प्राथमिक स्तर से ही संस्कृति का ज्ञान देना जरूरी
संवाद सहयोगी, विकासनगर: अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के टीचर लर्निंग सेंटर में संस्कृति व सांस्कृतिक विरासत
संवाद सहयोगी, विकासनगर: अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के टीचर लर्निंग सेंटर में संस्कृति व सांस्कृतिक विरासतों के संरक्षण पर संगोष्ठी का आयोजित किया गया। जिसमें शिक्षकों ने प्राथमिक स्तर से ही बच्चों को संस्कृति से रूबरू कराने पर जोर दिया।
मंगलवार को आयोजित कार्यक्रम में फाउंडेशन के पवन पाराशर ने कहा कि संस्कृति किसी समाज में गहराई तक व्याप्त गुणों का समग्र रूप होता है, जो उस समाज के सोचने, विचारने, कार्य करने, खाने-पीने, बोलने, नृत्य, गायन, साहित्य, कला, वास्तु आदि में परिलक्षित होता है। संस्कृति का वर्तमान रूप किसी समाज के दीर्घ काल तक अपनायी गयी पद्धतियों का परिणाम होता है। उन्होंने कहा कि समाज विशेष का गौरवशाली इतिहास के साथ ही वर्तमान के रीति रिवाज व परंपराओं का दर्पण है। जो नई पीढ़ी को समाज की विशेषताओं की जानकारी मुहैया कराता है। लिहाजा बच्चों को प्राथमिक स्तर से ही क्षेत्रीय संस्कृति से रूबरू किया जाना जरूरी है।
वक्ताओं ने कहा कि संस्कृति नई पीढ़ी को समाज के धर्म, दर्शन, सभी ज्ञान-विज्ञान, कलाओं, सामाजिक, राजनीतिक संस्थाओं व प्रथाओं से परिचित कराती है। लिहाजा नई पीढ़ी को संस्कारवान व जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए संस्कृति का संरक्षण जरूरी है। अनुराग ¨सह ने बच्चों को अपनी संस्कृति से परिचित कराने के लिए पाठ्यक्रम में क्षेत्रीय संस्कृति की जानकारी शामिल किए जाने के साथ ही विद्यालय स्तर पर सांस्कृतिक परिषद के गठन को जरूरी बताया। जिससे अपनी बोली, रीति रिवाज, वेशभूषा व खान पान की जानकारी छात्र-छात्राओं को बचपन से ही मुहैया हो सके। संगोष्ठी कार्यक्रम में र¨वद्र जीना, देवाशीष, शालीन आदि मौजूद रहे।