता आरपी भट्ट ने बताया कि बेटी को पढ़ाई के लिए 11वीं कक्षा से ही कोटा क्लासेज में भेजा था। वहां से छात्रवृत्ति हासिल की है।
जेईई मेंस की तैयारी के लिए 14 से 16 घंटे पढ़ाई करती थी। वह घर के कामकाज में भी हाथ बंटाती है। महापौर अनीता ममगाईं, एकेडमिक निदेशक कोटा क्लासेज राजीव रंजन वर्मा, रोटरी क्लब सेंट्रल के अध्यक्ष हितेंद्र पंवार डीएसबी इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी और प्रधानाचार्य शिव सहगल ने वर्णिका की सफलता को तीर्थनगरी ऋषिकेश और पूरे उत्तराखंड का सम्मान बताया है।
सामान्य परिवार की बेटी के इरादे बड़े
जेईई मेन में दून की बेटी स्वाती सक्सेना ने मेहनत और लगन से अपने पापा का सपना सच कर दिखाया। वह ताल्लुक तो सामान्य परिवार से रखती हैं, लेकिन इरादे बहुत बड़े हैं। जिन्हें पूरा करना भी वह बखूबी जानती हैं। नवादा में रहने वाली स्वाती के पिता कृष्ण कुमार की घर में ही चक्की है। इसी से पूरे परिवार को गुजर-बसर होता है। स्वाती ने 12वीं की परीक्षा हिम ज्योति स्कूल से पास की। इसके बाद बलूनी क्लासेज ने स्वाती को मुफ्त में जेईई की कोचिंग दी। स्वाती ने जेईई मेन में 92.019 परसेंटाइल प्राप्त की है।
स्वाती ने बताया कि सातवीं कक्षा से ही उनका ख्वाब इंजीनियर बनने का रहा है। जो अब पूरा होने जा रहा है। स्वाती ने बताया कि वह मैकेनिकल इंजीनियर बनना चाहती हैं। स्वाती के पिता कृष्ण कुमार ने बताया कि उनकी बेटी दिन में कई घंटे पढ़ाई करती है। उसका प्रयास अब फलीभूत होने जा रहा है। वह बताते हैं कि पढ़ाई के बाद बेटी घर और चक्की के काम में भी हाथ बंटाती है। स्वाती के परिवार में माता-पिता के अलावा एक छोटा भाई है, जो 9वीं कक्षा में पढ़ता है।
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बलूनी क्लासेज के प्रबंध निदेशक विपिन बलूनी के अनुसार अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के तहत संस्थान ऐसे तमाम बच्चों को प्रोत्साहित कर रहा है, जिनमें काबिलियत है, मगर आर्थिक स्थिति उनके सपनों के आड़े आ रही है। ऐसे बच्चों को निश्शुल्क कोचिंग दी जाती है।