Move to Jagran APP

अक्षरधाम मंदिर को बेच दी आइटीबीपी के कब्जे वाली जमीन, जिलाधिकारी ने पकड़ा खेल; आवेदन किया निरस्त

भारत के प्रसिद्ध अक्षरधाम मंदिर से संबंधित अक्षरधाम प्रोजेक्ट प्रा.लि. कंपनी को 1.54 हैक्टेयर एसी भूमि बेच दी गई जिस पर आइटीबीपी का कब्जा है। इस बात का पता तब चला जब भूमि पर दाखिल कराने के लिए आवेदन किया गया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2020 06:05 AM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2020 06:05 AM (IST)
अक्षरधाम मंदिर को बेच दी आइटीबीपी के कब्जे वाली जमीन, जिलाधिकारी ने पकड़ा खेल; आवेदन किया निरस्त
जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने दाखिल खारिज के आवेदन का परीक्षण करने के दौरान इस खेल को पकड़ लिया।

सुमन सेमवाल, देहरादून: भारत के प्रसिद्ध अक्षरधाम मंदिर से संबंधित अक्षरधाम प्रोजेक्ट प्रा.लि. कंपनी को 1.54 हैक्टेयर एसी भूमि बेच दी गई, जिस पर आइटीबीपी का कब्जा है। इस बात का पता तब चला जब भूमि पर दाखिल कराने के लिए आवेदन किया गया। जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने दाखिल खारिज के आवेदन का परीक्षण करने के दौरान इस खेल को पकड़ लिया और आवेदन तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया। अक्षरधाम प्रोजेक्ट प्रा.लि. को यह भूमि स्यौहारा, बिजनौर निवासी रघु प्रताप सिंह नाम के व्यक्ति ने बेची। भूमि मसूरी के पास क्यारकुली भट्टा के खेवट नंबर 65 (खसरा-3190) में है। जिलाधिकारी ने दाखिल खारिज के आवेदन के परीक्षण में पाया कि खेवट नंबर 65 पर रघु प्रताप सिंह से संबंधित पूरी जमीन आइटीबीपी के नाम पर दर्ज है। भूमि को रघु प्रताप सिंह के पिता रघुराज सिंह ने वर्ष 1988 में ही आइटीबीपी को बेच दिया था। इसका कुछ भी भाग अब शेष नहीं बचा। लिहाजा, बिना अवशेष भूमि के ही अक्षरधाम को जमीन बेच दी गई।

loksabha election banner

जिलाधिकारी डॉ. श्रीवास्तव के मुताबिक रघु प्रताप सिंह ने खेवट संख्या 65 पर अन्य व्यक्तियों को भी भूमि बेची है। कई भूमि पर पूर्व में दाखिल खारिज भी करा लिए गए हैं। तहसीलदार सदर को आदेश दिया गया है कि वह इस तरह की भूमि की पड़ताल कर संबंधित दाखिल खारिज को निरस्त करेंगे।

क्यारकुली भट्टा में इस तरह किया गया खेल

खेवट 65 की भूमि आइटीबीपी को वर्ष 1988 में बेचे जाने के बाद भी खतौनी में नाम रघुराज सिंह का चलता रहा। इसकी आड़ में यह जमीन बेची जाती रही। वर्ष 2016 में जब यह मामला पकड़ में आया, तब आइटीबीपी का नाम खतौनी में चढ़ाया गया। कई व्यक्तियों के खिलाफ इस फर्जीवाड़े में मुकदमा भी दर्ज किया गया। हालांकि, कुछ समय बाद ही हाईकोर्ट ने प्रशासन के आदेश को स्थगित कर दिया था। लिहाजा, रघुराज सिंह का नाम दोबारा बहाल कर दिया गया। इस बीच कोर्ट ने स्थगनादेश वापस लिया तो मिलीभगत से आइटीबीपी का नाम बहाल नहीं किया गया। दोबारा से आइटीबीपी को बिक चुकी जमीन अन्य व्यक्तियों को बेजी जाने लगी। कुछ समय पहले जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने खतौनी में आइटीबीपी का नाम चढ़वा दिया। तभी से उनकी नजर क्यारकुली भट्टा में चल रहे इस खेल पर थी।

एडीएम की जांच पर कार्रवाई का नहीं जुटाया साहस

वर्ष 2018 में तत्कालीन अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) प्रताप शाह ने क्यारकुली भट्टा में चल रहे जमीनों के खेल को पकड़ा था। जब तक वह रिपोर्ट जमा कर पाते तब तब जिलाधिकारी (अब मंडलायुक्त) रविनाथ रमन का स्थानांतरण हो गया था। इसके बाद दो जिलाधिकारी आए और चले गए, मगर उनके स्तर पर प्रकरण में कोई कार्रवाई नहीं की गई। हालांकि, वर्तमान जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने न सिर्फ आइटीबीपी का नाम खतौनी में बहाल किया, बल्कि अक्षरधाम कंपनी के साथ किए गए फर्जीवाड़े को भी पकड़ लिया।

यह भी पढ़ें: देहरादून: आरसी के बाद भी निवेशकों के 11 करोड़ दबाए बैठे हैं बिल्डर, जानें- अब तक किससे कितनी वसूली


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.