पेटेंट के मामले में 57वें स्थान पर पहुंचा भारत
बौद्धिक संपदा अधिकार (इेंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स) या पेटेंट फाइलिंग के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए आयोजित सेमीनार में भारत के परिपेक्ष्य में इस पर चर्चा की गई। साथ ही वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने के लिए इसे जरूरी भी बताया गया।
जागरण संवाददाता, देहरादून: बौद्धिक संपदा अधिकार (इेंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स) या पेटेंट फाइलिंग के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए आयोजित सेमीनार में भारत के परिपेक्ष्य में इस पर चर्चा की गई। साथ ही वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने के लिए इसे जरूरी भी बताया गया।
गुरुवार को भारतीय पेट्रोलियम संस्थान में वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन (विपो) जेनेवा व एसोचैम के सहयोग से डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (वाणिज्य मंत्रालय) की ओर से यह सेमीनार आयोजित किया गया। इसका उद्घाटन सत्र में विपो के सहायक महानिदेशक नरेश प्रसाद ने कहा कि देहरादून जैसे शहरों में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, मगर पेटेंट के प्रति जागरूकता बढ़ाकर इसे नया आयाम दिया जा सकता है। उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि पेटेंट कोओपरेशन संधि के तहत भारत ने अंतरराष्ट्रीय आवेदनों में रिकॉर्ड 27 फीसद की बढ़ोत्तरी की है। इसी के साथ भारत का स्थान वैश्विक नवाचार सूची में 60 की जगह 57वां हो गया है। यदि इस दिशा में प्रचार-प्रसार बढ़ाया जाए तो भारत में निजी सेक्टर अनुसंधान एवं विकास में अधिक निवेश करके विपो की संधि का लाभ ले सकते हैं। वहीं, पेटेंट के कंट्रोलर जनरल ओपी गुप्ता ने राष्ट्रीय इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स-2016 के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पेटेंट की जांच में लगने वाले समय को 72 माह से घटाकर 18 माह कर दिया गया है। खास बात यह भी कि भारतीय पेटेंट सिस्टम विश्व में तीसरे स्थान पर होते हुए भी बेहद सस्ता है। इस अवसर पर यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल ने कहा कि राज्य के विभिन्न स्थानों पर पेटेंट सेल की स्थापना की गई है। आर्थिक विकास के लिए पेटेंट जरूरी है और इस बात को ध्यान में रखते हुए भविष्य में ऐसे 100 से भी अधिक सेमीनार आयोजित किए जाएंगे। इस अवसर पर आइआइपी के मुख्य वैज्ञानिक अमर कुमार जैन आदि उपस्थित रहे।
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